सिवनी। आगामी 31 मई तक जारी लॉक डाउन के चलते 24 या 25 मई को ईद-उल-फितर के मौके पर ईद की नमाज़ मस्जिदों व ईदगाह में पाँच से ज्यादा लोग अदा न करें। उक्ताशय की बात शहर-ए-काजी हाफिज मौलाना मो. रफीक (अनीस) अंसारी ने जिलेवासियों से अपील करते हुये कही है।
मौलाना अनीस अंसारी ने आगे कहा कि वर्तमान में हुकुमत-ए-हिन्द ने कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव के लिये पूरे मुल्क में लॉक डाउन घोषित कर रखा है, जिसके चलते आगामी दिनों में ईद की नमाज़ के लिये भी हम सबको मिलकर लॉक डाउन के नियमों का पालन करते हुये शासन-प्रशासन को सहयोग प्रदान करना है, जिसके लिये सभी मुस्लिम धर्मावलंबी शांतिपूर्वक ईद का त्यौहार मनाये और ईद की नमाज़ के लिये मस्जिद व ईदगाह में पाँच लोगों से ज्यादा न जायें, बाकी सभी लोग अपने घरों में रहकर ही ईद के दिन नमाज-ए-चाश्त अदा करें।
सभी जिलेवासियों को ईद की मुबारकबाद देते हुये शहर-ए-$काजी ने अपील की है कि लॉक डाउन के नियमों का पालन करते हुये शांतिपूर्वक ईद का त्यौहार मनाये।
ईद के दिन चार रकआत चाश्त की नमाज़ पढ़ें : काजी-ए-शरअ
लॉकडाउन की वजह से ईद की नमाज़ और सद$क-ए-फित्र के बारे में $काजी-ए-शरअ जिला सिवनी मुफ़्ती तौहीद रज़ा साहब जानकारी देते हुये बताया कि कोरोना वाइरस की महामारी की वजह से मौजूदा लॉकडाउन में हुकूमत की तरफ से मस्जिद में नमाज़ पढऩे के लिये पांच नमाजिय़ों से ज़्यादा की इजाज़त नहीं मिल रही है। तो जिन को इजाज़त मिले वो लोग तो ईद की नमाज़ जमाअत से पढ़ लें और बाक़ी लोग अपनी इज़्ज़ते नफ़्स को खतरे में ना डालें वो लोग माज़ूर हैं।
काजी-ए-शरअ मुफ्ती तौहीद रज़ा ने आगे बताया कि बहारे शरीअत में है, इमाम ने नमाज़ पढ़ ली और कोई शख्स बाक़ी रह गया. चाहे वो शामिल ही ना हुवा था या शामिल तो हुवा मगर उस की नमाज़ किसी वजह से फ़ासिद हो गई तो अगर दूसरी जगह मिल जाये पढ़ ले वरना नहीं पढ़ सकता, हाँ बेहतर ये है कि ये शख्स चार रकआत चाश्त की नमाज़ पढ़े। ये नमाज़ ख़ालिस नफ़्ल नमाज़ होगी उसे नमाज़े ईद की कज़़ा ना समझे। ईद की नमाज़ जुमा की नमाज़ की तरह है ईद की नमाज़ उन्हीं लोगों पर वाजिब है जिन पर जुमा वाजिब है और उस की अदाएगी की वही शर्तें हैं जो जुमा ले लिये हैं, सिर्फ इतना फ़कऱ् है कि जुमा में खुत्बा शर्त है और ईद में सुन्नत।
सदक़ ए फि़त्र का हुक्म
ईद के दिन सुबह सादिक़ के तुलूअ होते ही मालिके निसाब पर सदक़ ए फि़त्र वाजिब होता है, वो अपनी और अपने नाबालिग औलाद की तरफ 2 किलो 45 ग्राम गेहूं या उस की क़ीमत से सदक़ ए फि़त्र निकाले। औरत या बालिग़ औलाद का फि़तरा उन की इजाज़त के बग़ैर अदा कर दिया तो अदा हो गया इस शर्त के साथ कि वो लोग उस की अयाल में हों यानी उन का नान वा नफ़्क़ा उस के जि़म्मेदारी में हो वरना बालिग़ औलाद की तरफ से बग़ैर इजाज़त के अदा ना होगा।
आज चाँद देखने का करें अहतेमाम
रमज़ानुल मुबारक की 29 वीं तारीख को चाँद देखने का अहतेमाम करें, चाँद नजऱ आ जाने की सूरत में मक़ामी क़ाज़ी-ए-शरअ या बड़े आलिमे दीन से राब्ता करके चाँद की शहादत दें, और अगर चाँद नजऱ ना आये तो टेलीफोन, टेलीवीजऩ या वाइट्स ऐप वग़ैरह की खबरों पर भरोसा ना करें और 30 रोज़े की गिनती पूरी करें।