सोमवार को पांढुर्ना-सावरगांव के बीच जाम नदी पर गोटमार मेले का आयोजन होगा। इसमें दोनों गांव के लोग गोफन से एक-दूसरे पर पत्थर बरसाएंगे। इस पत्थरबाजी में अब तक 12 लोगों की मौत हो चुकी है। इधर प्रशासन फिर पत्थरबाजी रोकने के लिए प्रयास कर रहा है। इसके लिए प्रशासन ने शराब दुकानें बंद रखने के निर्देश देते हुए गोफन पर प्रतिबंध लगा दिया है। मेला स्थल पर 10 मजिस्ट्रेट और 750 पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है।
पोला पर्व के दूसरे दिन पांढुर्णा की जाम नदी पर गोटमार मेले का आयोजन हर साल किया जाता है। मान्यता के अनुसार नदी के बीच में पलास का झंडा गाड़ा जाता है। फिर पांढुर्णा और सावरगांव के लोग एक-दूसरे पर पत्थर बरसाते हैं। जब तक यह झंडा पांढुर्ना लोग तोड़ते नहीं है, तब तक दोनों ओर से पत्थर बरसाए जाते हैं। इसमें वर्ष 1955 से अब तक 12 लोगों की मौत हो चुकी है और कई लोग घायल हो चुके हैं।
पांढुर्णा गोटमार मेले का इतिहास 300 साल पुराना बताया जाता है। इसका वास्तविक इतिहास किसी को नही पता है ।मान्यता है पांढुर्णा के युवक और सावरगांव की युवती के बीच प्रेम कहानी का प्रतीक है। गोंड राजा जाटबा नरेश और अंग्रेजों के बीच साम्राज्य की लड़ाई में गोंड राजा के हथियार खत्म हो जाने के चलते जाटबा नरेश की सेना ने जाम नदी के किनारे पत्थरों के सहारे अग्रेजों से कई दिनों तक गोटमार कर अपना साम्राज्य बचाने का प्रयास किया था। आज गोटमार मेला धार्मिक आस्था का विकराल रूप ले चुका है।