विश्व धरोहर दिवस 2020: यह दिन मानव विरासत, विविधता और एकीकृत निर्मित स्मारकों और विरासत स्थलों को बचाए रखने की जागरुकता और इन्हें बचाए रखने का प्रण है। साथ ही, धरोहरों के संरक्षण के लिए खास प्रयास किए जाते हैं। हम सभी जानते हैं कि प्राचीन इमारतें और स्मारक हमारे लिए और दुनिया के लिए एक संपत्ति हैं। इसलिए, विश्व धरोहर दिवस विश्व के समुदायों के लिए सामूहिक प्रयास है, जो जरूरतमंदों के लिए किया जाए। यह दिन सांस्कृतिक विरासत को बनाए रखता है और लोगों को इसकी संवेदनशीलता और इसके महत्व को समझाता है।
क्या है इस साल की थीम
विश्व विरासत दिवस 2020 का विषय ‘साझा संस्कृति,साझा विरासत’ और’ साझा जिम्मेदारी’ (‘Shared Culture, Shared heritage and Shared responsibility’) है। आज जहां पूरी दुनिया COVID-19 महामारी से लड़ रही है, यह विषय महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। COVID-19 के प्रकोप के कारण, संगठन ने इंटरनेट के माध्यम से विश्व विरासत दिवस मनाने का निर्णय लिया है। विषय वर्तमान वैश्विक स्वास्थ्य संकट के साथ वैश्विक एकता पर केंद्रित है। यह इस बात को भी मानता है कि धरोहरों, स्थानों आदि के साथ विरासत जुड़ी हुई है या नहीं, इसका मूल्यांकन कई और विविध समूहों और समुदायों द्वारा किया जाना चाहिए।
क्या है विश्व धरोहर दिवस का इतिहास
संरक्षित स्थलों पर जागरूकता के लिए सांस्कृतिक-ऐतिहासिक एवं प्राकृतिक विरासतों की विविधता और रक्षा के लिए 18 अप्रैल को वर्ल्ड हेरिटेज डे मनाने की शुरुआत हुई। ट्यूनीशिया में इंटरनेशनल काउंसिल ऑफ माउंटेन्स एंड साइट द्वारा आयोजित एक संगोष्ठी में 18 अप्रैल,1982 को विश्व धरोहर दिवस मनाने का सुझाव दिया गया, जिसे कार्यकारी समिति द्वारा मान लिया गया। नवंबर,1983 में यूनेस्को के सम्मेलन के 22वें सत्र में हर साल 18 अप्रैल को वर्ल्ड हेरिटेज डे मनाने का प्रस्ताव पारित कर दिया गया।
कैसे किया जाता है धरोहरों का संरक्षण
किसी भी धरोहर को संरक्षित करने के लिए दो संगठनों अंतरराष्ट्रीय स्मारक एवं स्थल परिषद और विश्व संरक्षण संघ द्वारा आकलन किया जाता है। फिर विश्व धरोहर समिति से सिफारिश की जाती है। समिति वर्ष में एक बार बैठती है और यह निर्णय लेती है कि किसी नामांकित संपदा को विश्व धरोहर सूची में सम्मिलित करना है या नहीं। विश्व विरासत स्थल समिति चयनित खास स्थानों, जैसे-वन क्षेत्र, पर्वत, झील, मरुस्थल, स्मारक, भवन या शहर इत्यादि की देख-रेख यूनेस्को से सलाह करके करती है।
18 अप्रैल को हर साल दुनिया भर में विश्व धरोहर दिवस मनाया जाता है, ताकि वैश्विक समुदायों के बीच विरासत के बारे में जागरूकता पैदा हो सके।
विश्व विरासत दिवस की घोषणा 1982 में अंतर्राष्ट्रीय स्मारकों और स्थलों के परिषद (आईसीओएमओएस) ने की थी। इसे सांस्कृतिक विरासत, स्मारकों के महत्व और उनके संरक्षण के बारे में जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से 1983 में यूनेस्को की आम सभा द्वारा अनुमोदित किया गया था। आईसीओएमओएस वेनिस चार्टर में स्थापित सिद्धांतों पर इसे स्थापित किया गया था, जिसे स्मारकों और स्थलों के संरक्षण हेतु 1964 का अंतर्राष्ट्रीय चार्टर भी कहा जाता है। भारत में कुल 36 (1 मिश्रित, 7 प्राकृतिक और 28 सांस्कृतिक) यूनेस्को द्वारा घोषित विश्व विरासत स्थल हैं जो विशेष रूप से सांस्कृतिक या भौतिक महत्व रखते है।