रूस का पीछा नहीं छोड़ रहा है एलेक्‍सी नवलनी का साया, यूरोपीय देशों पर भड़का हुआ है रूस

Khabar Satta
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खबर सत्ता डेस्क, कार्यालय संवाददाता
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मास्‍को। रूस ने अपने ऊपर लगाए गए पर यूरोपीयन यूनियन के प्रतिबंधों के खिलाफ जर्मनी, स्‍वीडन और फ्रांस के राजदूत को तलब कर कड़ी नाराजगी जाहिर की है। इन देशों समेत यूरोपीय संघ ने रूस के विपक्षी नेता एलेक्‍सी नवलनी को जहर दिए जाने की घटना के मद्देनजर रूसी राष्‍ट्रपति के करीबी नेताओं और अधिकारियों पर प्रतिबंध लगाया है। आपको बता दें कि एलेक्‍सी को इस वर्ष 20 अगस्‍त में उस वक्‍त जहर दिया गया था जब वो साइबेरिया से मास्‍को जा रहे थे। विमान में अचानक बेहोश होने के बाद उन्‍हें वहां के स्‍थानीय अस्‍पताल में भर्ती कराया गया था।

इस घटना के बाद उन्‍हें कुछ दिनों बाद जर्मनी के अस्‍पताल में भर्ती कराया गया जहां पर उनके शरीर में ऐसे तत्‍व मिलने की पुष्टि हुई जो जानलेवा साबित हो सकते थे। फ्रांस और स्‍वीडन की तीन अलग-अलग लैब में हुई जांच में पता चला कि उन्‍हें घातक जहर नोविचोक दिया गया था। हेग की संस्‍था ने भी उनके खून का नमूना जांच के लिए लिया था। जहर दिए जाने की घटना के कुछ दिनों बाद तक एलेक्‍सी कोमा में ही रहे थे। इस दौरान उन्‍हें वेंटिलेटर पर भी रखा गया था। करीब एक माह बाद उनकी हालत में सुधार हुआ और उनके ठीक होने की पुष्टि की गई। ठीक होने के बाद एलेक्‍सी नवलनी ने कहा था कि उन्‍हें अभी लंबा रास्‍ता तय करना है जिसके लिए वो वापस रूस आ रहे हैं। उन्‍होंने अपने स्‍वस्‍थ होने के साथ अपनी कुछ तस्‍वीरें भी इंस्‍टाग्राम पर पोस्‍ट की थीं। इसमें वो सीढ़ी से नीचे उतरते नजर आ रहे थे

इस पूरे मामले पर जहां यूरोपीय देशों ने रूस से सफाई मांगी थी वहीं रूस ने इस पूरे मामले में किसी भी तरह का षड़यंत्र रचने से साफ इनकार कर दिया था। वहीं अमेरिका इस पूरे मामले में हैरतअंगेज रूप से चुप खड़ा हुआ दिखाई दिया था। अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप ने कहा कि वो इस घटना के बारे में नहीं जानते हैं कि क्‍या हुआ। रूसी नेता को जहर देकर मारने की कोशिश का मामला पूरी दुनिया में छाया रहा था। यूरोपीय देशों ने सीधेतौर पर इसके लिए रूसी सरकार को जिम्‍मेदार ठहराया था। ठीक होने के बाद नवलनी ने सोशल मीडिया पर लिखा कि उन्‍हें जहर देने के पीछे खुद रूस के राष्‍ट्रपति व्‍लादिमीर पुतिन का हाथ था। एलेक्‍सी इलाज के दौरान करीब 32 दिनों तक अस्‍पताल में भर्ती रहे थे।

नाटो समेत जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल ने भी कहा था कि एलेक्‍सी को नर्व एजेंट दिया गया था। आपको बता दें कि नर्व एजेंट एक ऐसा घातक जहर होता है जिससे कुछ की मिनट में इंसान की मौत हो सकती है। बताया जाता है कि रूस के पास दुनिया के सबसे घातक नर्व एजेंट मौजूद हैं। रूस पर पहले भी कई बार अपने विरोधियों को हमेशा के लिए इस तरह से खामोश कराने के आरोप लगते रहे हैं। जहां तक रूस पर प्रतिबंध लगाने की बात है तो इसकी शुरुआत यूरोपीय देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक में अक्‍टूबर में जर्मनी ने इसकी पहल की थी। इसके बाद ही ईयू इसके समर्थन में आया था।

रूस में एलेक्‍सी की गिनती एक विपक्षी नेता से अलग राष्‍ट्रपति पुतिन के घोर विरोधी के रूप में की जाती है। वर्ष 2008 में उन्‍होंने अपने ब्‍लॉग के के जरिए रूस की कंपनियों और नेताओं की कथित धांधली को उजागर किया था। इसकी वजह से कई अधिकारियों और नेताओं को अपना पद तक छोड़ना पड़ा था। 2011 में उन्‍हें गिरफ्तार कर 15 दिन जेल की सजा सुनाई गई थी। उनपर आरोप था कि उन्‍होंने देश की संसद के बाहर सरकार विरोधी रैली की और इसके लिए ब्‍लॉग को सहारा बनाया।

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