सामान्य,पिछड़ा एवं अल्पसंख्यक वर्ग अधिकारी कर्मचारी संस्था सपाक्स का “प्रथम जिला स्तरीय सपाक्स सम्मेलन” प्रदेश संरक्षक सपाक्स सम्मान्य श्री राजीव शर्मा जी आई.ए.एस.अपर सचिव नगरीय प्रशासन के मुख्य आतिथ्य एवं प्रदेश अध्यक्ष सपाक्स सम्मान्य श्री डॉ के.एस.तोमर जी,प्रदेश अध्यक्ष सपाक्स समाज सम्मान्य श्री इंजी.पी.एस.परिहार जी,प्रदेश उपाध्यक्ष सपाक्स युवा संगठन सम्मान्य श्री प्रसंग परिहार जी एवं प्रांतीय पदाधिकारियों के विशिष्ट आतिथ्य तथा गरिमामयी उपस्थिति में होगा सम्पन्न
सामान्य,पिछड़ा एवं अल्पसंख्यक वर्ग अधिकारी कर्मचारी संस्था सपाक्स का “प्रथम जिला स्तरीय सपाक्स सम्मेलन” प्रदेश संरक्षक सपाक्स सम्मान्य श्री राजीव शर्मा जी आई.ए.एस.अपर सचिव नगरीय प्रशासन के मुख्य आतिथ्य एवं प्रदेश अध्यक्ष सपाक्स सम्मान्य श्री डॉ के.एस.तोमर जी,प्रदेश अध्यक्ष सपाक्स समाज सम्मान्य श्री इंजी.पी.एस.परिहार जी,प्रदेश उपाध्यक्ष सपाक्स युवा संगठन सम्मान्य श्री प्रसंग परिहार जी एवं प्रांतीय पदाधिकारियों के विशिष्ट आतिथ्य तथा गरिमामयी उपस्थिति में दिनाँक 21 जनवरी 2018,दिन रविवार को, प्रातः10.30 बजे, स्मृति लॉन,बारापत्थर,सिवनी में आयोजित किया जा रहा है।
जिला नोडल अधिकारी एवं जिला अध्यक्ष सपाक्स श्री प्रद्युम्न चतुर्वेदी,जिला नोडल अधिकारी एवं कार्यकारी अध्यक्ष सपाक्स श्री एन.एस.बैश,जिला सचिव श्री अजय शर्मा,जिला उपाध्यक्ष श्री के.के.दुबे,श्री चुनेन्द्र बिसेन,
संयोजक श्री अरुण राय,संरक्षक श्री डी.एल.तिवारी,श्री एम.के.गौतम एवं सपाक्स समाज संस्था के जिलाध्यक्ष श्री मुरलीधर पांडे ने बताया कि 10 फरवरी 2016 को पदोन्नति में आरक्षण समाप्त किये जाने के उद्देश्य से सपाक्स का गठन हुआ।30 अप्रैल 2016 को माननीय उच्च न्यायालय जबलपुर द्वारा पदोन्नति में आरक्षण समाप्त किये जाने का ऐतिहासिक फैसला पारित किया गया। पदोन्नति में आरक्षण को लेकर म.प्र सरकार द्वारा माननीय उच्चन्यायालय का निर्णय लागू नहीं किया गया।जिससे प्रदेश का सपाक्स वर्ग आहत है।12 जून 2016 को टीटीनगर दशहरा मैदान भोपाल में विशेष वर्ग के अधिकारी कर्मचारी सम्मेलन में अचानक पहुंचे माननीय मुख्यमंत्री महोदय द्वारा कहा गया था कि ‘कोई माई का लाल आरक्षण खत्म नहीं कर सकता।”
जिससे सम्पूर्ण मध्यप्रदेश में राज्य सरकार के प्रति जमकर आक्रोश है। माननीय उच्च न्यायालय जबलपुर ने प्रदेश में आरक्षित समुदाय के प्रमोशन से जुड़े सिविल सर्विसेस प्रमोशन नियम 2002 को असंवैधानिक घोषित करार दिया है।माननीय उच्च न्यायालय ने 2002 में सरकार द्वारा बनाये गये नियम को रद्ध कर 2002 से 2016 तक जिन्हें नये नियम के अनुसार पदोन्नति दी गयी है उन्हें रिवर्ट करने के आदेश दिये थे।म.प्र सरकार ने इस आदेश के खिलाफ माननीय सर्वोच्च न्यायालय में स्पेशल लीव पिटीशन(LIP) दायर की है।
फैसले के इंतजार में हमें सिर्फ बढ़ी हुई सुनवाई की तारीखें मिल रही हैं। राज्य सरकार की कूटनीति के चलते उक्त प्रकरण माननीय सर्वोच्च न्यायालय की संविधान पीठ को सौंप दिया गया है।राज्य सरकार ‘‘सामान्य पिछड़ा एवं अल्पसंख्यक वर्ग के अधिकारी कर्मचारी’’ के साथ सौतेला व्यवहार कर रही है। सपाक्स कर्मचारियों/अधिकारियों में राज्य सरकार के प्रति जमकर आक्रोश है।क्या?सामान्य पिछड़ा और अल्पसंख्यक वर्ग के अधिकारी कर्मचारियों के प्रति राज्य सरकार की कोई जिम्मेदारी नहीं है…? राज्य सरकार संविधान के प्रावधान अनुरूप सभी वर्गो से समानता का व्यवहार न करते हुए सौतेला व्यवहार कर रही है।म.प्र सरकार के रवैये से सामान्य पिछड़ा और अल्पसंख्यक वर्ग के सिर्फ अधिकारियों कर्मचारियों में रोष ही नहीं बल्कि समाज के आमजनों में भी असंतोष व्याप्त है।जिला नोडल अधिकारी एवं जिला अध्यक्ष सपाक्स श्री प्रद्युम्न चतुर्वेदी,जिला नोडल अधिकारी एवं कार्यकारी अध्यक्ष सपाक्स श्री एन.एस.बैश,जिलाध्यक्ष सपाक्स समाज संस्था श्री मुरलीधर पांडे ने 21 जनवरी को सामान्य,पिछड़ा एवं अल्पसंख्यक वर्ग अधिकारी कर्मचारियों,
सपाक्स समाज,प्रिंट एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से प्रथम जिला स्तरीय सपाक्स सम्मेलन में उपस्थिति की अपील की है ।।
उक्ताशय की जानकारी जिला मीडिया प्रभारी विपिन शर्मा ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में दी।