सिवनी। जिले की राजनीति में हलचल तेज हो गई है। कांग्रेस संगठन की सर्जरी की खबर ने सियासी गलियारों में सरगर्मी बढ़ा दी है। सूत्रों की मानें तो AICC दिल्ली ने सभी जिलाध्यक्षों को निर्देश दिया है कि वे ब्लॉक कमेटी, सेक्टर कमेटी और मंडलम कमेटी का गठन अगले एक माह के भीतर पूरा करें।
ऐसे में आठ साल बाद जिला कांग्रेस में हुए नेतृत्व परिवर्तन के बाद सबकी नजरें नए जिलाध्यक्ष नरेश मरावी पर टिकी हुई हैं। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि मरावी अब मजबूत चेहरों को सामने लाने और जातिगत समीकरण साधने की कोशिश करेंगे।
सिवनी नगर कांग्रेस अध्यक्ष पर मचेगा घमासान
जिला मुख्यालय में सबसे चर्चित पद नगर कांग्रेस अध्यक्ष का होता है। लंबे समय से मुस्लिम समाज से आने वाले इमरान पटेल इस पद पर काबिज रहे हैं। लेकिन जिला स्तर पर बदलाव के बाद यह माना जा रहा है कि अब इस पद पर भी नए चेहरे की एंट्री होगी।
जिला स्तर में नेतृत्व परिवर्तन हुआ है तो इनका भी इस पद से हटना तय माना जा रहा लेकिन सवाल यह है कि क्या नरेश मरावी इस बार ओबीसी वर्ग या सामान्य वर्ग से किसी युवा नेता को मौका देंगे? या फिर परंपरा को कायम रखते हुए मुस्लिम समाज को ही प्रतिनिधित्व देंगे?
इमरान पटेल पिछले कई वर्षों से मुस्लिम समाज की ओर से प्रतिनिधित्व करते आये तो क्या नरेश मरावी अपने संगठन कौशल को दिखाते हुए किसी सामान्य वर्ग या ओबीसी वर्ग से नगर अध्यक्ष पर दांव लगाते हैं?
राजनीतिक समीकरण की बात करें तो भाजपा ने शहर में ब्राह्मण समाज और ओबीसी समाज दोनों को प्रतिनिधित्व देकर अपनी पकड़ मजबूत की है। वहीं कांग्रेस अब किस रणनीति पर काम करेगी, यह देखना दिलचस्प होगा।
भाजपा ने जातिगत समीकरण को देखकर और युवाओं को प्रतिनिधित्व दिया है और ब्राम्हण समाज की शहर में उपस्थिति को देखते हुए युवा चेहरे अभिषेक दुबे पर भाजपा दक्षिण नगर मंडल अध्यक्ष के रूप में दोबारा दांव लगाया है और भाजपा उत्तर नगर मंडल अध्यक्ष युवराज राहंगडाले पर ओबीसी चेहरे के रूप में विश्वास किया है. अब देखना है कि नगर काँग्रेस में किस चेहरे के ऊपर काँग्रेस पार्टी दांव लगाती है.
प्रदेश महासचिव राजा बघेल का बढ़ेगा दबदबा
मध्यप्रदेश कांग्रेस के प्रदेश महासचिव राजा बघेल की भूमिका सिवनी संगठन में निर्णायक मानी जा रही है। हाईकमान ने जिस तरह आदिवासी समाज को प्रतिनिधित्व देते हुए नरेश मरावी पर भरोसा जताया है, उसके पीछे राजा बघेल की बड़ी भूमिका मानी जा रही है। सूत्रों का कहना है कि आने वाले दिनों में सिवनी कांग्रेस की नियुक्तियों में भी उनकी अहम दखलदारी रहेगी।
जबसे दिल्ली हाईकमान ने प्रदेश स्तर में जीतू पटवारी और उमंग सिंघार पर विश्वास दिखाया है तबसे राजा बघेल के भूमिका सिवनी काँग्रेस में अत्यंत महत्वपूर्ण हो गयी है. सूत्रों के अनुसार आदिवासी चेहरे के तौर पर और आदिवासी समाज को प्रतिनिधित्व देने की सोच से ही राजा बघेल ने प्रदेश नेतृत्व के सामने केवलारी विधायक ठाकुर रजनीश हरवंश सिंह के साथ सामंजस्य बैठाया था. जिससे पहली बार सिवनी जिले में आदिवासी समाज से आने वाले नरेश मरावी के ऊपर विश्वास जताकर संगठन सृजन के माध्यम से नरेश मरावी की नियुक्ति हुई है. स्वाभाविक है कि अब राजा बघेल का सिवनी काँग्रेस की राजनीति में या नियुक्ति में दखल दिखेगा.
संभावित दावेदारों की सूची
अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि नगर कांग्रेस अध्यक्ष कौन बनेगा? संगठन के अंदर कई नाम चर्चा में हैं –
- रंजीत यादव – पूर्व में युवा कांग्रेस अध्यक्ष रहे हैं,वर्तमान जिला काँग्रेस महामंत्री हैं और यादव समाज में भी सामाजिक रूप से सक्रिय हैं ओबीसी चेहरे के तौर पर इन पर पार्टी भरोसा कर सकती है।
- तनवीर अहमद – वर्तमान में नगर काँग्रेस अध्यक्ष इमरान पटेल मुस्लिम समाज से आते हैं और लंबे समय से इस पद पर वो बने हुए हैं ऐसे में पुनः किसी मुस्लिम चेहरे पर दांव लगाया जाए,फिर भी पार्टी अगर दांव लगाती है तो तनवीर अहमद युवा मुस्लिम चेहरे के तौर पर नरेश मरावी की पहली पसंद हो सकते हैं।
- रत्नेश चौकसे – आजाद वार्ड से पूर्व में प्रत्याशी रहे हैं जिला कांग्रेस के महामंत्री रहे हैं,पार्टी में अभी तक पर्दे के पीछे रहकर भूमिका निभाते आये हैं संगठन के कार्य करने में इनकी हमेशा से विशेष रुचि रही है इनके ऊपर भी पार्टी विचार कर सकती हैं।
- ओम उपाध्याय –वर्तमान युवा कांग्रेस के सिवनी विधानसभा के अध्यक्ष हैं,लंबे समय से पार्टी में सक्रिय हैं,जनता के मुद्दों के लिए लड़ने वाले नेता के रूप में मजबूत क्षवि स्थापित की है,NSUI एवं युवा काँग्रेस के माध्यम से जिले भर में युवाओं की लंबी टीम इनके साथ है वर्तमान में युवा कांग्रेस के चुनाव में आदित्य भूरा के समर्थन में बड़ी संख्या में सदस्यता कराने में इनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है,ब्राम्हण एवं युवा चेहरे के तौर में इन पर पार्टी मजबूती से भरोसा कर सकती है।

क्यों अहम है यह बदलाव?
कांग्रेस के लिए सिवनी संगठन में यह बदलाव बेहद अहम है। लंबे समय से निष्क्रिय पड़ी कमेटियों के कारण कार्यकर्ताओं में उत्साह कम हो गया था। अब नए चेहरे और युवा नेतृत्व आने से संगठन में नई ऊर्जा का संचार हो सकता है।
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले 2028 विधानसभा चुनाव और 2029 लोकसभा चुनाव को देखते हुए कांग्रेस यह “संगठन सर्जरी” कर रही है, ताकि भाजपा के मजबूत गढ़ में सेंध लगाई जा सके।