“ नक्सलवाद का बदलता स्वरूप ”

SHUBHAM SHARMA
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ज्योति शर्मा : भारत देश में नक्सली हमलों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है . यह देश की बड़ी समस्या में से एक है . इस प्रकार के हमलों में हमारे कई वीर सैनिक शहीद हो जाते हैं. वर्तमान समय में भारत के आंतरिक सुरक्षा के लिए सबसे गंभीर खतरा नक्सलवाद है . भारत देश के कई राज्य आज नक्सलवाद हिंसात्मक घटनाओं से लगातार जूझ रहे हैं .

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इन घटनाओं के सामने आने से यह प्रश्न हमारे सामने आ खड़ा होता है कि आखिर नक्सली घटनाओं की वजह क्या है? नक्सली कौन है? या वे क्या चाहते हैं? और साथ ही आंतरिक अर्थात भारत के अंदर  के ही लोग होने के बावजूद वे ऐसा क्यों कर रहे हैं? उन्हें हथियार कैसे प्राप्त होते हैं? ऐसे में कुछ सिद्धांतवादी वर्ग एक ओर नक्सलवाद को आतंकवाद जैसी गतिविधियों से जोड़ते हैं कि यह देश की आंतरिक सुरक्षा को खतरा व बड़ी चुनौती है, तो  वही दूसरा वर्ग इसे सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक रूप से पिछड़े वर्गों एवं दमन शोषण की वेदना से जन्मा एक हिंसक विद्रोही आंदोलन  कहता है .

असल में भारत में नक्सलवाद की शुरुआत भारतीय कम्युनिस्ट आंदोलन के फलस्वरूप हुई . ‘नक्सल’ शब्द की उत्पत्ति पश्चिम बंगाल के छोटे से गांव नक्सलबाड़ी से हुई है . भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी  के नेता  चारु माजूमदार और कानू सान्याल ने 1967 में सत्ता के खिलाफ एक सशस्त्र आंदोलन शुरु किया। माजूमदार चीन के कम्यूनिस्ट नेता माओत्से तुंग के बड़े प्रशसंक थे।

इसी कारण नक्सलवाद को ‘माओवाद’ भी कहा जाता है। बंगाल के गाँव ‘नक्सलबाड़ी’ के किसानों ने सन् 1967 में एक आन्दोलन प्रारम्भ किया। इसका नाम नक्सलवाद पड़ा। इसमें किसान, मजदूर, आदिवासी आदि सम्मिलित थे। सन् 1969 में पहली बार भूमि अधिग्रहण को लेकर पूरे देश में सत्ता के खिलाफ एक व्यापक लड़ाई शुरु कर दी । भूमि अधिग्रहण को लेकर देश में सबसे पहले आवाज नक्सलवाड़ी से ही उठी थी ।

आंदोलनकारी नेताओं का मानना था कि ‘ जमीन उसी को जो उस  पर खेती  करें’। शीघ्र  ही यह आंदोलन देश  के  कुछ हिस्सों में अपने पैर पसारने में कामयाब हो गया और सामाजिक जागृति के लिए शुरू हुए इस आंदोलन पर कुछ वर्षों बाद राजनीति का वर्चस्व बढ़ने लगा और आंदोलन जल्द ही अपने मुद्दों से भटक गया और हिंसात्मक रूप लेने लगा .  

जब यह आन्दोलन बिहार पहुँचा तो यह लड़ाई जमीनों के लिए न होकर जातीय वर्ग में तब्दील हो गयी। यहाँ से उच्च वर्ग और मध्यम वर्ग के बीच उग्र संघर्ष शुरू हुआ। यहीं से नक्सल आन्दोलन ने देश में नया रूप धारण किया।

वर्तमान भारत के पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, छत्तीसगढ़, झारखण्ड, केरल, बिहार, मध्यप्रदेश , उत्तर प्रदेश आदि राज्यों तक इस आन्दोलन की पहुँच हो गई है। सरकार के मुताबिक देश के करीब 90 जिले नक्सलवाद से जूझ रहे हैं .

