सिवनी-माता महाकाली मंदिर में जीर्णोद्धार के पश्चात कलशारोहण के कार्यक्रम में आज 7 मई की शाम 5 बजे स्वामी स्वरूपानंद जी महाराज का आगमन हुआ।
इस दौरान महाराजश्री ने मंदिर में स्थापित होने वाली प्रतिमाओं की प्राणप्रतिष्ठा विधी,विधान से की साथ ही हनुमान जी,शिवलिंग,गणेश जी,नंदी,ब्रम्हा,विष्णु,महेश,भैरव जी की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा की इस दौरान मंदिर से जुडे हुये जानकी प्रसाद पाठक, सुरेन्द्र करोसिया, राजेन्द्र गुप्ता, दुर्गेश सोनी, सोम पाठक, सहित क्षेत्र के लोगों को अपना आर्शीवाद प्रदान करने के पश्चात आप डूंडासिवनी स्थित परसूराम मंदिर पहुंचे।
महाकाली ने किया दैत्यों का संहार श्रीमद् देवी भागवत महापुराण व शतचण्डी महायज्ञ जारी है।
मिली जानकारी के अनुसार माता महाकाली मंदिर काली चौक में 10 दिवसीय आयोजन जारी है। जिसमें शतचण्डी महायज्ञ, संगीतमय श्रीमद् देवीभागवत महापुराण ज्ञानयज्ञ में बालसंत नवनीत महाराज ने कहा कि किसी भी स्थान पर बिना निमंत्रण जाने से पहले इस बात का ध्यान जरूर रखना चाहिए कि जहां आप जा रहे हैं वहां आपका,अपने इष्ट या अपने गुरु का अपमान न हो। यदि अपमान होने की आशंका हो तो उस स्थान पर जाना नहीं चाहिए। चाहे वह स्थान अपने जन्मदाता पिता का ही घर क्यों हो। सती के प्रसंग पर प्रवचन सुनाते हुए कहा कि महाराजश्री ने कहा कि भगवान शिव की अनुमति लिए बिना सती अपने पिता दक्ष के यज्ञ में भाग लेने पहुंच गईं। यज्ञ कार्यक्रम में भगवान शिव को आमंत्रित नहीं किया गया था। इससे दुखी होकर सती ने यज्ञ कुंड में आहुति देकर शरीर त्याग दिया था। इससे नाराज शिव के गणों ने राजा दक्ष का यज्ञ विध्वंस कर दिया। भगवान के मना करने के बाद भी सती नहीं मानी और मायके चली गई थी। पिता के घर में सती का अपमान हुआ। इससे सीख मिलती है कि जो नारी अपने पति की आज्ञा की अव्हेलना करती है, उसे संसार में अपमानित होना पड़ता है ।