भोपाल । लोकसभा चुनाव 2019 एकदम करीब है ,प्रदेश की प्रमुख आदिवासी बाहुल्य मंडला लोकसभा सीट में दोनों पार्टियों के नेताओ की बैचेनी बढ़ी हुई है ,मंडला लोकसभा सीट क्षेत्रीय विषमता और बड़े क्षेत्रफल के लिए जानी जाती है , चार जिलों में फैली इस लोकसभा सीट में कांग्रेस के सामने भाजपा प्रत्याशी फग्गनसिंह कुलस्ते को टक्कर दे सकने वाले उम्मीदवार की खोज युद्ध स्तर पर जारी है , नब्बे के दशक से आदिवासी क्षेत्रों में भाजपा की जगह बनाने वाले कुलस्ते को कमजोर करना इस चुनाव में कांग्रेस के लिए सबसे जरूरी माना जा रहा है
वर्तमान राज्य सरकार में ट्राइबल मंत्री ओमकार सिंह मरकाम पिछले लोकसभा चुनाव में एक लाख वोटो से हार चुके है वहीं क्षेत्र की ही कांग्रेस की कद्दावर नेत्री उर्मिला सिंह और पूर्व सांसद बसोड़ी सिंह मरकाम का निधन हो चुका है ,मंडला से इस विधानसभा चुनाव हार चुके कांग्रेस के संजीव उइके भी लोकसभा चुनाव में जोर आजमाइश करते नजर आ सकते है , ऐसे में अपने सरल , सहज और शुलभ स्वभाव के लिए जाने वाले सांसद कुलस्ते को काँग्रेस से चुनौती फिलहाल तो दिखती नजर नही आ रही है
हालांकि मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार फग्गनसिंह कुलस्ते को मंत्री पद से मुक्त करने के बाद से ही मंडला सीट चाहने वाले भाजपाइयों की भी लंबी कतार है और पूरे प्रदेश के साथ साथ सम्पूर्ण मंडला लोकसभा क्षेत्र में भी विधानसभा चुनाव में भाजपा का प्रदर्शन अत्यंत निराशाजनक रहा है , कांग्रेस के परम्परागत आदिवासी वोटर्स लंबे अंतराल के बाद पुनः कांग्रेस को प्राप्त हुए है , ओमप्रकाश धुर्वे , राम प्यारे कुलस्ते और शिवराज शाह जैसे अनुभवी विधायक अपनी सीट नही बचा पाए ऐसे में कुलस्ते के सामने पुनः आदिवासियों के बीच भाजपा का काम खड़ा कर पाना एक चुनोती है लेकिन कुलस्ते जैसा अनुभव , हर क्षेत्र तक सघन संपर्क , राष्ट्रीय आदिवासी नेता की छवि , वरिष्ठों के साथ साथ युवाओ की बड़ी फ़ौज़ को देखकर निश्चित रूप से दोनों पार्टियों के लिए ये तो कहा ही जा सकता है कि कुलस्ते का विकल्प ढूंढ पाना बड़ी टेढ़ी खीर है ।