Home » धर्म » Salasar Balaji Prakatya Utsav: सालासर बालाजी प्राकट्य उत्सव पर हुआ मंदिर का भव्य श्रृंगार, दर्शन के लिए दूर-दूर से आए श्रद्धालु

Salasar Balaji Prakatya Utsav: सालासर बालाजी प्राकट्य उत्सव पर हुआ मंदिर का भव्य श्रृंगार, दर्शन के लिए दूर-दूर से आए श्रद्धालु

By SHUBHAM SHARMA

Published on:

Follow Us
Salasar Balaji Prakatya Utsav
Salasar Balaji Prakatya Utsav: सालासर बालाजी प्राकट्य उत्सव पर हुआ मंदिर का भव्य श्रृंगार, दर्शन के लिए दूर-दूर से आए श्रद्धालु

Join WhatsApp

Join Now

Join Telegram

Join Now

Salasar Balaji Prakatya Utsav: राजस्थान (Rajasthan) में स्थित श्री बालाजी महाराज सालासर धाम (Balaji Salasar Dham) का प्राकट्य उत्सव (Prakatya Utsav) आज यानि 6 अगस्त 2022 को बड़ी धूमधाम से मनाया जा रहा है।

यह मंदिर का 268वां स्थापना दिवस है, श्रावण सुदी नवमी संवत 1811 (268 वर्ष) से ​​पहले इस पवित्र दिन पर, श्री बालाजी महाराज संत शिरोमणि श्री मोहनदास जी की अनन्य भक्ति से प्रसन्न होकर सालासर धाम में विराजमान (स्थापित) हुए थे। 

इस मौके पर मंदिर को भव्य तरीके से सजाया जाता है। श्री सालासर प्राकट्य उत्सव में शामिल होने के लिए दूर-दूर से लोग आ रहे हैं। राजस्थान के चुरू जिले में राष्ट्रीय राजमार्ग 668 पर स्थित इस मंदिर के दर्शन करने के लिए भक्त बहुत उत्साहित हैं। 

Salasar Balaji Prakatya Utsav

वैसे तो बालाजी महाराज के दर्शन के लिए साल भर यहां दर्शनार्थी आते रहते हैं, लेकिन चैत्र और अश्विन के महीने में इस मंदिर का छठा भाग देखते ही बनता है। हर साल चैत्र और अश्विन के महीने में बड़े पैमाने पर मेलों का आयोजन किया जाता है। 

यह देश में बालाजी का एकमात्र मंदिर है, जिसमें बालाजी के चेहरे पर दाढ़ी और मूंछ है। स्थापना दिवस के अवसर पर मंदिर की साज-सज्जा में फूलों और लाइटों का प्रयोग किया गया, जिससे पूरा मंदिर फ्लड लाइट से जगमगा उठा। सजावट के लिए अजमेर और इंदौर से कारीगरों को बुलाया गया था। 

सालासर बालाजी प्राकट्य उत्सव

मंदिर समिति के मांगिलाल पुजारी ने बताया कि संवत् 1811 श्रावण सुधी नवमी के दिन शनिवार को बालाजी महाराज की मूर्ति की स्थापना की गई थी. इस बार नवमी का दिन संयोग बन गया है। और आज 6 अगस्त को शनिवार को 268वां स्थापना दिवस मनाया जा रहा है. 

रात में शेखावाटी के प्रसिद्ध बाउ धाम के संत रतिनाथ महाराज और पुजारी परिवार के सदस्यों द्वारा मंदिर परिसर में भजन कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा. मंदिर में मेले और अन्य कार्यक्रम हनुमान सेवा समिति द्वारा प्रबंधित किए जाते हैं। इस मंदिर की स्थापना को लेकर एक कथा प्रचलित है जो इस प्रकार है…

श्रावण शुक्लपक्ष नवमी, संवत 1811 में शनिवार के दिन एक गिंथला-जाट किसान नागौर जिले के असोटा नामक गांव में अपने खेत की जुताई कर रहा था। अचानक उसके घोल से किसी चीज के टकराने से टन भार की आवाज आई। किसान ने जब उस जगह की मिट्टी खोदी तो देखा तो दो मूर्तियाँ मिट्टी में भीगी हुई मिलीं। 

उसी समय उनकी पत्नी उनके लिए भोजन लेकर वहां पहुंची और मूर्ति को अपनी साड़ी से साफ करते देख वह भगवान बालाजी भगवान हनुमान की मूर्ति थी। इसके बाद दोनों ने उन्हें श्रद्धा से प्रणाम किया। भगवान बालाजी के प्रकट होने का समाचार चारों ओर तेजी से फैल गया।

यह बात असोटा के ठाकुर तक भी पहुंची। ऐसा कहा जाता है कि बालाजी स्वयं उनके सपने में आए और उन्हें इस मूर्ति को चुरू के सालासर के पास भेजने का आदेश दिया। उसी रात, श्री हनुमान के एक महान भक्त,

सपने में ही उसे असोटा की मूर्ति के बारे में पता चला। इसके बाद असोटा के ठाकुर ने एक संदेश के जरिए मूर्ति के बारे में बताया। ठाकुर यह जानकर चौंक गए कि मोहन दास जी को यह कैसे पता चला। इसके बाद उन्होंने बिना देर किए उस मूर्ति को सालासर भेज दिया। आज यह स्थान सालासर धाम के नाम से प्रसिद्ध है।

SHUBHAM SHARMA

Khabar Satta:- Shubham Sharma is an Indian Journalist and Media personality. He is the Director of the Khabar Arena Media & Network Private Limited , an Indian media conglomerate, and founded Khabar Satta News Website in 2017.

Join WhatsApp

Join Now

Leave a Comment

HOME

WhatsApp

Google News

Shorts

Facebook