सिवनी जिले के भैरोगंज में आज शराब दुकान खोले जाने के विरोध में आयोजित व्यापक बंद पूरी तरह सफल रहा। नगर के सभी व्यापारियों, निवासियों और सामाजिक संगठनों ने एकजुट होकर इस बंद को सफल बनाया। विशेष बात यह रही कि कोई दबाव या प्रशासनिक हस्तक्षेप नहीं था, फिर भी लोग स्व-विवेक से अपने प्रतिष्ठान बंद कर इस विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए। नगर के छोटे-बड़े दुकानदारों, व्यवसायियों, शिक्षण संस्थानों और यहाँ तक कि दवा दुकानों ने भी बंद के समर्थन में अपनी सेवाएं कुछ समय के लिए स्थगित रखीं।
सुबह से ही भैरोगंज बाजार, मुख्य मार्ग, चौक और कॉलोनियों में सन्नाटा पसरा रहा। हर तरफ केवल विरोध के स्वर गूंजते रहे। स्थानीय लोगों ने बताया कि नगर की शांतिपूर्ण छवि और सामाजिक वातावरण के बीच शराब दुकान का खुलना, युवा पीढ़ी के भविष्य के लिए घातक सिद्ध हो सकता है। इसी के विरोध में आज का बंद आयोजित किया गया था।
कलेक्टर महोदया के नाम सौंपा गया विरोध पत्र
इस बंद के अंतर्गत नागरिकों ने कलेक्टर महोदया के नाम एक ज्ञापन सौंपा, जिसमें शराब दुकान की स्वीकृति को तत्काल रद्द करने की माँग की गई। ज्ञापन में बताया गया कि भैरोगंज शैक्षिक, धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण नगर है, जहाँ शराब दुकान का संचालन समाज के लिए हानिकारक और असंवेदनशील निर्णय है।
ज्ञापन में निवासियों ने यह भी उल्लेख किया कि शराब दुकान खुलने से न केवल सामाजिक ताना-बाना बिगड़ेगा, बल्कि अपराध, घरेलू हिंसा, सड़क दुर्घटनाएँ और युवा वर्ग में नशे की प्रवृत्ति को भी बढ़ावा मिलेगा। इसलिए प्रशासन को इस निर्णय पर पुनर्विचार कर, इसे तत्काल निरस्त करना चाहिए।
हनुमान चालीसा पाठ के साथ हुआ विरोध प्रदर्शन
नगर के नागरिकों ने विरोध के दौरान शांति और धार्मिक आस्था का परिचय देते हुए सामूहिक रूप से हनुमान चालीसा का पाठ किया। नगर के मुख्य चौक पर सैकड़ों की संख्या में महिलाएँ, पुरुष और युवा एकत्र हुए और भगवान हनुमान से समाज में सद्बुद्धि देने की प्रार्थना की।
हनुमान चालीसा पाठ के दौरान नगर में एक अनूठा वातावरण देखने को मिला। पूरा नगर भक्ति और सामाजिक जागरूकता के रंग में रंगा नजर आया। आयोजकों ने बताया कि यह विरोध केवल शराब दुकान के विरुद्ध नहीं है, बल्कि युवा पीढ़ी और समाज के भविष्य की रक्षा के लिए उठाया गया एक कदम है।
व्यापारियों और नागरिकों का मिला जबरदस्त समर्थन
भैरोगंज के नागरिकों के साथ-साथ व्यापारी संगठन, शिक्षक वर्ग, सामाजिक कार्यकर्ता और विभिन्न समाजसेवी संस्थाओं ने इस बंद में सक्रिय भागीदारी निभाई। खास बात यह रही कि बंद के दौरान कहीं भी अव्यवस्था, तोड़फोड़ या प्रशासन से टकराव जैसी कोई घटना सामने नहीं आई।
स्थानीय व्यापार मंडल के अध्यक्ष ने कहा कि, “हम समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी समझते हैं और इसलिए बिना किसी दबाव के अपने प्रतिष्ठान बंद रखे। हम प्रशासन से अपील करते हैं कि जनभावनाओं का सम्मान करते हुए शराब दुकान खोलने के निर्णय को रद्द किया जाए।“
भविष्य में बड़े आंदोलन की चेतावनी
नगरवासियों ने स्पष्ट किया है कि यदि प्रशासन उनकी माँगों पर गंभीरता से विचार नहीं करता है और शराब दुकान की अनुमति वापस नहीं ली जाती, तो वे आगे और बड़े स्तर पर आंदोलन करेंगे। नागरिकों ने कहा कि उनका आंदोलन पूरी तरह लोकतांत्रिक और शांतिपूर्ण रहेगा, लेकिन समाजहित में वे पीछे नहीं हटेंगे।
शराब दुकान के विरोध में उमड़ी जनभावना
इस विरोध प्रदर्शन ने यह साबित कर दिया कि भैरोगंज के लोग अपने नगर की सामाजिक संरचना के प्रति सजग और जागरूक हैं। सभी वर्गों के लोग, चाहे वे छोटे दुकानदार हों, शिक्षक हों, गृहिणी हों या युवा छात्र, सबने एकजुट होकर प्रशासन तक अपनी आवाज पहुँचाई।
बंद के दौरान स्थानीय निवासी सड़कों पर तख्तियों और बैनरों के साथ विरोध प्रदर्शन करते दिखे, जिन पर लिखा था – “शराब दुकान नहीं चाहिए, हमारे बच्चों का भविष्य बचाइए।” बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक, सभी ने अपने-अपने तरीके से विरोध दर्ज कराया।
क्यों है भैरोगंज में शराब दुकान के विरोध की ज़रूरत
भैरोगंज नगर की भौगोलिक स्थिति और सामाजिक संरचना को देखते हुए, यहाँ शराब दुकान खुलना न केवल नैतिक दृष्टि से अनुचित है, बल्कि सामाजिक समस्याओं को भी जन्म देगा। यहाँ प्रमुखतः विद्यालय, कॉलेज, धार्मिक स्थल और घनी आबादी वाले क्षेत्र हैं, जहाँ शराब दुकान खोलने से अशांति, अपराध और सामाजिक विकृति बढ़ने की पूरी संभावना है।
स्थानीय महिलाओं ने विशेष रूप से इस निर्णय का विरोध किया, उनका कहना था कि शराब की दुकानें खुलने से घरेलू हिंसा, पारिवारिक कलह और बच्चों पर बुरा असर पड़ेगा। युवा वर्ग में नशे की लत लगने की संभावना भी अधिक हो जाएगी।
नगरवासियों की माँग : शराब दुकान खोलने का निर्णय हो रद्द
अंततः भैरोगंज नगर के समस्त नागरिकों ने प्रशासन से स्पष्ट शब्दों में माँग की है कि शराब दुकान खोलने की अनुमति तुरंत प्रभाव से रद्द की जाए। यदि प्रशासन इस विषय पर ठोस निर्णय नहीं लेता है, तो नगरवासी आगे और कठोर कदम उठाने को बाध्य होंगे।
यह आंदोलन केवल एक दुकान के खिलाफ नहीं, बल्कि सामाजिक हितों की रक्षा के लिए खड़ा किया गया जनआंदोलन है, जो यह संदेश देता है कि जब भी समाजहित पर आंच आएगी, भैरोगंज के लोग एकजुट होकर आवाज उठाएंगे।