नई दिल्ली। भारतीय राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री समेत हजारों प्रमुख हस्तियों की चीन की टेक्नोलॉजी कंपनी के जरिए निगरानी के मामले में फिलहाल सरकारी स्तर पर कोई कार्रवाई तो नहीं हो सकती है, लेकिन सरकार चौकन्नी जरूर है। वरिष्ठ अधिकारियों का मानना है कि चीनी मंशा की जानकारी बहुत पहले से थी और इसीलिए उसके 244 एप पर प्रतिबंध लगाया गया। लेकिन इस मामले में चीनी कंपनी इन हस्तियों के ओपन सोर्स अकाउंट से मिल रही जानकारी का विश्लेषण कर रही थी। लिहाजा इसे गोपनीयता भंग या जासूसी नहीं माना जा सकता है।
सूत्रों के मुताबिक, सरकार चीन की कंपनी द्वारा प्रमुख भारतीय लोगों की निगरानी की खबर से चौकस है, लेकिन इसमें कुछ करना संभव नहीं है। जो जानकारी ओपन सोर्स से उठाई गई है वो सभी के लिए है। सूत्र ने कहा- सभी को इतना चौकस जरूर रहना चाहिए कि ऐसी कोई जानकारी सार्वजनिक न करें, जिसका दुरुपयोग हो सकता है। दरअसल, माना जा रहा है कि एलएसी पर भारत की ओर से भी पूरी जवाबी तैयारी को देखते हुए चीन ‘हाइब्रिड वार’ की तैयारी में जुटा है। नामचीन भारतीय हस्तियों के ओपन सोर्स अकाउंट के अध्ययन के जरिए ऐसी राह तलाशने की कोशिश मे है, जिससे भारतीयों के खास वर्ग की सोच में चीन के लिए हमदर्दी पैदा की जा सके
अधिकारी ने समझाते हुए कहा, ‘अगर कंपनी को इसका अहसास हो जाए कि किसी खास विश्वविद्यालय में ऐसे छात्रों का समूह है, जो चीन के प्रति आकर्षित हो सकता है तो वहां स्पॉन्सर करने की कोशिश हो सकती है। इसीलिए ऐसे लोगो की निगरानी की गई होगी, ताकि उनका ट्रेंड समझकर बड़ी संख्या में लोगों को प्रभावित किया जा सके। सूत्रों के अनुसार, सरकार को चीन की मंशा का पहले से पता था और इसीलिए 244 चीनी एप पर प्रतिबंध लगाने के साथ चीन से होने वाले निवेश को भी सरकारी मंजूरी लेना अनिवार्य कर दिया गया।’
सूत्रों के मुताबिक, भारत में निवेश करने वाली चीनी कंपनियों की कुंडली सरकार पहले ही खंगाल चुकी है और सरकार को यह पता है कि चीन की किस कंपनी का चीन की सेना या चीन की सरकार से किस प्रकार के संबंध है। सूत्रों के मुताबिक, कुछ दिन पहले ऑस्ट्रेलिया के भी प्रमुख लोगों की चीन की कंपनियों द्वारा जासूसी कराए जाने की बात सामने आई थी
पीडीपीबी में क्रिटिकल डाटा को परिभाषित नहीं किया गया
डाटा प्रोटेक्शन बिल के सेक्शन 33 में भारत से बाहर डाटा भेजने की रोक सरकार के प्रस्तावित पर्सनल डाटा प्रोटेक्शन बिल (पीडीपीबी) के सेक्शन 33 में किसी भी संवेदनशील और नाजुक (क्रिटिकल) डाटा को भारत से बाहर भेजने पर रोक का प्रावधान है। प्रस्तावित बिल में संवेदनशील पर्सनल डाटा में किसी व्यक्ति की वित्त, स्वास्थ्य, राजनैतिक रुझान, व्यक्ति की जाति व अन्य व्यक्तिगत इच्छाओं से जुड़ी जानकारियों को शामिल किया गया है। हालांकि, पीडीपीबी में विशेष परिस्थिति में जैसे कि विदेश में किसी व्यक्ति के इलाज के दौरान उसके पर्सनल डाटा को विदेश में साझा करने की इजाजत का भी प्रावधान है। लेकिन भारत में उस व्यक्ति का पर्सनल डाटा हमेशा के लिए रहना चाहिए। पीडीपीबी के सेक्शन 34 में यह बताया गया है कि किन-किन परिस्थितियों में पर्सनल डाटा को देश से बाहर साझा करने की इजाजत दी जा सकती है। डाटा सिक्युरिटी काउंसिल ऑफ इंडिया के मुताबिक, पीडीपीबी में क्रिटिकल डाटा को परिभाषित नहीं किया गया है। ऐसे में, यह तय करना कि क्रिटिकल डाटा के तहत किन-किन जानकारियों को साझा नहीं किया जा सकता है, यह स्पष्ट नहीं है।