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जब डीसीपी रुचिका चौधरी स्वप्न फाउंडेशन के साथ सैनिटरी पैड वितरण करती दिखाई दी

By SHUBHAM SHARMA

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“वर्ल्ड मेंसट्रुअल हाइजीन डे” के अवसर पर, स्वप्न फाउंडेशन के रेंजर्स ने डीसीपी रुचिका चौधरी के साथ मासिक धर्म जागरूकता एवं सैनिटरी पैड वितरण अभियान चलाया.

अलीगंज में मलिन बस्तियों की महिलाओं को मासिक धर्म स्वच्छता के महत्व और उस समय होने वाली सावधानियों या आवश्यकताओं के बारे में बताया गया.

टीम ने महिलाओं के बीच सैनिटरी नैपकिन भी वितरित किए और साथ ही “मिशन हैंड्स टुगेदर” के तहत स्वच्छता किट भी बाँटी जिसमें मास्क, साबुन, सैनिटाइज़र और अन्य आवश्यक चीजें थीं. मासिक धर्म से जुड़े पिछड़े खयालों को खत्म करने के लिए यह पहल की गई।

स्वप्न फाउंडेशन ने बताया इसका खास महत्‍व पहले के समय में इस पर कोई खुलकर कतई बात नहीं करता था. जिसकी वजह से महिलाए मानसिक रूप से पहले से तैयार नहीं होती थीं. जिससे कई परेशानी का सामना लड़कियों को करना पड़ता था, ना ही जागरूकता होती थी और ना ही इससे होने वाली बीमारियों की जानकारी

इस दिवस के बहाने लोगों को इस ओर जागरूक किया जाता है कि “मासिक धर्म कोई अपराध नहीं” यह एक सामान्य शारीरिक प्रक्रिया है. ऐसे में इस पर घर और समाज में खुलकर बात करने की जरूरत पर बल दिया जाता है. ताकि इस दौरान स्वच्छता के महत्व को भी समझा जा सके.

पीरियड से जुड़ी इन अफवाहों पर न करें भरोसा

​पीरियड में पेड़ पौधों को नहीं छूना चाहिए – पर क्यों?

कई लोग इस धारणा पर भरोसा करते हैं कि पीरियड के दौरान अगर महिलाओं की छत्रछाया किसी पेड़ पर पड़ेगा तो वह सूख जाएगा। हालांकि, ऐसा बिल्कुल नहीं है। इस साइकिल में महिलाओं को अपना देखभाल करने की सबसे ज्यादा जरूरत होती है और उसके परिजनों को भी इस बात का ख्याल रखना चाहिए।

​अपवित्र होती हैं मासिक धर्म वाली महिलाएं, ठीक है मान लिया- पर क्यों ?

समाज में कुरीतियों की भरमार है और ‘अशुद्ध’ होने की भावना को दूर करना चाहिए। जो लोग ऐसे मिथक मानकर महिलाओं से पीरियड के दौरान भेदभाव करते हैं उन्हें सांस्कृतिक वर्जनाओं और कठोर परंपराओं के बारे में जागरूक किया जाना चाहिए।

​पीरियड में महिलाएं न नहा सकती हैं और न ही बाल धो सकतीं- पर क्यों?

पीरियड के दिनों को हाइजीन के तौर पर महिलाओं को रोजाना नहाने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। एक और लोगों के बीच मिथक है कि बाल धोने से मासिक धर्म का प्रवाह यानी ब्लीडिंग कम हो जाती है जबकि ऐसा नहीं है। बाल धुलने से महिलाओं की पीरियड ब्लीडिंग पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।

​पैड या टैम्पोन के इस्तेमाल से ब्लीडिंग कम होती है

ऐसा बिल्कुल भी नहीं है और न ही इस बात के कोई सबूत हैं कि पैड या टैम्पोन के इस्तेमाल से महिलाओं की ब्लीडिंग कम होने लगती है।

​पैड पर बैक्टीरिया को मारने की जरूरत होती है

महिलाएं जब भी जिस भी कंपनी के पैड का प्रयोग करती हैं उन्हें सुनिश्चित करना चाहिए कि वो साफ सुथरा हो। पीरियड में महिलाओं को पैड का उपयोग करने के दौरान साफ-सफाई रखनी जरूरी है।

​पीरियड्स के दौरान रोक देनी चाहिए फिजिकल एक्टिविटी

जरूरी नहीं कि ऐसा हर कर केस में हों, क्योंकि किसी-किसी को अधिक दर्द होता है तो वे रेस्ट कर सकती हैं। वैसे कहा जाता है कि पीरियड्स के दौरान फिजिकल एक्टिविटी से महिलाओं को आराम मिलता है और ब्लड सर्कुलेशन भी सही रहता है।

SHUBHAM SHARMA

Khabar Satta:- Shubham Sharma is an Indian Journalist and Media personality. He is the Director of the Khabar Arena Media & Network Private Limited , an Indian media conglomerate, and founded Khabar Satta News Website in 2017.

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