सिवनी- स्व. हरवंश सिंह की राजनितिक विरासत को संभालने में नामकायाब केवलारी विधायक ने अपनी अभी तक के कार्यकाल में कभी भी भाजपा सरकार का विरोध तक नही किया क्योंकि वो जानते है कि विस चुनावो में भाजपा के कुछ लोकल नेता ही उनको अंदर से समर्थन करेंगे।
केवलारी का राजनितिक इतिहास गवाह है कि भाजपा के केंडिडेट भितरघात के कारण ही वर्षो से पराजित हो रहे है। इसी क्रम को आगे बढ़ाने के लिये रजनीश सिंह ने भाजपा की रीढ़ की हड्डी माने जाने संघ से जुड़े शिक्षक बाल गोविन्द दुबे के मामले पर मौन धारण कर रखा है।
जबकि ऊक्त मुद्दा ना केवल नाबालिक बच्ची के साथ हुए मानसिक व दैहिक शोषण का था बल्कि ये एक ऐसा कृत्य था जिसका विरोध स्वयम भाजपा के पूर्व महामंत्री सन्तोष नगपुरे तक ने किया जबकि सत्ता में उनका ही दल सवालो के घेरे में आ गया था।
सवाल यह है की क्यों रजनीश केवलारी में बुलाये गये बन्द के दौरान नदारद रहे बल्कि वो एक बयान तक प्रेस को नही दे पाए जो इस कृत्य का विरोध करता दिखाई देता ?
दरअसल संघ कैडर की ताकत रजनीश जानते है इस लिये उनके मुह में दही जमा हुआ है,जबकि उनके ही प्रदेश अध्यछ लगातार प्रदेश में हो रही बलात्कार व छेड़ छाड़ की घटनाओं को चुनावी मुद्दा बनाने में लगे है।
कुल मिलाकर एक बार फिर रजनीश ने पिछली विस चुनावों में संघ व भाजपा के उन कार्यकताओं का अहसान चूका दिया है जो भीतर खाने से उनकी मदद करते चले आये।