चेतन जैन, सिवनी: सिवनी जिले के डूंडा सिवनी क्षेत्र में स्थित एक सुलभ शौचालय इन दिनों स्थानीय लोगों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है। यह शौचालय लगभग एक वर्ष पूर्व बनकर तैयार हो चुका है, लेकिन दुर्भाग्यवश आज भी इसमें ताला लटका हुआ है, और इसका उपयोग आमजन नहीं कर पा रहे हैं।
साल भर से बंद पड़ा सार्वजनिक शौचालय – जिम्मेदार कौन?
जब देशभर में स्वच्छ भारत अभियान को गति देने की बात हो रही है, तब डूंडा सिवनी का यह शौचालय एक साल से उपयोग में न आना गंभीर प्रशासनिक लापरवाही को उजागर करता है। स्थानीय लोगों का कहना है कि प्रशासन की निष्क्रियता और जनप्रतिनिधियों की उदासीनता के कारण यह शौचालय आज भी बंद पड़ा है।
पीएम मोदी के उद्घाटन की प्रतीक्षा या फिर जनता के धैर्य की परीक्षा?
स्थानीय नागरिकों के बीच चुटकुलों की तरह बातें चल रही हैं कि शायद इस शौचालय का उद्घाटन स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे, तभी इसे आमजन के लिए खोला जाएगा। यह बयान व्यंग्य के साथ-साथ व्यथा को भी दर्शाता है। आखिरकार, एक आम नागरिक को अपनी मूलभूत सुविधाओं के लिए इतना लंबा इंतजार क्यों करना पड़ता है?
ग्रामीणों को हो रही है गंभीर समस्याएं
डूंडा सिवनी क्षेत्र में रहने वाले लोगों के पास तो घरों में शौचालय की सुविधा है, लेकिन आसपास के ग्रामीण इलाकों से आने वाले नागरिकों को सार्वजनिक शौचालय बंद होने के कारण काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। महिलाएं, बुजुर्ग, और बीमार लोग सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं।
स्वच्छ भारत अभियान पर प्रश्नचिन्ह
जब भारत सरकार का प्रमुख मिशन “स्वच्छ भारत अभियान” हो, और जगह-जगह सुलभ शौचालयों का निर्माण कर करोड़ों रुपये खर्च किए जा रहे हों, तब ऐसे में इन सुविधाओं का सही तरीके से संचालन न हो पाना, अभियान की सफलता पर प्रश्नचिन्ह खड़े करता है। क्या मात्र फोटू खिंचवाकर और उद्घाटन का इंतजार करके हम वास्तव में स्वच्छता की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं?
स्थानीय प्रशासन की निष्क्रियता और जवाबदेही की कमी
सिवनी जिला प्रशासन से लेकर नगरपालिका तक, सभी जिम्मेदार अधिकारियों ने इस शौचालय को शुरू करवाने की दिशा में कोई ठोस पहल नहीं की है। न तो इसका कोई औपचारिक उद्घाटन हुआ, और न ही इसे स्थानीय निकायों के हवाले संचालन हेतु सौंपा गया।
जनप्रतिनिधियों की चुप्पी
जिन जनप्रतिनिधियों को जनता ने समस्याओं के समाधान हेतु चुना, वे इस मुद्दे पर चुप्पी साधे हुए हैं। स्थानीय पार्षद, विधायक या सांसद में से किसी ने भी आज तक इस शौचालय की स्थिति पर न तो कोई बयान दिया है और न ही कोई कार्यवाही सुनिश्चित की है।
लोगों की भावना बनाम सिस्टम की संवेदनहीनता
स्थानीय लोग इस बंद शौचालय को लेकर निराशा और व्यंग्य के मिश्रित भाव से देख रहे हैं। जहां लोगों की भावना यह है कि यह सुविधा जल्द से जल्द शुरू हो, वहीं सिस्टम की संवेदनहीनता इस बात को दर्शाती है कि प्रशासनिक मशीनरी आम नागरिकों की बुनियादी ज़रूरतों को लेकर कितनी लापरवाह है।
क्या प्रधानमंत्री मोदी का इंतजार सही है?
अगर इस शौचालय के उद्घाटन के लिए वास्तव में प्रधानमंत्री मोदी का इंतजार किया जा रहा है, तो यह तथ्य हास्यास्पद से अधिक दुखद है। देश के प्रधानमंत्री का समय देश के समग्र विकास के लिए है, न कि स्थानीय शौचालयों के फीता काटने के लिए। ऐसी मानसिकता प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल खड़े करती है।
एक साल पुराना निर्माण – बर्बादी की कगार पर
अगर शौचालय को जल्दी चालू नहीं किया गया, तो निर्माण में इस्तेमाल हुए सामग्री और ढांचे की गुणवत्ता पर भी असर पड़ सकता है। बंद अवस्था में रखे गए सार्वजनिक संसाधन धीरे-धीरे खराब हो जाते हैं, जिससे दोबारा मरम्मत या निर्माण की जरूरत पड़ सकती है, जो कि जनधन की बर्बादी है।
जरूरत है जनदबाव और मीडिया हस्तक्षेप की
अब समय आ गया है कि स्थानीय जनता, सामाजिक कार्यकर्ता, और मीडिया इस मुद्दे को और अधिक प्रमुखता से उठाएं। सोशल मीडिया, स्थानीय समाचार पत्र, और जन सुनवाई कार्यक्रमों के माध्यम से इस विषय को जोर-शोर से उठाना चाहिए ताकि प्रशासनिक मशीनरी हरकत में आए।
कब खुलेगा सुलभ शौचालय?
डूंडा सिवनी का सुलभ शौचालय एक साल से अधिक समय से जनता से दूर बंद पड़ा है। प्रधानमंत्री मोदी के उद्घाटन की प्रतीक्षा एक व्यंग्यात्मक मजाक बन चुका है। प्रशासन को चाहिए कि वह शीघ्र अति शीघ्र इस शौचालय को जनता के लिए खोले, ताकि ग्रामीण एवं स्थानीय नागरिकों को राहत मिल सके। वरना यह उदाहरण बनकर देशभर में शौचालय निर्माण की योजनाओं की गंभीर आलोचना का विषय बन जाएगा।