भारत को उम्मीद, बाकी क्षेत्रों से भी सेना पीछे हटाने पर काम करेगा चीन, चीन के उप विदेश मंत्री से मिले भारतीय राजदूत

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खबर सत्ता डेस्क, कार्यालय संवाददाता
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नई दिल्ली। भारत ने शुक्रवार को उम्मीद जताई कि वर्तमान द्विपक्षीय परामर्श तंत्र के जरिये चीन पूर्वी लद्दाख के बाकी क्षेत्रों में भी सेनाओं को जल्द से जल्द पीछे करने की प्रक्रिया पूरी करने की दिशा में काम करेगा ताकि दोनों पक्ष सेनाओं में कमी लाने पर विचार कर सकें।साप्ताहिक मीडिया ब्रीफिंग में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने बताया कि विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने पिछले हफ्ते अपने चीनी समकक्ष वांग यी के साथ विस्तार से बात की थी। इस दौरान दोनों नेताओं ने हाटलाइन स्थापित करने पर सहमति व्यक्त की जिसका विवरण राजनयिक चैनलों के जरिये तय किया जाएगा। श्रीवास्तव ने कहा कि सीमा पर सिर्फ सैनिकों की संख्या में कमी के जरिये ही शांति व सद्भाव बहाल होगा और द्विपक्षीय संबंधों में प्रगति का अनुकूल माहौल बनेगा।

पाक के साथ सामान्य संबंधों की जताई इच्छा

भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम समझौते की निगरानी के सवाल पर अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि इस बारे में रक्षा मंत्रालय से पूछा जाना चाहिए। साथ ही उन्होंने कहा, ‘पाकिस्तान समेत सभी पड़ोसियों के साथ भारत सामान्य रिश्ते चाहता है। हम लगातार कहते रहे हैं कि भारत और पाकिस्तान के बीच अगर कोई मुद्दा है तो उसका समाधान द्विपक्षीय और शांतिपूर्ण तरीके से किया जाना चाहिए। प्रमुख मसलों पर हमारे रुख में कोई बदलाव नहीं आया है।’

म्यांमार में सैन्य तख्तापलट पर करीब से नजर

म्यांमार में सैन्य तख्तापलट के बारे में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, ‘म्यांमार में हालात पर हम करीब से नजर रख रहे हैं। इस पर हम अपने साझीदार देशों से बात कर रहे हैं। हमने कहा है कि इस मसले का समाधान शांतिपूर्ण तरीके से होना चाहिए।’

श्रीलंका का दावा तथ्यात्मक रूप से गलत

अनुराग श्रीवास्तव ने श्रीलंका के उस दावे को तथ्यात्मक रूप से गलत करार दिया जिसमें उसने कहा था कि कोलंबो बंदरगाह के वेस्ट कंटेनर टर्मिनल (डब्लूसीटी) को भारतीय उच्चायोग ने मंजूरी प्रदान कर दी है। श्रीवास्तव ने कहा कि इस परियोजना पर श्रीलंका सरकार ने निवेशकों से सीधे बात की है।

ग्रेटा थनबर्ग की टिप्पणी भारत व स्वीडन के बीच द्विपक्षीय मुद्दा नहीं

भारतीय विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा कि कृषि कानून विरोधी आंदोलन पर पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग की हालिया टिप्पणी भारत और स्वीडन के बीच द्विपक्षीय मुद्दा नहीं है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और स्वीडन के प्रधानमंत्री स्टीफन लोफवेन के बीच शुक्रवार को हुई आनलाइन बैठक में यह मुद्दा नहीं उठा।बैठक के बाद स्पेशल ब्रीफिंग के दौरान विदेश मंत्रालय में सचिव (पश्चिम) विकास स्वरूप से इस बारे में सवाल किया गया था। बैठक में हुई बातचीत के बारे में स्वरूप ने बताया, ‘दोनों प्रधानमंत्रियों ने कहा कि रक्षा क्षेत्र भारत और स्वीडन के बीच दीर्घकालिक सहयोग का अहम क्षेत्र है। साथ ही हम स्वीडन की इस दिलचस्पी से परिचित हैं कि ग्रिपेन विमानों का भारत में उत्पादन हो और इसे दोहराया गया।’ बता दें कि ग्रिपेन विमानों की निर्माता साब कई मौकों पर इन विमानों को भारत में, भारतीयों द्वारा और निर्यात के लिए उत्पादन का प्रस्ताव दे चुकी है।

चीन के उप विदेश मंत्री से मिले भारतीय राजदूत

चीन में भारत के राजदूत विक्रम मिसरी ने शुक्रवार को उप विदेश मंत्री लुओ झाओहुई से मुलाकात की। इस दौरान पूर्वी लद्दाख में सीमा के बाकी हिस्सों से सेनाएं पीछे हटाने के मसले पर चर्चा हुई। उन्होंने कहा कि इससे दोनों देशों में शांति एवं सौहार्द बढ़ाने में मदद मिलेगी।

हॉट स्प्रिंग, गोगरा और डेपसांग इलाकों से सेनाएं हटाने के मसले पर वार्ता चल रही

आपसी सहमति के बाद भारत और चीन ने पैंगोंग लेक इलाके से सेनाओं को पीछे हटा लिया है। हॉट स्प्रिंग, गोगरा और डेपसांग इलाकों से सेनाएं हटाने के मसले पर वार्ता चल रही है। भारतीय दूतावास ने ट्वीट कर मिसरी और झाओहुई की मुलाकात की जानकारी दी।

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