सिवनी बालाघाट मुख्य मार्ग से सटी जनपद की शासकीय भूमि पर अवैध कब्जों को लेकर जिला कलेक्टर के निर्देश पर राजस्व विभाग और एमपीआरडीसी द्वारा अतिक्रमण चिन्हित करने की प्रक्रिया आरंभ की गई थी। हालांकि, यह मुहिम एक माह से अधिक समय बीतने के बावजूद केवल कागजों तक ही सीमित रह गई है। इससे संबंधित विभागों की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
भूमाफिया अब इस स्थिति का फायदा उठाकर यह दावा कर रहे हैं कि ऐसे नाप तो केवल दिखावा हैं और कार्रवाई तब होगी जब वे चाहेंगे। इस प्रकार की मानसिकता प्रशासन की लापरवाही को उजागर करती है और आम जनता के मन में निराशा पैदा करती है।
संयुक्त दल ने चिन्हित किए 137 अतिक्रमण
धारनाकला क्षेत्र में 137 अतिक्रमण चिन्हित किए गए थे, जिनमें कच्चे और पक्के दोनों प्रकार के अतिक्रमण शामिल थे। इन अतिक्रमणों की सूची तहसीलदार बरघाट को सौंपी गई थी। हालांकि, महीनों के बाद भी अतिक्रमण हटाने की प्रक्रिया शुरू नहीं हुई है। यहां तक कि नोटिस तक तामिल नहीं किए गए हैं, जिससे यह साबित होता है कि शासकीय जमीन के नापने का कार्य केवल औपचारिकता बनकर रह गया है।
मुख्य मार्गों पर फैला अतिक्रमण का जाल
धारनाकला में सिवनी बालाघाट मुख्य मार्ग के किनारे अतिक्रमण का जाल बिछा हुआ है। इसका दुष्प्रभाव यातायात और सुरक्षा पर स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। यहां आए दिन सड़क दुर्घटनाएं होती रहती हैं। इसके बावजूद प्रशासन की निष्क्रियता से जनता को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
बस स्टैंड के पास और उससे आगे चार प्रमुख पक्के अतिक्रमण चिन्हित किए गए हैं। इन अतिक्रमणों के पीछे भूमाफियाओं की हिम्मत बढ़ गई है, जो खुलेआम यह कहते फिरते हैं कि प्रशासन इन पर कोई कार्रवाई करने में सक्षम नहीं है।
शासकीय जमीन पर भूमाफियाओं का अवैध कब्जा
सिवनी बालाघाट मुख्य मार्ग से सटी शासकीय भूमि भी भूमाफियाओं के कब्जे में है। इस भूमि का एक बड़ा हिस्सा गलत तरीके से संशोधित किया गया है, जिसके चलते धारा 115 के तहत एसडीएम न्यायालय बरघाट में मामला लंबित है।
साथ ही, कुछ भूमाफियाओं ने रोड के किनारे तक कब्जा जमा लिया है, जहां उनके चार बड़े पक्के अतिक्रमण मौजूद हैं। इस पर प्रशासन की ओर से कड़ी कार्रवाई की संभावना है, लेकिन अब तक यह केवल संभावनाओं तक ही सीमित है।
सुगम कॉम्प्लेक्स का निर्माण अवैध कब्जों के कारण अटका
मेन रोड से सटी शासकीय जमीन पर सुगम कॉम्प्लेक्स के निर्माण की योजना कई बार बनाई गई, लेकिन अवैध कब्जों के कारण इसे आज तक अमल में नहीं लाया जा सका। वर्तमान में यह जमीन जनपद पंचायत बरघाट के नाम पर दर्ज है, लेकिन अवैध अतिक्रमणों के कारण इस पर कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं।
प्रशासनिक लापरवाही और जनमानस की अपेक्षाएं
अवैध कब्जों के खिलाफ कार्रवाई न होने से प्रशासन की छवि धूमिल हो रही है। जनता को उम्मीद थी कि चिन्हित अतिक्रमणों पर त्वरित कार्रवाई होगी। लेकिन महीनों की देरी ने प्रशासनिक लापरवाही को उजागर कर दिया है।
अब, जिला कलेक्टर संस्कृति जैन से अपेक्षा है कि वे इस मामले पर संज्ञान लें और जनता के हित में आवश्यक कार्रवाई करें। जनहित के मुद्दों को प्राथमिकता देते हुए अवैध अतिक्रमण हटाना न केवल प्रशासन की जिम्मेदारी है, बल्कि यह जिले के विकास के लिए भी अनिवार्य है।