नई दिल्ली। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (आईजीएनसीए)के समवेत ऑडिटोरियम में मंगलवार को अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के अवसर पर डॉ. यति शर्मा के उपन्यास ‘आधी रात की नींद’ और विदुषी शर्मा द्वारा संपादित बहुभाषी काव्य संकलन ‘अखंड भारतःयुगद्रष्टा’ पुस्तक का लोकार्पण हुआ।
इस दौरान सुप्रसिद्ध कवि अशोक चक्रधर,कला केंद्र के सदस्य सचिव डॉ. सच्चिदानंद जोशी उपस्थित रहे।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए अशोक चक्रधर ने कहा कि बदलती पीढ़ियों के बीच उम्मीदें कायम रहती हैं और नई पीढ़ी के बच्चे भी शून्य में रंग भरेंगे। चक्रधर ने व्यंग्यात्मक लहजे में अपनी एक कविता के हवाले से कहा कि आजादी के बाद की पहली पीढ़ी में ‘सदाचरण’ मौजूद था।
पीढ़ियों के साथ एक- एक कर वह ‘आचरण’, ‘चरण’, ‘रण’ और ‘ण’ में बदल गया। ‘ण’ को हम ‘न’ के रूप में भी देखते हैं और ‘न’ को शून्य समझना चाहिए। साथ ही यह न भूलें कि शून्य विश्व को दिया हमारा उपहार है। अब नई पीढ़ी इसे नया रंग देगी।
डॉ. सच्चिदानंद जोशी ने मातृभाषा के महत्व को समझाते हुए प्रतिपादित किया कि बदलते माहौल में माताएं भी अपनी भाषा संतानों को नहीं दे रही हैं।
परिमामस्वरूप देश की कई भाषाएं लुप्त होती गईं। अब हर पांच साल में पीढ़ी बदल रही है। ऐसे में मौजूद लोगों का दायित्व है कि आने वाली पीढ़ियों को अपनी भाषा और संस्कृति से जोड़े रखें।
उल्लेखनीय है कि कार्यक्रम को डॉ. यति शर्मा और विदुषी शर्मा ने भी संबोधित किया। आयोजन के दूसरे सत्र में बहुभाषी काव्यपाठ की प्रस्तुति हुई।