सिवनी/ बरघाट/भोपाल। (एस. शुक्ला.) जिले में धान खरीदी को लेकर इस बार हालात बेहद उलझ गए हैं। महिलाओं के स्व-सहायता समूहों (SHGs) द्वारा जमा की गई 41 फाइलें अब सिर्फ 26 बचे हुए उपार्जन केंद्रों पर अटक गई हैं। जिला स्तर से लेकर भोपाल स्थित खाद्य संचालनालय तक पूरा सिस्टम इस पेच में फंसा हुआ है कि किस समूह को मौका मिले और किसे बाहर का रास्ता दिखाया जाए!
स्थिति इतनी गंभीर है कि विभागीय दफ्तरों में पूरे दिन “किस-किस की फाइल ड्रॉप डाउन में आएगी?” इसका ही गुणा-भाग चलता रहा। सूत्र बताते हैं कि खाद्य संचालनालय भोपाल ने स्पष्ट आदेश दिए हैं— ➡️ जितने केंद्र, केवल उतनी ही फाइलें स्वीकृत होंगी। ऐसे में 41 फाइलें और 26 केंद्रों के बीच अब बड़ा टकराव सामने आ गया है।
महिला समूहों में बेचैनी: “कौन रहेगा अंदर, कौन होगा बाहर?”
SHG की 41 फाइलें जमा हैं, पर धान खरीदी के लिए अंतिम आवंटन 26 केंद्रों तक सीमित है।
अब सवाल ये है कि—
👉 15 समूहों को बाहर कौन करेगा?
👉 किस आधार पर चयन होगा?
सूत्र बताते हैं कि विभाग ने पुराने रिकॉर्ड खोलने शुरू कर दिए हैं।
जिन समूहों पर—
- पिछले वर्षों की खरीदी में अनियमितताओं के आरोप हैं,
- सार्टेज की वसूली बाकी है,
- या कार्यप्रणाली को लेकर विवाद हुए हैं…
उन्हें इस बार सबसे पहले लिस्ट से बाहर किया जा सकता है।
नए समूहों की एंट्री ने भी संकट बढ़ा दिया है—अब विभाग को पुराने और नए समूहों में संतुलन बनाना मुश्किल हो रहा है।
बरघाट विकासखंड बनेगा ‘हॉट स्पॉट’, बढ़ सकती है राजनीति
जिले में कुल करीब 60 उपार्जन केंद्र पहले से स्थापित हैं, जिनमें महिलाओं को लगभग 25–30 केंद्र मिलने की संभावना है।
लेकिन असली ड्रामा बरघाट विकासखंड में होना तय माना जा रहा है—
- यहाँ 14–15 केंद्र मौजूद हैं
- जबकि 12 महिला समूह पहले ही आवेदन भेज चुके हैं
- सभी फाइलें भोपाल तक पहुंच चुकी हैं
सबसे बड़ा पेंच यह है कि अगर बरघाट के केंद्रों पर जिले के अन्य ब्लॉकों के समूहों को मौका मिला, तो बड़ा विवाद खड़ा हो सकता है।
पिछली खरीदी में ऐसा हो चुका है, और इस बार समूहों ने क्षेत्रीय विधायक से भी गुहार लगाई है कि “हमारे केंद्र हमीं को मिले!”
कुरई, केवलारी और लखनादौन में मिलाकर सिर्फ 13–14 केंद्र ही खाली हैं।
ऐसे में राजनीतिक दबाव, क्षेत्रीय समीकरण और समूहों की लॉबी खुलकर सामने आने के संकेत हैं।
रिकॉर्ड की बारीकी से जांच—ड्रॉप डाउन लिस्ट पर टिकी निगाहें
खाद्य संचालनालय ने आदेश जारी करते हुए स्पष्ट कहा है कि—
➡️ जिन केंद्रों की संख्या तय है, केवल उतने ही समूह चुने जाएंगे।
अब जिला व ब्लॉक स्तर पर पहले किए गए धान-गेहूं उपार्जन की—
- जांच,
- रिकॉर्ड वेरिफिकेशन,
- अनियमितता फ़ाइलें,
- सार्टेज रिकवरी लिस्ट
सब कुछ तेजी से खंगाला जा रहा है।
सबसे अहम बात—
👉 ड्रॉप डाउन लिस्ट गोपनीय रखी जा रही है।
👉 लिस्ट भोपाल जाएगी, तभी पता चलेगा कि किसका नाम अंदर है और किसका बाहर।
सूत्रों के अनुसार, कई समूहों ने तो अब भोपाल की दौड़ शुरू भी कर दी है ताकि उनका नाम सूची में सुरक्षित रहे।
अब इंतजार केवल ‘ड्रॉप डाउन लिस्ट’ का
जिले में धान खरीदी की तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी हैं।
01 दिसंबर से खरीदी शुरू होने के लगभग पक्के संकेत हैं।
ऐसे में समूहों को आवंटित होने वाले केंद्रों की अंतिम सूची अब सबसे बड़ा सवाल है।
किसी 15 समूहों का सपना टूटेगा—और 26 समूहों का नया सफर शुरू होगा…
पूरा जिला इसी इंतज़ार में है कि—
👉 ड्रॉप डाउन में आखिर किसका नाम आएगा?
👉 किसे धान खरीदी का अधिकार मिलेगा?
👉 और किसे आखिरी समय पर बाहर का रास्ता दिखा दिया जाएगा?
आने वाला समय इन सभी सवालों पर से पर्दा उठाएगा।
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