लखनादौन : परतंत्र भारत में लखनादौन तहसील अंग्रेज शासन का केन्द्र स्थल रहा है तभी तो अंग्रेजी हुकूमत ने 1885 को आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र लखनादौन को तहसील का दर्जा प्रदान किया था, तब छिंदवाड़ा जिला मुख्यालय हुआ करता था ।
तत्पश्चात सन् 1914 में तहसील कार्यालय लखनादौन का स्थाई मुख्यालय स्थापित किया गया तथा ब्रिटिश शासन का कामकाज चलते रहा।
सन 1947 में देश आजाद होकर भारतवासियों के अस्तित्व में आया तब भारत में प्रथम बार सन् 1952 में लोकतंत्र की स्थापना हुई जो लगातार आजादी के 72 वर्षों बाद भी लखनादौन तहसील 160 वर्ष पूर्ण हो जाने के बाद भी आज तक मप्र की किसी भी सरकारों ने लखनादौन ही नही वरन बृहद आदिवासी बाहुल्य भारत की अतिप्रचीन तहसील होने के बाबजूद भी आज तक जिला घोषित नहीं किया.
जबकि इस आदिवासी बाहुल्य तहसील में लगातार जनसंख्या की अधिकता, प्राकृतिक संसाधनों की बाहुल्यता, तथा नेशनल कारिडोर की उपलब्धता से परिपूर्ण होने के साथ साथ जिला निर्माण में सहायक समस्त मापदंडों के बाद भी हासिये पर रखा गया,जिससे ग्रामीण क्षेत्रों से सैंकड़ों किलोमीटर दूर से अपने कार्य हेतु आने वाले गरीब, किसानों, मजदूर एवं युवाओं को छोटे छोटे कार्यो के लिये जिले का चक्कर लगाना पडता है जिस कारण से गरीब, बेरोजगारों को अपनी खून पसीने की कमाई की गाढी कमाई हुई रकम से हाथ धोना पड़ता है।
लखनादौन तहसील को जिले का दर्जा मिल जाने पर सभी आवश्यक शासकीय सुविधाएं स्थानीय स्तर पर ही मिलने लगेगी साथ ही जनमानस को भी अनेकों वर्षों के सफर की समस्या से निजात भी प्राप्त हो सकेगा।इस मुहिम में सभी वर्गों एवं दलों के द्वारा 9 फरवरी को लखनादौन नगर स्थित राममंदिर में बैठक का आयोजन दोपहर 3 बजे से किया गया है.
लखनादौन जिला बनाओ अभियान समीति आप सभी बुद्धिजीवियों,स्थानीय नेतृत्वकर्ता,अधिवक्ता बन्धुओ ,मीडिया बन्धुओं(इलेक्ट्रॉनिक एवं प्रिंट),अधिकारी,कर्मचारी एवं सामान्यजन से विनम्र आग्रह करती है कि आप सभी दिनाँक 9 फरवरी 2020 को दोपहर 3बजे लखनादौन राम मन्दिर प्राँगण पहुंचें एवं अपनी बात रखते हुए लखनादौन जिला बनाओ अभियान को गति प्रदान करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करें