वाराणसी । बाबा भोले की नगरी काशी में गुरुवार को लोग मकर संक्रांति पर्व की तैयारियों में जुटे रहे। जिन घरों में बहन-बेटियों की नई-नई शादी हुई है। उनके ससुराल या मायके में खिचड़ी पहुंचाने के लिए लोग आते-जाते रहे।
गांव देहात में लोग परम्परा के अनुसार बहन या बेटी के ससुराल खिचड़ी (तिलकुट, तिल के लड्डू और गुड़-मूंगफली की पट्टी,नये धान के चूड़ा, मिष्ठान,फल के साथ साड़ी और अन्य वस्त्र) पहुंचाते दिखे।
वहीं, घर के लिए भी लोग रेडिमेड तिलकुट, तिल के लड्डू और गुड़-मूंगफली की पट्टी,चूड़ा,गजक और अन्य मौसमी मिष्ठान खरीदते रहे।
बच्चे और युवा पतंग,मंझा,परेती की खरीददारी में जुटे रहे। बाजारों में भी जगह-जगह मगदल, तिलकुट, तिल के लड्डू और गुड़-मूंगफली की पट्टी,चूड़ा,लाई की अस्थाई दुकानें लग गई है।
जहां लोग खरीददारी करते दिखे। खिचड़ी पर्व पर श्री काशी विश्वनाथ को परंपरानुसार खिचड़ी का भोग लगाया जाएगा। कोरोना को देखते हुए इस बार केवल परंपरा निर्वहन किया जाएगा। काशी पुराधिपति के दरबार में मध्याह्न भोग आरती में देशी घी मिश्रित खिचड़ी का भोग लगाया जाएगा।
विशेष थाल में इसे दही, पापड़, अचार, चटनी के साथ सजाया जाएगा। सायंकाल सप्तऋषि आरती के बाद बाबा चूड़ा-मटर खाएंगे। इस भोग प्रसाद को श्रद्धालुओं में वितरित किया जाएगा। शहर के कई आश्रम मठों में मकर संक्रान्ति पर्व पर दंडी संन्यासियों को खिचड़ी खिलाई जाती है।
इसके साथ ही उन्हें वस्त्र और दक्षिणा भेंट कर विदाई की जाती है। मां अन्नपूर्णेश्वरी के दरबार में भी खिचड़ी का भोग लगाया जायेगा।
शास्त्र के अनुसार सूर्य जब धनु राशि को छोड़कर मकर राशि में प्रवेश करता है तो इसे मकर संक्रांति कहते हैं। यह काल देवताओं की मध्यरात्रि मानी जाती है। इस दिन से देवता अपने दिन की ओर उन्मुख होने लगते हैं। पर्व पर स्नान दान का विशेष महत्व है।
संक्रांति काल में गंगा सहित अन्य नदियों में स्नान करने और श्रद्धानुसार जरूरतमंद लोगों को अन्न, वस्त्र का दान करने से मनुष्य को पुण्य फल प्राप्त होता है। गुड़ का दान विशेष फलदाई माना जाता है। पुण्य काल में स्नान-दान करने से मनुष्य कई जन्मों तक निरोगी रहता है।
ज्योतिषविद मनोज पाठक ने बताया कि इस वर्ष सूर्य मकर राशि में 14 जनवरी (शुक्रवार) को रात्रि 8:49 बजे प्रवेश कर रहे हैं।
ऐसे में मकर संक्रान्ति पर्व उदया तिथि शनिवार 15 जनवरी को मनाया जायेगा। सूर्यास्त के बाद यदि सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं तब संक्रांति होने पर पुण्यकाल अगले दिन मान्य होता है। इस कारण 15 जनवरी (शनिवार) को मकर संक्रांति मनाई जाएगी। संक्रांति का पुण्यकाल 15 जनवरी को प्रात: काल से दोपहर 12:49 तक रहेगा।