सिवनी, बरघाट (एस. शुक्ला): वृहताकार सहकारी समिति धारनाकला मे अनुकम्पा नियुक्ति पाने के लिये आज भी युवक दर दर की ठोकर खा रहा है किन्तु उसकी सुनने वाला कोई नही है जबकि अपने पिता के स्थान पर अनुकम्पा नियुक्ति के लिये अनेको बार आवेदन दिये जा चुके है.
इस सम्बन्ध मे सेवा मे रहते मृत्यु होने पर पत्नि ने भी अनेको बार समिति के पास अपने परिवार के सदस्य को नियुक्ति देने की मांग रखी है किन्तु सहकारिता के नियम को ठेगा दिखाते हुऐ फर्जी नियुक्तिया तो कर दी गई किन्तु वास्तविक नियुक्ति आज तक नही की गई है.
यह है मामला
उल्लेखनीय है की वृहताकार सहकारी समिति धारनाकला मे जागेश्वर पटले समिति प्रबंधक के पद पर कार्यरत थे जिनकी मृत्यू ह्रदय गति रूक जाने के कारण तीन वर्ष पूर्व हो गई जिस सम्बन्ध मे पत्नि तथा पुत्र के द्वारा लगातार समिति मे अनुकम्पा नियुक्ति के लिये गुहार लगाई गई किन्तु किसी ने भी इस और ध्यान नही दिया.
ठीक इसके विपरीत इसी समय और कार्यकाल मे दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी की भर्ती के नाम 89 दिन की भर्ती सहकारिता के नियमों की धज्जियाँ उडाते हुए कर दी गई जिसमे अच्छी खासी मोटी रकम के लेन देन होने से भी इंकार नही किया जा सकता.
जिसका सबसे प्रमाण क्या हो सकता है की पिता की मृत्यु के बाद परिवार के सदस्य अनुकंपा नियुक्ति की मांग करते रह गये और इसी समिति मे 89 दिन की दैनिक वेतन भिगियों की नियुक्ति कर दी गई.
जो 89 दिन लगातार तीन से चार वर्ष बीत गये पर आज तक समाप्त नही हुऐ किन्तु वास्तविक हकदार आज भी सहकारी समिति के चक्कर लगा रहा है.
समिति के प्रस्ताव पर हो गया खेल और बरस गई लक्ष्मी
उल्लेखनीय है की सहकारी समितियो मे किसानो के द्वारा चुने गये सदस्यो के हाथ मे ही समिति के संचालन का दायित्व होता है तथा संस्था का प्रबंधक समिति का सचिव कहलाता है जो अध्यक्ष और सदस्यो के मत के अनुसार प्रस्ताव लिखता है और समिति उसे पारित करती है किन्तु निर्णय मे सहकारिता के मापदंड को भी दरकिनार करना गलत होता है.
किन्तु धारनाकला मे हुआ भी ऐसा समिति ने प्रस्ताव पास किया और हो गई 89 दिनो के लिये दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी की नियुक्ति जिसकी न ही उच्च अधिकारियो को और न ही उपायुक्त पंजीयक सहकारिता को जानकारी दी गई और न ही संस्था से जुडे किसानो को आमसभा मे जानकारी दी गई.
वैसे वर्तमान मे संचालक बोर्ड का कार्यकाल समाप्त होने की स्थिति मे समिति का प्रभार और संचालन समिति प्रबंधक के साथ साथ प्रसासक के हाथ मे ऐसी स्थिति मे समिति मे हुऐ कार्य और नियम विरूद्ध भर्ती पर ठोस कार्रवाई की अपेक्षा जाहिर की जा रही और और इस सम्बन्ध मे उपायुक्त द्वारा रिकार्ड तथा जानकारी भी बुलाई गई है.
पिता के मरने के बाद अनुकम्पा नही पर पिता जीवित मे अनुकम्पा
वैसे सहकारिता विभाग का सुर्खिया बटोरना तथा सुर्खियो मे बने रहना कोई नई बात नही है और इससे ज्यादा चौकाने वाली बात क्या होगी की पिता के मरने के बाद परिवार के सदस्य को अनुकम्पा नियुक्ति नही ठीक इसके विपरीत पिता के जीवित रहते संचालक बोर्ड तथा जवाब दार पिता के स्थान पर पुत्र को समिति मे रखते हुऐ समय समय पर पदोन्नत भी करते है और सहकारिता विभाग के आला अधिकारियो की नाक के नीचे सबकुछ हो जाता है पर कोई देखने सुनने वाला नही.
लगातार समितिया घाटे मे पर ठोस कार्रवाई आज तक नही
यंहा यह बताना भी लाजिमी है की लगातार समितिया खरीफ धान उपार्जन मे कार्य मे लम्बे नुकसान मे जा रही है जिसके मुख्य कारणो पर जाने की जरूरत किसी ने नही समझी साथ ही हजारो क्विंटल धान के स्वीकृति पत्रक संस्था को प्राप्त न होने के पीछे के कारणो पर जाने से लाखो रूपये के खुलासा सामने आ सकता है
और कैसे धान उपार्जन कार्य मे शार्टेज आता है और समिति को लाखो की छति होती है यह निस्पक्ष जाचं हो जाये तो सामने आ जायेगा और क्यो समिति को प्राप्त होने वाले कमीशन से समितिया लगातार वंचित है यह भी सामने आ सकता है किन्तु इस दिशा मे ठोस कदम और कार्य वाही के सम्बन्ध मे कोई पहल न होना भी सहकारी समितियो मे भ्रस्टाचार को बढावा दे रही है
क्या जिले के संवेदन शील जिला कलेक्टर सहकारिता मे समितियो के माध्यम से हो रही मनमानी और शासन को हो रही लाखो की छति फर्जी नियुक्तियो की निस्पक्ष जाच करवा ठोस कार्रवाई करेगे ऐसी जना अपेक्षा है