Friday, April 19, 2024
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सिवनी में महिलाओं ने किया निरोध का विरोध : VIDEO

सिवनी में महिलाओं ने किया निरोध का विरोध

सिवनी-समाज में कई बार ऐसे मसले खड़े हो जाते हैं जिसमे नाम होते होते बदनामी सिर चढ़ने लगती है।
मुन्नी बदनाम हुई डार्लिंग तेरे लिये दबंग फिल्म का यह आइटम सोंग जब आया तो मुन्नी नाम की लड़कियों को घर से बाहर निकलते ही छींटाकशियों का सामना करना पड़ता रहा। शीला की जवानी में शीला नाम वालियां निशाने पर रही। ये तो खैर पुरानी बात हो चुकी हैं नोटबंदी के दौरान ही देखलें। सोनम गुप्ता के नाम से क्या क्या खेल न हुए कितने प्रलाप न हुए। हाल ही में मध्यप्रदेश के सिवनी नगर में इसी तरह का लेकिन बहुत ही अलग मामला सामने आया है जिसमे महिलाओं ने निरोध का विरोध किया है ।

एक ही कलर की साड़ियों में ये अनेक महिलाएं अपने हाथों में निरोध लिए जब सिवनी के अतिव्यस्तम चौराहे में आंदोलन करती दिखी तो हर राहगीर का ध्यान उनकी तरफ दिखा जी हाँ ये सभी महिलाए आशा कार्यकर्ता है और ये निरोध का विरोध कर रही हैं और विरोध का कारण है निरोध का नाम जो कि पहले का नाम डीलक्स से बदलकर आशा निरोध हो गया है, गौरतलब है कि सरकारी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में परिवार नियोजन के लिये वितरीत की जाने वाली कंडोम जो कि पहले डीलक्स निरोध के नाम से दी जाती थी उसका नाम बदलकर अब आशा निरोध रख दिया गया है। उस पर जुल्म की बात ये कि इनका वितरण भी आशा वर्करों द्वारा किया जाता है जो कि महिलाएं ही ह मध्यप्रदेश के सिवनी मुख्यालय की आशा वर्करों ने इस पर आपत्ति जताई है। आशा वर्करों का कहना है कि कंडोम का नाम आशा निरोध होने से उनके साथ छेड़खानी की जाती है। उन्हें टोंट मारे जाते हैं। एक आशा देना कहकर उनका मजाक उड़ाते हैं। यह सब बहुत ही असभ्य और भद्दे तरीके से होता है जिससे उन्हें शर्मसार होना पड़ता है। इतना ही नहीं सरकारी हिदायतें हैं कि निरोध जिसे भी दी जाये उससे एक रूपया भी कीमत के रूप में लिया जाये लेकिन शर्म के मारे वह यह भी नहीं ले पाती और इसका भुगतान अपनी जेब से करना पड़ता है।

निरोध का नाम आशा निरोध रखने से एक ओर जहां आशा वर्कस विरोध कर रही हैं वहीं इन्हें महिला विरोधी नज़रिये के तौर पर भी देखा जा रहा है। निशाना सीधा केंद्र सरकार की ओर है। कुछ महिला संगठनों का कहना है कि इससे केंद्र की बीजेपी सरकार का महिला विरोधी नज़रिया साफ झलकता है।

इस मामले में एक चीज़ तो साफ है कि लोगों के दिमाग में गंदगी अभी भी भरी पड़ी है। सामाजिक सोच का स्तर अभी तक निम्न है। निरोध के पैकेट से आशा नाम हो सकता है हटा भी लिया जाये लेकिन भद्दा मज़ाक करने वालों पर क्या इससे रोक लग जायेगी क्या उनके दिमागों की गंदगी दूर हो जायेगी। क्या उनकी कुंठाएं शांत हो जायेंगी। या फिर कुछ और रास्ते निकाल लिये जायेंगें। बेहतर हो कि इस मसले पर लोगों को सामाजिक रूप से जागरूक किया जाये। आशा वर्कर्स भी इसी समाज का हिस्सा हैं। निरोध का इस्तेमाल यौन शिक्षा का ही भाग है। लेकिन जहां महिलाओं की माहवारी पर अभी खुलकर बात नहीं होती वहां पर यौन संबंधों पर बात करना तो अश्लील ही माना जायेगा। और अगर कोई इस पर बात करना चाहेगा तो उसे या तो चरित्रहीन समझा जायेगा या फिर उसके साथ भद्दे मज़ाक किये जायेंगें।

SHUBHAM SHARMA
SHUBHAM SHARMAhttps://shubham.khabarsatta.com
Shubham Sharma is an Indian Journalist and Media personality. He is the Director of the Khabar Arena Media & Network Private Limited , an Indian media conglomerate, and founded Khabar Satta News Website in 2017.
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