नई दिल्ली: लद्दाख सीमा (Ladakh Border) पर तनातनी के बीच सोमवार (7 सितंबर) को करीब 50 चीनी सैनिक मुखपरी चोटी के पास भारतीय पोस्ट की ओर बढ़ते दिखाई दिए. सूत्रों का कहना है कि चीनी सैनिकों का मकसद सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण मुखपरी चोटी और रेकिन ला क्षेत्र से भारतीय सेना को हटाना था. लेकिन भारतीय सेना ने चीन से निपटने की पूरी तैयारी कर ली है. रेजांग ला में 7 सितंबर की शाम क्या-क्या हुआ, चीन के विरुद्ध हिंद की सेना के शौर्य की पूरी कहानी जानिए:
पैंगोंग झील के दक्षिण छोर पर शेनपाओ पहाड़ी के पास एक इलाका रेजांग ला है. सूत्रों के मुताबिक, रेजांग ला के उत्तर में चीन के करीब 50 सैनिक भारतीय क्षेत्र में बढ़ते हुए दिखाई दिए. भारतीय सेना पहले से मुस्तैद थी. भारतीय सैनिकों ने घुसपैठ को रोकने के लिए हवा में फायरिंग की. गोली हवा में चली, और चीन डर गया. उसे याद आया, गलवान में क्या हुआ था और फिर पैंगोंग में भारत का जवाब भी याद आने लगा. सूत्रों के मुताबिक, चेतावनी के बाद चीन के सैनिक वापस लौट गए. इस घटना में किसी के घायल होने की खबर नहीं मिली है.
दरअसल चीन को 15-16 जून की रात याद आई. भारत-चीन सीमा पर गलवान घाटी में जब चीन के सैनिकों ने अतिक्रमण की कोशिश की थी और भारतीय सेना ने चीन के सैनिकों को मुंहतोड़ जवाब दिया. भारतीय सेना के जवाब में चीन के 45-50 सैनिक मारे गए थे. भारतीय सेना के 20 जवान देश की सीमा की रक्षा के लिए शहीद हो गए थे. चीन को डर इस बात का भी डर था कि 29-30 अगस्त की रात हिंदुस्तान के शूरवीरों के जिस शौर्य को चीन ने देखा था, कहीं उस शौर्य और पराक्रम से उसका सामना दोबारा न हो जाए. 29-30 अगस्त की रात पैंगोंग के ब्लैक टॉप पर भी चीन ने कब्जा जमाने की कोशिश की थी लेकिन भारतीय सैनिकों ने चीन के दुस्साहस को नाकाम कर दिया था और ब्लैक टॉप पर तिरंगा लहरा दिया था.
बताया गया कि वहां चीन के सर्विलांस सिस्टम और कैमरे भी लग चुके थे लेकिन इनसे बचते हुए भारत के जांबाज चोटी तक पहुंचे और अब भारतीय जवान ब्लैक टॉप पर ऊंचाई पर बैठे हैं. अक्सर चीन की सेना सर्दियों में घुसपैठ की साजिश रचती है, लेकिन गलवान से लेकर पैंगोंग तक भारत के पराक्रम के बाद अब चीन ऐसी हिमाकत करने से पहले 100 बार सोचेगा.