आइये आपको एक खबर आसान भाषा में कहानी के रूप में बताते है
सिवनी जिले का एक व्यक्ति जिसके कान में कुछ ऐसी समस्या थी की रोज़ उसके कान से हल्का पानी और मवाद निकलती थी उस व्यक्ति ने सोचा जिला अस्पताल जाकर किसी कान के स्पेसिलिस्ट डॉक्टर को दिखाकर इलाज करवा लिया जाये क्योकि कान की समस्या एक गंभीर समस्या ही है तो वह व्यक्ति जिला अस्पताल पंहुचा जिला अस्पताल पहुचकर व्यक्ति बोर्ड की तलाश में लग गया की कही बोर्ड में डॉ का नाम और किस चीज में स्पेसिलिस्ट है वो और उनका रूम नंबर तो लिखा होगा पर बेचारा वो व्यक्ति सारा अस्पताल घूम लिया पर कही भी डॉक्टर के नाम किस चीज में स्पेसिलिस्ट है उसका बोर्ड नहीं मिला .
फिर व्यक्ति ने सोचा किसी से पूछ लिया जाये तब व्यक्ति ने वहा OPD के सामने खड़े व्यक्ति से पुछा जो की OPD में मरीजो को भेज रहा था उस व्यक्ति से पुछा की भाईसाहब कान के इलाज के लिए किस डॉक्टर के पास जाना है तो व्यक्ति का जवाब था सरकारी अस्पताल है प्राइवेट नहीं यहाँ जो 3 डॉक्टर बैठे है वो सभी चीजो के स्पेसिलिस्ट है दिखाना है तो इन्हें दिखाओ वर्ना प्राइवेट क्लिनिक जाओ .
तब वह व्यक्ति OPD की लाइन में लगकर पंहुचा डॉ साहब के पास अपनी समस्या बताई तब डॉ का सर एक बार भी उपर न उठा वो तो समस्या बताते बताते में गोली दवाई लिखते चले गए बिना कानो की देखे जांच किये .
ऐसे ही जब खुजली की समस्या को लेकर डॉक्टर के पास OPD में पंहुचा तब डॉ साहिब का यही रवैया बिना जांचे बस लिख दिये दवाई गोली.
जब उन दोनों समस्याओ के लिए प्राइवेट क्लिनिक में जाकर कान के स्पेसिलिस्ट और स्किन स्पेसिलिस्ट डॉ को दिखाया तो उन्होंने कान और खुजली की जांच कर बताया की कान में आपको कोई फोड़ा फुंसी नहीं हुई जो अपने इन दवाओ को खाया है आपका सिर्फ कान बह रहा है जिसके लिए दवाई अलग रहेंगी इसी प्रकार खुजली के लिए डॉ ने जांच कर बताया की आपको कोई नोर्मल खुजली नहीं है आपको फंगल इन्फेक्शन है ये दवाई जो आप ले रहे है इनसे तुरत का आराम पर आगे इससे दुगना इन्फेक्शन फेलेगा .
तो अब आप ही बताइए जिला चिकित्सालय में बिना उपकरणों से जांच किये सीधे समस्या सुनकर दवाई लिख देना इसका अर्थ यही निकलता है की जिला अस्पताल में जांच के लिए उपकरण उपलब्ध नहीं है अब ये तो डॉक्टर्स और CHMO साहब ही बता सकते है की CHMO साहब ने उपकरणों के इस्तेमाल पर रोक लगा रखे है या फिर डॉक्टर्स खुद उपकरणों का उपयोग नहीं करना चाहते . ये भी हो सकता है की जिला चिकित्सालय में जांच के उपकरण उपलब्ध ही न हो .
जिला चिकित्सालय के सिस्टम में कुछ ऐसी समस्या जो सबसे पहले सुधारनी चाहिए ” अब जिला चिकित्सालय है देखते है कुछ बदलता है या नहीं ” . फिलहाल तो उम्मीद कलेक्टर साहेब से ही है इन समस्याओ पर भी जरूर गौर करें :1. जिला चिकित्सालय में प्रवेश करते ही डॉ के नाम और किस चीज में स्पेसिलिस्ट है , रूम नंबर उनकी जानकरी वाला डिस्प्ले या बोर्ड मरीजो को दिख जाये .2. डॉक्टर्स द्वारा व्यक्ति की समस्या सुनकर दवाई लिख देने से बेहतर समस्या की जांच कर दवाई लिखा जाना चाहिए .3. OPD के साथ साथ डॉक्टर्स को इलाज हेतु जारी हुए कमरों में भी डॉ द्वारा मरीजो को इलाज किया जाये (अब तक मरीजो को जानकारी ही नहीं रहती की डॉ OPD के अलावा रूम में भी इलाज के लिए उपस्थित रहते है ) जिससे OPD में भीड़ कम होगी और मरीजो को जल्द इलाज मिल पायगा (ये तो डॉ के नाम के डिस्प्ले या बोर्ड लगने के बाद ही हो सकता है )