सिवनी (Seoni News): प्रतिवर्ष करोड़ों रुपए के मूल्यवर्धन के बावजूद, पूरा मंडी शुल्क नहीं दिया गया है। वाकई, आज भी नागरिक आपूर्ति निगम और मार्कफेड ने 16 करोड़ से अधिक के मंडी शुल्क का देय नहीं किया है।
इसके बावजूद कि सरकार की नीति है कि मंडी शुल्क के बिना कोई भी व्यापार नहीं हो सकता, लेकिन इस के बावजूद, अधिकारी इस पर ध्यान नहीं दे रहे हैं।
यह सबसे आश्चर्यजनक बात है कि इन दोनों विभागों ने किसानों के सिवाए अन्य व्ययों में पैसे दिए हैं, लेकिन मंडी शुल्क नहीं दिया गया है। मंडी प्रशासन ने इस संबंध में पत्र लिखा है, लेकिन अब तक कोई कदम नहीं उठाया गया है।
इसके अलावा, तीन करोड़ रुपए का निराश्रित शुल्क भी दिया नहीं गया है। यह बात यहां स्पष्ट कर रही है कि मनमानी की प्रक्रिया चल रही है।
नियमानुसार, अनाज खरीदी के बाद उसके परिवहन और भंडारण के बाद मंडी शुल्क रिलीज ऑर्डर के अनुसार देना चाहिए, लेकिन जितना मंडी शुल्क बनता है, उतना नहीं दिया जा रहा है। 2023-24 में, 11 लाख क्विंटल गेहूं खरीदे गए हैं।
इसके आधार पर, 3.65 करोड़ रुपए का मंडी शुल्क देना चाहिए था, लेकिन इसमें से एक भी रुपए नहीं दिए गए हैं। इसके परिणामस्वरूप, बैलेंस बढ़ गया है, जबकि विभाग ने अपने परिवहनकर्ताओं और किसानों का भुगतान कर दिया है।
नागरिक आपूर्ति निगम और मार्कफेड द्वारा जमा शुल्क के विवरण को रसीदों में स्पष्ट रूप से नहीं प्रस्तुत किया गया है, जिसके कारण मिलान करने में समस्याएं आ रही हैं, जबकि सभी विवरण स्पष्ट होने चाहिए।
यदि रिलीज ऑर्डर की कॉपियां और दस्तावेज प्राप्त करने के लिए मंडी विभाग ने कदम उठाया है, तो यह काम दोनों विभागों के बीच मिलकर किया जाना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ है। इस प्रक्रिया में भी कागजी कार्रवाई को काफी समय लग रहा है।
निर्देशों का पालन नहीं हो रहा है
सूचना के अनुसार, 28 दिसंबर 2012 के गजट नोटिफिकेशन में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि उपार्जन एजेंसियों द्वारा रिलीज ऑर्डर में मंडी शुल्क और निराश्रित शुल्क प्राप्त होने के बाद ही सत्यापन किया जाना चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। यदि आरओ पोर्टल पर सत्यापन होता है, तो ई-अनुज्ञा उत्पन्न होती है, जिससे यह प्रमाणित होता है कि मंडी शुल्क और निराश्रित शुल्क जमा हो चुका है। यह स्पष्ट है कि वे आरओ ऑर्डर्स में से कई के सत्यापन को नजरअंदाज कर रहे हैं।
निराश्रित शुल्क क्या है
निराश्रित शुल्क, वह शुल्क है जिसे सरकार निराश्रित लोगों से लेती है। इसके माध्यम से वृद्धावस्था, दिव्यांगता, और अन्य प्रकार की पेंशन प्रदान की जाती है। हालांकि सरकार इसके लिए अपने से भी धनराशि देती है। यदि निराश्रित शुल्क नियमित रूप से जमा होते रहेंगे, तो निराश्रित लोग समय पर पेंशन प्राप्त करते रहेंगे।
इस स्थिति में इंतजार है कि शासन से फंड रिलीज हों
धान के मंडी शुल्क को काफी हद तक दिया जा चुका है। अब शासन से फंड रिलीज होने पर बाकी का मंडी शुल्क देय किया जाएगा। -विख्यात हिंडोलिया, जिला प्रबंधक, नागरिक आपूर्ति निगम
नागरिक आपूर्ति निगम और मार्कफेड से 16 करोड़ से अधिक का मंडी शुल्क वसूलना है, जिसे कम दिया गया है। इसके साथ ही, बकाया निराश्रित शुल्क भी है। -अरविंद परिहार, सचिव, कृषि मंडी सिवनी