इस तरह दूर करें रिजल्ट का तनाव
सिवनी । रिजल्ट आने के पहले और बाद में आपका व्यवहार कैसा हो इसी बात पर बच्चों का तनाव निर्भर करता है। यदि बच्चों से ज्यादा परिजन तनाव लेंगे तो तय है कि बच्चे पहले ही होपलैस हो जायेंगे। इसलिये बेहतर है कि रिजल्ट वाले दिन को भी आम दिनों की तरह व्यतीत करें।
समय पर भोजन करें और इंटरटेमेंट में कोई कमी न आने दें। कोशिश करें कि बच्चों को अकेला न छोड़ें, उन्हें सकारात्मक और एनर्जी से भरपूर बातें बतायें। अपने बचपन के दिन शेयर करें। या फिर उन यादों के बारे में बतायें जब आपके रिजल्ट एनाउंस होते थे। इससे बच्चों को तनाव से उभरने में मदद मिलेगी।
यदि बच्चे उम्मीदों के अनुरूप रिजल्ट नही ला पाये हैं अथवा परीक्षा में कम अंक आये हैं या इससे भी बुरा यदि वे फेल हो गये हैं तो पहली जिम्मेदारी है कि उन्हें आरोपी घोषित न करें। कम अंक आना या फेल होना कोई अपराध नहीं है। इस बात को पहले खुद स्वीकार करें और फिर बच्चों को मानसिक सहारा दें। ऐसे टाईम पर किसी अन्य बच्चे से तुलना करने से खुद को रोकें। यदि परिवार के सदस्य, रिश्तेदार या पड़ौसी दुःख जताने का प्रयास करते हैं तो उनके सामने खुद को सख्त रखते हुए स्वीकार करें कि कुछ अंक आपके बच्चे का भविष्य तय नहीं करेंगे। बच्चे दोबारा मेहनत करेंगे और अच्छे अंकों से पास होंगे। आपका व्यवहार ही बच्चों को तनाव से बाहर लाने में कारगर होगा।
ऐसे दूर रखें तनाव : यदि रिजल्ट बच्चों की अपेक्षानुसार नहीं है तो उन्हें पॉजीटिव रिस्पॉन्स देते हुए फिर से मेहनत के लिये मोटिवेट करें। ऐसे लोगों के उदाहरण दें, जो लिखित परीक्षाओं में कई बार फेल हुए लेकिन जीवन की परीक्षाओं में हमेशा सफल रहे। अन्य बच्चों के रिजल्ट से तुलना करने से बचें। साथ ही पढ़ाई की प्लानिंग पर तत्काल कोई चर्चा न करें।
पड़ौसियों और रिश्तेदारों के सामने ऐसा न महसूस करें कि बच्चे के खराब रिजल्ट के कारण आपको शर्मिंदगी हो रही है। बच्चों को अकेला न छोड़ें, उन्हें बेहतर भोजन और समय दें। ऐसा कोई भी सामान जिससे बच्चे खुद को कोई नुकसान पहुँचा सकते हैं, आसपास न छोड़ें।
यदि बच्चे ज्यादा तनाव में हैं तो तत्काल किसी काउंसलर से मिलें। ऐसे माहौल में आवश्यक है कि परिवार का हर सदस्य बच्चे से सकारात्मक व्यवहार करे और उम्मीदें न तोड़े। बच्चों को अपने दोस्तों से दूर न करें। उनके सोशल नेटवर्किंग पर डाले जाने वाले स्टेटस और मैसेज पर खास ध्यान दें।