ISRO Shared Satellite Images Of Joshimath: उत्तराखंड में जोशीमठ शहर पर एक बहुत ही भयंकर संकट मंडरा रहा है, इस संकट से निपटने के लिए निरंतर ही अनेकों प्रयास किए जा रहे हैं. जोशीमठ शहर को धंसने से बचाने के लिए पूरी तरह से जद्दोजहद जारी है.
हाल ही में ISRO (Indian Space Research Organization) ने कुछ सैटेलाइट तस्वीरें (ISRO Shared Satellite Images Of Joshimath) जारी की हैं जिससे आसानी से समझा और पता लगाया जा सकता है कि जोशीमठ शहर बीते 12 दिनों में लगभग 5 से.मी. तक धंस चूका है. हालांकि, जोशीमठ शहर में हो रहा धंसाव शहर के बीचो बीच (मध्य भाग) तक सीमित है.
जानकारी के लिए आपको बता दें कि जोशीमठ (Joshimath) जिसे बद्रीनाथ (Badrinath) और हेमकुंड साहिब (Hemkund Sahib) जैसे प्रसिद्ध तीर्थ स्थल (Teerth Sthal) और औली का प्रवेश द्वार कहा जाता है, धंसता जा रहा है.
जोशीमठ में 2 जनवरी 2023 से हुई जमीन धंसने की घटना तेज
ISRO (Indian Space Research Organization) द्नेवारा जारी फोटो से पता चला है कि जोशीमठ (Joshimath) शहर केवल 12 दिनों में 5.4 सेमी धंस गया है. जमीन धंसने की यह घटना दो जनवरी से शुरू हुई.
12 दिनों में 5.4 सेंटीमीटर तक धंसा जोशीमठ
ये तस्वीरें सेंटिनल-1 SAR इमेजरी पर आधारित हैं, जिसे DInSAR तकनीक का उपयोग करके प्रोसेस किया गया ताकि क्षेत्र में संभावित स्थानों और भूमि धंसाव की सीमा की बेहतर पहचान की जा सके.
इसरो इन सैटेलाइट तस्वीरों को जारी करते हुए कहा कि 27 दिसंबर, 2022 से 8 जनवरी, 2023 के बीच शहर के जमीन में धंसने की घटना तेजी हुई है.
बताते चलें कि ये तस्वीरें कार्टोसैट-2एस सैटेलाइट से ली गई हैं. एनआरएससी की रिपोर्ट में कहा गया, “यह घटना हालांकि जोशीमठ शहर के मध्य भाग तक ही सीमित है. इसमें एक सामान्य भूस्खलन आकार जैसे दिखने वाले एक धंसाव क्षेत्र की पहचान की गई थी.
उत्तराखंड कैबिनेट की मीटिंग में लिए गए कई फैसले
- गृह मंत्री अमित शाह ने गुरुवार स्थिति का जायजा लिया.
- जोशीमठ मामले पर उत्तराखंड कैबिनेट की मीटिंग में विस्थापित परिवारों के लिए बड़े फैसले लिए गए हैं.
- विस्थापन के लिए पीपलकोटी, गौचर, ढाक, कोटिफार्म, सेलांग के साथ साथ नई जगहें चिन्हित की गईं हैं.
- बिजली और पानी बिल नवंबर से 6 महीने के लिए माफ किया जाएगा.
- मकान मालिक के लिए किराया 5000 तक बढ़ाया जाएगा, वहीं राहत शिविर में प्रति कमरा 950 रुपये अधिकतम रेंट पर दिया जाएगा.
- खाने के लिए हर रोज एक आदमी पर 450 रुपये खर्च किए जाएंगे.
- जो लोग विस्थापित हो रहे हैं उनके परिवार में 2 लोगों को मनरेगा में काम मिलेगा.
- साथ ही कैबिनेट मंत्री 1 महीने की सैलरी मुख़्यमंत्री राहत कोष में दान करेंगे.