नई दिल्ली: दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि नई शराब नीति उपराज्यपाल की मंजूरी के बाद ही लाई गई थी। उन्हीं के अड़चन डालने के बाद राज्य सरकार को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा है।
इस लिए शराब नीति के मुद्दे पर तत्कालीन उपराज्यपाल से सवाल पूछा जाना चाहिए।
सिसोदिया ने शनिवार को एक प्रेसवार्ता के दौरान कहा कि नई शराब नीति में दुकान बढ़ाने नहीं, बल्कि पूरी दिल्ली में बराबरी से दुकान बांटने का प्रस्ताव था।
शुरु में उपराज्यपाल ने इस प्रस्ताव पर कोई आपत्ति नहीं जताई थी लेकिन जब शराब की दुकानों की फाइल उनके पास गई तो उन्होंने अपना मन बदल लिया। उसके बाद उन्होंने कई शर्तें रख दी।
उन्होंने बाद में यह कहा कि शराब की दुकान खोलने से पहले डीडीए और एमसीडी से पूछा जाए। सिसोदिया ने कहा कि इससे पहले भी अनधिकृत स्थानों पर शराब की दुकान खोलने के लिए उपराज्यपाल आदेश देते आए थे। यह कोई नई बात नहीं थी।
सिसोदिया ने कहा कि शराब नीति तैयार करने के दौरान उपराज्यपाल से चर्चा की गई थी। उनके सुझाव को नई शराब नीति में शामिल किया गया था। ऐसे में सवाल उपराज्यपाल से पूछना चाहिए। उन्होंने कहा कि राज्य के उपराज्यपाल ने अपना निर्णय उस समय बदला जब शराब की दुकानों के लाइसेंस की फाइल उनके पास गई थी।
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