Sawan Month 2022 Date: कब से शुरू होगा सावन का महीना, कितने पड़ेंगे सोमवार; नोट करें तिथियां

By: Ranjana Pandey

On: Saturday, July 2, 2022 1:15 PM

Sawan Somvar 2022 Dates
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Sawan Month 2022 Date: हिंदू धर्म में वैसे तो हर महीने को खास बताया गया हैं मगर सावन का महीना विशेष माना जाता हैं, सावन का महीना 14 जुलाई 2022 से शुरू हो रहा हैं जो 12 अगस्त 2022 को समाप्त हो जाएगा।

पंचांग के मुताबिक यह पांचवां महीना होता हैं इसे श्रावण मास के नाम से भी जाना जाता हैं यह भगवान शिव का प्रिय माह हैं इसलिए शिवभक्तों के लिए सावन के महीने का बेसब्री से इंतजार होता हैं।

शास्त्रों के अनुसार हिंदुओं के लिए सावन का महीना काफी महत्व रखता है. सावन के महीने में भगवान शिव की पूजा की जाती है क्योंकि इसे बहुत शुभ माना जाता है। 

Sawan Month 2022 Date

ऐसा माना जाता है कि जो व्यक्ति इस महीने में सोमवार का व्रत करता है, उसकी सभी मनोकामनाएं भगवान शिव की कृपा से पूरी होती हैं। ज्योतिषियों के अनुसार इस साल सावन का महीना 14 जुलाई 2022 से शुरू होकर 12 अगस्त को श्रावण पूर्णिमा पर समाप्त होगा.

सावन के पावन महीने में शिव भक्त कावड़ लेकर आते हैं और उस कावड़ में भरे गंगाजल से शिव का अभिषेक करते हैं श्रावण मास में सोमवार के दिन का भी विशेष महत्व होता हैं। सावन सोमवार व्रत मनोकामना पूर्ति के लिए किया जाता है इस दिन शिव की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं इसलिए धार्मिक रूप से सावन सोमवार का विशेष महत्व होता हैं।

इस वर्ष मनाए जाने वाले सावन सोमवार की तिथियां इस प्रकार है

  • सावन का पहला व्रत सोमवार- 18 जुलाई 2022
  • सावन का दूसरा व्रत सोमवार- 25 जुलाई 2022,
  • सोमवार सावन का तीसरा व्रत सोमवार- 01 अगस्त 2022
  • सोमवार सावन का चौथा व्रत सोमवार- 08 अगस्त 2022
  • सावन माह का अंतिम दिन – 12 अगस्त 2022

सावन सोमवार पूजा विधि

सुबह जल्दी उठकर नहा-धोकर साफ कपड़े पहन लें। अपने दाहिने हाथ में जल लेकर सावन सोमवार व्रत का संकल्प लें। सभी देवताओं पर गंगा जल चढ़ाएं। ओम नमः शिवाय मंत्र का जाप करते हुए भगवान शिव शंकर का जलाभिषेक करें। भोलेनाथ को अक्षत, सफेद फूल, सफेद चंदन, भांग, धतूरा, गाय का दूध, धूप, पंचामृत, सुपारी, बेलपत्र चढ़ाएं।

साथ ही सामग्री चढ़ाते समय Om नमः शिवाय शिवाय नमः का जाप करें और चंदन का तिलक लगाएं। सावन के सोमवार के व्रत के दिन सोमवार के व्रत की कथा अवश्य पढ़नी चाहिए और अंत में आरती करनी चाहिए. भगवान शिव को प्रसाद के रूप में घी और चीनी का भोग लगाएं। उस प्रसाद को आपस में बांटो और खुद खाओ।

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