सिवनी: रबी विपणन वर्ष 2020-21 अंतर्गत समर्थन मूल्य पर गेहूं उपार्जन हेतु जिले में स्थापित 98 उपार्जन केन्द्रों पर उपार्जन कार्य किया गया है. 29 मई तक जिले मे पंजीकृत 62324 किसानों में से 46523 किसान से 4208864.01 क्विंटल गेहूं का उपार्जन किया जा चुका था। शेष दो दिनो अर्थात 30 एवं 31 मई की खरीदी के आंकडे प्राप्त नहीं है । अब जिले में किसानों से गेहूँ खरीदी का कार्य समाप्त हो गया है। हजारों किसानों का गेहूँ भारी अव्यवस्थाओं के कारण नहीं खरीदा गया है और जिन किसानों का गेहूँ खरीदा गया है वे भी इस वर्ष बरती गयी गड़बडियों से संतुष्ट नहीं है ।
खरीदी केन्द्रों में खुले आम लूट चल रही थी अधिकारियों एवं जनप्रतिनिधियों के निरंतर निर्देशों के बावजूद खरीदी केन्द्रो में सुधार नहीं आया । परिवहनकत्र्ता को जिला कलेक्टर के परिवहन के लिये दिये गये सख्त निर्देश का पालन नहीं होने से असमय हुयी बारिश के कारण हजारों क्विंटल गेहूँ बर्बाद हो गयी । इस वर्ष खरीदी केंद्रों पर किसनों का खुले आम जिस तरह शोषण हुआ उसने स्पष्ट कर दिया कि खरीदी के लिये जिम्मेदार समितियों के कर्मी बेलगाम हो चुके है । जिले के जनप्रतिनिधियों और कमिश्नर एवं कलेक्टर सहित सभी अधिकारियों के औचक निरीक्षण बेअसर रहे। केंद्रों के कर्मचारी प्रशासनिक भय से मुक्त होकर किसानों को परेशान कर रहे थे।
जिले में गेहूँ की बम्फर फसल हुयी थी। सरकार ने 1925 रु प्रति किवंटल समर्थन मूल्य तय किया था जबकि बाजार भाव और मंडी में 1700 रु से लेकर 1750 रु रेट किसानों को मिल रहा था। कोरोना वायरस के चलते बरते जाने वाले एतिहातो के कारण भी कुछ बंदिशें थी। जिले में लगभग 98 खरीदी केंद्र बनाये गये थे।
इनमें एक खरीदी केंद्र सायलो भी था जहाँ शुरू से लेकर आखिर तक किसान परेशान हुये। ट्रैक्टरों की लंबी कतारों के कारण भारी अव्यवस्था रही। किसानों को चार पांच दिन खड़े रहने के बाद नम्बर आने पर गेहूँ रिजेक्ट हो जाने के कारण या तो वापस आना पड़ा या फिर चढ़ोत्तरी चढ़ा कर खुश करना पड़ा। वैसे भी सायलो जाने के लिये ट्रैक्टर वाले 2 से ढाई हजार रुपये किराया तथा 500 रु रोज हालटिंग चार्ज ले रहे थे। किसान को 100 रु प्रति किवंटल भाड़ा लग रहा था और 4 से 5 दिन की परेशानी पुजोनी में मिल रही थी।
जिले के सहकारी समितियों के खरीदी केंद्रों में तो बारदाने मिलने के दौर से ही किसानों के साथ शोषण का खेल शुरू हो जाता था। किसान से 10 रु से लेकर 25 रु प्रति किवंटल की चढ़ोत्तरी देना पड़ता था तब बारदाना मिलने के बाद तुलाई का नम्बर लगता था अन्यथा कई दिन बैठे रहना पड़ता था। किसी किसान ने यदि नेतागिरी बतायी तो उस पर पोर्टल का ब्रम्हास्त्र चला दिया जाता था कि पोर्टल बंद है तो हम क्या करें?
वैसे तो खरीदी चालू होते ही जिले के जनप्रतिनिधियों केंद्रीय मंत्री फग्गनसिंह कुलस्ते, सांसद डॉ ढाल सिंह बिसेन,विधायकगण दिनेश मुनमुन राय, राकेश पाल सिंह, योगेंद्र सिंह बाबा और अर्जुन ककोडिया ने भी अपने अपने क्षेत्रों के केंद्रों के निरीक्षण किया। सम्भाग के कमिश्नर और जिले के कलेक्टर डॉ राहुल हरिदास सहित कई अधिकारियों ने भी औचक निरीक्षण किये। अखबारों में फोटो के साथ बड़े बड़े समाचार भी प्रकाशित हुये लेकिन ये सभी शोभा की सुपारी ही साबित हुये। कहने को तो कुछ छोटे कर्मचारी निलंबित भी हुये लेकिन व्यवस्था में कोई सुधार नही हुआ।
इससे यह भी साबित हो गया कि या तो खरीदी केंद्र के मैदानी कर्मचारियों के ऊपर जिला प्रशासन और जनप्रतिनिधियों का कोई भय या दवाब नहीं रह गया या फिर पता नहीं चढ़ोत्तरी का प्रसाद कहाँ कहाँ तक बट रहा था? वैसे तो किसानों के हितैषी तो सरकार से लेकर सारे जनप्रतिनिधि अपने आप को कह रहें है पर किसानों का हित नही वरन शोषण ही हो रहा है।