क्यों आत्महत्या करने से आत्मा कभी मुक्त नहीं होती?

SHUBHAM SHARMA
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Shubham Sharma – Indian Journalist & Media Personality | Shubham Sharma is a renowned Indian journalist and media personality. He is the Director of Khabar Arena...
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हाल ही में दिल्ली में बौद्ध नन सांग्ये खाद्रो उर्फ कैथलीन मैकडॉनल्ड्स सोनल श्रीवास्तव से कहती हैं कि हमें जीवन एक तोहफे के रूप में दिया गया है. इसलिए इससे प्यार करो.

पीएचडी के एक प्रतिभाशाली छात्र रोहित वेमुला ने जनवरी में आत्महत्या कर ली. छात्रवृति के पैसे के इंतजार ने उसे हताश कर दिया और इस वजह से उसने ऐसा दुखद कदम उठा लिया. हाल ही में भूवनेश्वर के ‘राजधानी इंजिनरिंग कालेज’ में पढ़ रहे बिहार के 60 दलित छात्रों ने धमकी दी कि अगर प्रशासन से समय पर पैसा नहीं मिला तो वो भी आत्महत्या कर लेंगे.

क्यों आत्महत्या या आत्महत्या की धमकी एक विकल्प का काम कर रहा? कभी कभी असफल होने का भय लोगों को मरने पर मजबूर कर देता है. बौद्ध नन सांग्ये खाद्रो कहती हैं कि जीवन की परेशानियों से निपटने का यह सही तरीका नहीं है. वो उन बौद्धों की बात करती हैं जिन्होंने बुद्ध के समय में अपने जीवन को खत्म कर दिया था. “बुद्ध के कुछ अनुयायी पीड़ा पर ध्यान कर रहे थे और इस बात पर चिंतन कर रहे थे कि दुनियां में इतना दुख कैसे है. वो इस चिंतन से निराशा में चले गये और उन्होंने आत्महत्या कर ली. बुद्ध कहते हैं कि यह सही तरीका नहीं है. आप खुद को मारकर इस पीड़ा से मुक्ति नहीं पा सकते हैं.”




 

खाद्रों कहती हैं कि आत्महत्या को किसी भी समस्या का एक कुशल समाधान नहीं माना जा सकता है क्योंकि बौद्धों का मानना है कि भले ही हम मर जाये पर इससे हमारा अस्तित्व खत्म नहीं हो जाता. यह केवल इस जीवन का अंत है पर हमारे दिमाग और चेतना के रूप में यह अस्तित्व जीवित रहेगी क्योंकि फिर से हम एक दूसरे जीवन में प्रवेश करेंगे. कर्म के परिणामस्वरूप जिस भी पीड़ा का अनुभव हमने किया है उसका सृजन हमने इस जीवन और बीते हुए जीवन दोनों में किया है. इस कर्म से मुक्त होने के लिए हमें आध्यात्मिक अभ्यास की आवश्यकता है ना कि आत्महत्या की.

वह कहती हैं, “हम अपने कर्म को आध्यात्मिक अभ्यास और ध्यान से शुद्ध कर सकते हैं. कर्म को समाप्त करने के लिए खुद को मारना आवश्यक नहीं है. कर्म जिससे आप पीड़ित हैं वो इस जन्म और अगले जन्म दोनों में हमेशा आपके साथ रहेगा. हो सकता है आपका अगला जीवन इससे भी ज्यादा पीड़ादायी हो.” खाद्रो के अनुसार हमें अपने जीवन को संजोना चाहिए और इसका पोषण करना चाहिए. वह कहती हैं, “आप बुजुर्ग तिब्बती पुरुषों और महिलाओं मंत्र जाप करते, प्रार्थना के मालाओं को घुमाते हुए और स्तूप के चारों ओर चक्कर लगाते देख सकते हैं. अगर आप सच में बूढ़े हैं तो आप भी यही अभ्यास कर सकते हैं. इसका मूल ज्यादा से ज्यादा दिनों तक जीवित रहना है और इस राह को अपनाकर आप अच्छे कर्म कर सकते हैं और अपने बुरे कामों को शुद्ध कर सकते हैं.”

सांग्ये खाद्रो जो कि अमेरीका में कैथोलिक के रूप में पली बढ़ी हैं, बौद्ध धर्म के नश्वरता और पुनर्जन्म की व्याख्या करते हुए कहती हैं कि कई लोग आत्मा में विश्वास करते हैं और सोचते हैं कि आत्मा ही उनकी असली सच्चाई है. नन कहती हैं, “मैं कैथोलिक स्कूल गयी हूं और वहां हमारे पास एक तस्वीर वाली किताब थी जिसमें दर्शाया गया था कि लोग मर रहे हैं और स्वर्ग को जा रहे हैं. धारणा यह थी कि मेरा कुछ हिस्सा जो मेरी तरह दिखता है या मेरी कुछ भावनाएं और सोच स्वर्ग जा रही हैं और हो सकता है कि वहां मैं अपने कुछ रिश्तेदार या दोस्तों से मिलूं जो मर चुके हैं और स्वर्ग को गये हैं. और फिर हमलोग सब साथ रहें. पर बौद्ध धर्म में इस तरह के विचार का विरोध किया गया है. बुद्ध कहते हैं कि खुद का स्थायी अविनाशी रूप जैसी कोई चीज नहीं होती. हम मूल रूप से शरीर और मस्तिष्क से बने हैं. शरीर हमारे भौतिक भाग का हिस्सा है जो कि अणुओं और परमाणुओं से बना है. दूसरा हिस्सा हमारा मस्तिष्क और चेतना है जो कि भौतिक रूप नहीं है और जिसमें विचार, एहसास, भावनाएं, स्मृति और धारणाएं एक नदी या धारा की तरह बह रही है और नश्वरता को बदल रही है.” हमारे दिमाग में कुछ भी ऐसा नहीं है जो स्थायी या अपरिवर्तनशील हो. खाद्रो विस्तृत वर्णन करते हुए कहती हैं, “यह समय के साथ बदलते अनुभव की धारा की तरह है जो इस शरीर को छोड़ देता है और अगले शरीर को धारण करने चला जाता है. जब मेरा दिमाग एक नये शरीर और जीवन को अपना लेता है तो यह नई परिस्थिति और नई पहचान का अनुभव करेगा. मेरे पास एक नया नाम होगा और मैं पूर्ण रूप से खुद की एक नई चेतना का निर्माण करूंगी. बच्चे अपने अतीत के जीवन को याद कर पाते हैं पर वक़्त के साथ यह स्मृति मिट जाती है. इसलिए हम कहते हैं कि कोई भी पहचान निश्चित नहीं होती जो कि वक़्त के साथ चलती रहे.”

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Shubham Sharma – Indian Journalist & Media Personality | Shubham Sharma is a renowned Indian journalist and media personality. He is the Director of Khabar Arena Media & Network Pvt. Ltd. and the Founder of Khabar Satta, a leading news website established in 2017. With extensive experience in digital journalism, he has made a significant impact in the Indian media industry.
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