सिवनी: हाल ही में जिले के बरघाट एसडीओपी ललित गठरे (Barghat SDOP Lalit Gathre) पर पद का दुरुपयोग करते हुए जबरन पुलिस केस दर्ज करने का मामला सामने आया है।
यह घटना सिवनी जिले के रितिक दीक्षित (Ritik Dixit) और बरघाट एसडीओपी ललित गठरे (Barghat SDOP Lalit Gathre) के परिवार के बीच चल रहे जमीन जायदाद विवाद के संदर्भ में है। यह मुद्दा न केवल कानून व्यवस्था के लिए गंभीर है, बल्कि प्रशासनिक धांधली को भी उजागर करता है।
यहाँ सबसे मुख्य रूप इस मामले में बरघाट एसडीओपी पर अपने पद का दुरुपयोग करने की बात सामने आ रही है. मामला उजागर होने के बाद से ही जिले में चौक चौराहो में चर्चाओं का बाजार गर्म है. चर्चाओं के बाजार में बरघाट एसडीओपी की तुलना किडनपर्स से की जाने लगी है जिस तरह से इस मामले में बरघाट एसडीओपी द्वारा अपने कार्यक्षेत्र से बाहर से रितिक को अपने साथ बरघाट ले जाकर प्रयास और झूठे प्रकरणों में फसाने की बात सामने आना ख़ाकी वर्दी और अपने पद का पूर्ण रूप से दुरुपयोग है.
सिवनी निवासी रितिक दीक्षित (Ritik Dixit) के दादा और बरघाट एसडीओपी ललित गठरे (Barghat SDOP Lalit Gathre) के पिताजी के बीच जमीन जायदाद को लेकर कोर्ट में मामला चल रहा है जो न्यायालय में विचाराधीन है। इस विवाद ने एक नई मोड़ तब ली जब रितिक दीक्षित ने अपने बस ड्राइवर को उसके गांव छोड़ने के बाद अपनी जीप से लौट रहे थे।
खैरी टेक पर हुई घटना
रास्ते में खैरी टेक जो कि सिवनी कोतवाली क्षेत्र के अंतर्गत आता है, वहां बरघाट एसडीओपी अपने क्षेत्राधिकार से बाहर जाकर अपनी गाड़ी में दो सिविल में सिपाहियों को लेकर पहुंचे। उन्होंने रितिक पर जबरदस्ती गोकशी, गांजा और शराब का अपराध दर्ज करने की बात कहते हुए उसे गाड़ी में बैठा लिया और बरघाट थाने ले जाने को कहने लगे।
रितिक दीक्षित की साहसिक प्रतिक्रिया
रास्ते में ही रितिक ने कहा कि यह क्षेत्र कोतवाली पुलिस में आता है और वह वही ले जाएगा। यह कहकर उसने अपने घर की ओर गाड़ी मोड़ दी। गाड़ी पहुंचते ही मोहल्ले के लोग आ गए और दबाव बनता देख एसडीओपी अपने कर्मचारियों के साथ भाग खड़े हुए।
प्रशासनिक प्रतिक्रिया
पुलिस अधीक्षक की जांच
इस पूरे प्रकरण पर सिवनी पुलिस अधीक्षक सुनील मेहता ने कहा कि मामले की जांच अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक से करवाई जाएगी। यदि जांच के उपरांत दोषी पाया जाएगा तो उनके खिलाफ सख्त कार्यवाही की जाएगी।
समाज का दृष्टिकोण
न्याय की उम्मीद
इस घटना ने समाज में न्याय के प्रति एक नई उम्मीद जगाई है। रितिक दीक्षित जैसे साहसिक नागरिकों के कारण ही अन्याय के खिलाफ आवाज उठाई जा सकती है। यह मामला प्रशासनिक धांधली और पद के दुरुपयोग के खिलाफ एक महत्वपूर्ण उदाहरण प्रस्तुत करता है।
यह घटना दर्शाती है कि किस प्रकार से प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा अपने पद का दुरुपयोग किया जा सकता है। साथ ही, यह भी दर्शाता है कि साहस और सत्य की शक्ति से अन्याय के खिलाफ लड़ाई लड़ी जा सकती है। हम आशा करते हैं कि इस मामले में सच्चाई की जीत होगी और दोषियों को उचित सजा मिलेगी।