सिवनी: शहर में नशे की बढ़ती लत अब मासूम बचपन को बर्बाद कर रही है। सिवनी जिले के शुक्रवारी बाज़ार, रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड और बारापत्थर जैसे इलाकों में छोटे-छोटे बच्चों को खुलेआम सोलुशन (गोंद) का नशा करते देखा जा सकता है, जिसे सिलोचन (Silochan) के नाम से भी जाना जाता है। यह वही सोलुशन है, जिसका उपयोग पंचर जोड़ने के लिए किया जाता है, लेकिन अब इसका उपयोग नशे के लिए 10 गुना ज्यादा हो रहा है।
भीख मांगने और नशे की लत में फंसे बच्चे
बच्चों का एक समूह दिनभर सड़कों और बाजारों में घूमते हुए नशा करता है और भीख मांगकर अपना गुजारा करता है। यह चिंता का विषय है कि क्या ये बच्चे खुद नशे की लत में फंसकर भीख मांग रहे हैं, या फिर कोई गिरोह इन्हें नशे का आदि बनाकर भीख मांगने पर मजबूर कर रहा है?
प्रशासन और समाज की चुप्पी चिंता का विषय
स्थानीय लोग इस समस्या से परिचित तो हैं, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई अब तक नहीं हुई है। यदि प्रशासन इन बच्चों पर कड़ी नजर रखे और सख्ती से जांच करे, तो यह पता लगाया जा सकता है कि इस अवैध नशे के पीछे कौन लोग जिम्मेदार हैं।
समाज और प्रशासन को मिलकर करनी होगी कार्रवाई
अगर जल्द ही कोई कदम नहीं उठाया गया, तो यह बच्चों के भविष्य को अंधकार में धकेल सकता है। पुलिस, प्रशासन और समाज के लोगों को मिलकर इस समस्या को जड़ से खत्म करने के लिए ठोस योजना बनानी होगी। साथ ही, इन बच्चों को पुनर्वास केंद्रों में भेजकर सही मार्गदर्शन देने की जरूरत है, ताकि वे नशे की गिरफ्त से बाहर निकल सकें और एक स्वस्थ जीवन जी सकें।