 छत्तीसगढ़ में एक बार फिर नक्सलियों ने बड़ा हमला किया है जिसमे नक्सलियों ने बीजापुर में जवानों के ऊपर हमला कर दिया जिसमें 23  जवान शहीद  हो गए और कई जवान घायल अवस्था में है  और कई जवान अब भी लापता हैं . इससे पहले भी नक्सली हमलों में  हमारे कई जवान शहीद हो गए हैं.

गृह मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार 2011 से लेकर 2020 तक 10 सालों में छत्तीसगढ़ में 3,722 नक्सली घटनाएं हुई हैं . पिछले 10 सालों में राज्य में सुरक्षाबलों ने एक तरफ 656 नक्सलियों को मार गिराया, वहीं दूसरी तरफ नक्सली घटनाओं में 736 आम लोगों की जान गई, जबकि 489 जवान शहीद हुए .

नक्सलवादी घटनाओं को देखें तो वर्ष 2007 में  छत्तीसगढ़ के बस्तर में  55 पुलिसकर्मियों को मौत के घाट उतार दिया गया . वर्ष 2008 में उड़ीसा के नयागढ़ में नक्सलवादियों ने 14 पुलिसकर्मी और एक नागरिक की हत्या कर दी .

2009 में महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में एक बड़े नक्सली हमले में 15 सीआरपीएफ जवानों की मौत हो गई .  2010 में नक्सलवादियों ने कोलकाता मुंबई ट्रेन में 150 यात्रियों की हत्या कर दी .  इसी वर्ष पश्चिम बंगाल के सिल्दा कैंप में घुसकर नक्सलवादियों ने 24 अर्ध सैनिक  जवान शहीद हुए .

वर्ष 2010 में  छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में सबसे  बड़े नक्सलवादी हमले में 76 जवान शहीद हो गए . वर्ष  2012 में झारखंड के गढ़वा जिले के पास बरिगंवा जंगल में 13 पुलिसकर्मियों को मार दिया गया . वर्ष 2012 में 370 नक्सली हमले हुए, जिसमें 46 जवान शहीद हो गए .

2013 छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में नक्सलियों ने 27 व्यक्तियों को मार दिया . इसी वर्ष नक्सली हमले 355 बार हुए जिसमें 44 जवान शहीद हो गए . वर्ष 2014 में 200 नक्सलियों द्वारा घात लगाकर पुलिस और सी. आर. पी. एफ. के 15  जवानों को मार दिया गया .

वर्ष 2014 में 60 जवान शहीद हुए . वही वर्ष 2015 में 48 जवान ,वर्ष  2016 में 38 , वर्ष  2017 में 60, वर्ष 2018 में 55,  वर्ष 2019 में 22 , वर्ष  2020 में 36 जवान  शहीद हुए. वर्ष 2021 में छत्तीसगढ़ के बीजापुर में सुरक्षा बलों के 23 जवान शहीद हो गए और 31 जवान घायल हुए .

नक्सलियों को रोकने के लिए कई अभियान भी सरकार के द्वारा चलाए गए हैं जिनमें स्टीपेलचेस अभियान,ग्रीनहंट अभियान,प्रहार जैसे नक्सलियों के विरुद्ध अभियान चलाएँ गए लेकिन फिर भी नक्सली घटनाएं लगातार  हमारे सामने आ रही है .

इस प्रकार कहा जा सकता है कि भूमि अधिग्रहण को लेकर उठी आवाज आज बिल्कुल बदले हुए रूप में हमारे सामने है .

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Shubham Sharma – Indian Journalist & Media Personality | Shubham Sharma is a renowned Indian journalist and media personality. He is the Director of Khabar Arena Media & Network Pvt. Ltd. and the Founder of Khabar Satta, a leading news website established in 2017. With extensive experience in digital journalism, he has made a significant impact in the Indian media industry.
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