Rajasthan Grade 3 Teacher Vacancy Women Reservation: राजस्थान में भाजपा सरकार ने हाल ही में एक साहसिक कदम उठाते हुए ग्रेड-III शिक्षक नौकरियों में महिलाओं के लिए 50% आरक्षण को मंजूरी दी है। यह कदम सरकार के राजस्थान पंचायती राज अधिनियम में संशोधन के प्रस्ताव का हिस्सा है।
इससे पहले, महिलाओं के लिए आरक्षण की सीमा 30% थी, जिसे बढ़ाकर अब 50% कर दिया गया है। भाजपा का दावा है कि यह निर्णय पार्टी के घोषणापत्र में किए गए वादे के अनुरूप है, जिसे नवंबर-दिसंबर 2023 में हुए विधानसभा चुनावों के दौरान किया गया था।
बेरोजगार पुरुषों का विरोध: असंतोष और चिंताएं
भाजपा के इस निर्णय को जहां कई वर्गों से सराहना मिल रही है, वहीं बेरोजगार पुरुषों में असंतोष और विरोध की भावना भी प्रबल हो रही है। राजस्थान युवा शक्ति एकीकृत महासंघ (आरवाईएसएएम) के अध्यक्ष मनोज मीना ने इस कदम को “पूरी तरह से दोषपूर्ण” और लैंगिक समानता के कानून के “खिलाफ” बताया है।
उन्होंने कहा, “महिलाओं के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण, 12.5 प्रतिशत एससी-एसटी आरक्षण, 4 प्रतिशत दिव्यांग आरक्षण, 6-7 प्रतिशत विधवा और तलाकशुदा महिलाओं के लिए कोटा, 10 प्रतिशत महिलाएं जो सामान्य वर्ग में पुरुषों के साथ प्रतिस्पर्धा करेंगी, कम से कम 83.5 प्रतिशत सीटें कोटे के अंतर्गत आती हैं। इसलिए पुरुषों के लिए केवल 16.5 प्रतिशत सीटें बचती हैं।”
आंकड़ों का विश्लेषण: जनसंख्या और बेरोजगारी
सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के अनुसार, 1 जुलाई 2024 तक राजस्थान की अनुमानित जनसंख्या 8.22 करोड़ होगी। पुरुषों की जनसंख्या 4.21 करोड़ होगी जबकि महिलाओं की जनसंख्या 4.01 करोड़ होगी। राजस्थान में महिलाओं की तुलना में पुरुषों की संख्या 2.12 मिलियन अधिक है। 2024 में लिंगानुपात 100 महिलाओं पर 105.364 पुरुष होगा।
राजस्थान सबसे ज़्यादा बेरोज़गारी दर वाले राज्यों में से एक है। आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (पीएलएफ़एस) 2022-23 के अनुसार, यहाँ 23.1 प्रतिशत की बेरोज़गारी दर है। सेंटर फ़ॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) के अनुसार, जनवरी 2023 में हरियाणा (37.4 प्रतिशत) के बाद राजस्थान में दूसरी सबसे ज़्यादा बेरोज़गारी दर 28.5 प्रतिशत थी।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं और विश्लेषण
राजनीतिक विश्लेषक नारायण बारेठ के अनुसार, “यह घोषणा पूरी तरह से राजनीतिक है। भाजपा ने अपनी हार के कारणों का विश्लेषण किया होगा और महसूस किया होगा कि महिला मतदाताओं को वापस लाने के लिए कुछ कठोर कदम उठाने की जरूरत है।”
भाजपा की इस घोषणा को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं कि उन्होंने लोकसभा चुनावों में टिकट वितरण के दौरान 33% आरक्षण को लागू क्यों नहीं किया। उन्होंने तब केवल जीतने की संभावना और जातिगत कारकों के बारे में क्यों सोचा? उन्होंने मध्य प्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और उमा भारती को क्यों दरकिनार कर दिया।
समर्थन और आलोचना के विभिन्न पहलू
कुछ शिक्षक संघों ने इस कदम का स्वागत किया है। राजस्थान महिला आयोग की पूर्व प्रमुख और सेवानिवृत्त प्रोफेसर लाड कुमारी जैन ने कहा, “जबकि मैं इस फैसले का स्वागत करती हूं, यह स्थायी होना चाहिए और सिर्फ एक राजनीतिक घोषणा नहीं होनी चाहिए। वास्तव में शिक्षकों के लिए हजारों रिक्तियां हैं जो हर साल नहीं भरी जाती हैं।”
बेरोजगारी और पेपर लीक के मुद्दे
2023 के विधानसभा चुनावों के दौरान बेरोजगारी और पेपर लीक प्रमुख चुनावी मुद्दे बन गए थे, जिसे भाजपा ने विधानसभा की कुल 200 सीटों में से 115 सीटों के आरामदायक अंतर से जीत लिया था। राजस्थान के युवा सरकारी परीक्षाओं, खासकर शिक्षक भर्ती परीक्षाओं में पेपर लीक से बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। पिछले एक दशक में 25 से ज़्यादा पेपर लीक हो चुके हैं, चाहे सत्ता में कोई भी सरकार रही हो।
भविष्य की चुनौतियाँ और संभावनाएं
भाजपा सरकार के इस निर्णय से महिलाओं को निश्चित रूप से लाभ मिलेगा, लेकिन बेरोजगार पुरुषों की चिंताओं को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि सरकार इस निर्णय को कैसे कार्यान्वित करती है और इसके प्रभावों का कैसे प्रबंधन करती है।