सिवनी- लगभग 65 लाख रुपए से बनकर तैयार ट्रामा सेंटर की बिल्डिंग कबाड़ हो रही है। ट्रामा सेंटर संचालित करने के लिए लाखों रुपए के उपकरण खरीदे जा चुके हैं। उक्त महंगे उपकरणों का उपयोग नहीं होने से वे कंडम होने की कगार में पहुंच रहे हैं। ट्रामा सेंटर चालू नहीं होने के पीछे स्वास्थ महकमा का मानव संसाधन की कमी और प्रशिक्षित स्वास्थ्य अमला (लाइफ सपोर्टिंग सिस्टम) का अभाव बताया जा रहा है। इन सबके पीछे प्रतिदिन सड़क हादसे में हो रहे घायलों का क्या दोष है?
डिजिटल इंडिया के तहत मध्यप्रदेश का पहला ई-अस्पताल होने का गौरव इंदिरा गांधी जिला चिकित्सालय सिवनी को वर्ष 2017 में मिला था। प्रदेश का पहला ऑनलाइन पर्ची वाला तगमाधारी जिला चिकित्सालय मात्र रेफर अस्पताल बनकर रह गया है। राष्ट्रीय राजमार्ग-7 स्थित जिले के 400 बिस्तर वाले अस्पताल में वर्ष 2016-17 में ही 126 एक्सीटेंडल केस दर्ज किए थे। इन घायलों की यहां सर्जिकल हुई थी। वहीं सड़क दुर्घटना व अन्य घटनाओं में हजारों की संख्या में साधारण रूप से घायल या गंभीररूप से घायलों का मात्र प्राथमिक उपचार करके यहां के डॉक्टरों द्वारा मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया जाता हैट्रामा सेंटर का लाभ समय पर घायलों को नहीं मिल सकने के कारण कई घायलों की जान महानगर स्थित मेडिकल कॉलेज जाते-जाते बीच रास्ते में चली गई।
2010 में एल-थ्री ट्रामा सेंटर की मिली थी स्वीकृति
लेवल-3 ट्रामा सेंटर की स्वीकृति 5 जुलाई 2010 को मिली थी और चार साल बाद नौ जुलाई 14 को उक्त भवन तैयार होकर स्वास्थ्य विभाग को सुपुर्द कर दिया गया। लेकिन इन पांच सालों में ट्रामा सेंटर संचालित नहीं हो सका है। उक्त भवन के फर्श व सीढिय़ों में लगी टाइल्स टूट गई है। वहीं परिसर के आसपास अस्पताल से निकलने वाला कचरा भी अब वहीं फेका जा रहा है।
उपकरण हो रहे खराब
ट्रामा सेंटर के संचालन के लिए लगभग एक दर्जन उपकरण की खरीदी हो चुकी है। जिनमें से कुछ का ही उपयोग ओपीडी में किया जा रहा है। वहीं लाखों रुपए के उपकरण कबाड़ हो रहे हैं। उपकरणों में मल्टीप्लिटर मॉनिटर मशीन, इलेक्ट्रो सर्जिकल, कलर डापलर, आर्थोसर्जिकल इंस्ट्रूमेंट आदि महंगे उपकरण की खरीदी हो चुकी है लेकिन प्रशिक्षित स्टाफ के नहीं होने के कारण उपकरण कंडम हो रहे हैं।
लेकिन अब विगत दिनों सड़क दुर्घटना में घायल हुई सी आर पी एफ की महिला कर्मी को ट्रामा सेंटर ना होंने के कारण समय पर ईलाज नही मिला ,जिसके चलते वो सुबह 7 बजे से दोपहर 3 बजे तक अत्यंत गम्भीर अवस्था के बीच किसी तरह नागपुर से बुलाई गई सर्व सुविधायुक्त एम्बुलेंस से नागपुर भेजी गई,जहा उनकी दूखद रूप से मौत हो गई,
सारे घटना क्रम को स्वयम जिला कलेक्टर प्रवीण सिंह एवं पुलिस कप्तान ललित शाक्यवार ने नजदीक से देखा,जिसके बाद ट्रामा सेंटर के निरक्षण में कलेक्टर ने पाया कि यहा नियंम अनुसाए बारह ट्रेंड लोगो की नियुक्ति होनी थी,जिसमे डाक्टर समेत मशीनों को सचालित करने वाला तकनीकी अमला शामिल है,लेकिन चिकिस्ता विभाग भोपाल दवारा एक भी पद ट्रामा सेंटर के लिये स्वीकृत नही किये गये हे ।