सिवनी, बरघाट, धारनाकला (एस.शुक्ला): रसूखदार और शासकीय सेवा से जुड़े लोगों को एक रुपए किलो का एवं प्रधान मंत्री अन्न योजना का मुफ्त राशन मिल रहा है और गरीब आज भी अपना नाम गरीबी रेखा में जुड़वाने के लिए चक्कर लगा रहा है किंतु उसकी सुनने वाला कोई नहीं है.
एक तरफ हमारे प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान ग्राम पंचायत सचिव एवम विभागो के माध्यम से जन सेवा के नाम पर प्रत्येक ग्राम पंचायत में सर्वे का कार्य करवा रहे है ताकि ग्राम के हर नागरिक को शासन की मूल भूत योजनाएं और सुविधाएं उपलब्ध हो सके और इसी उद्देश्य को लेकर समस्त विभागो और खासकर पंचायत सचिवों के द्वारा सर्वे का कार्य भी प्रारंभ कर दिया गया है
किंतु हकीकत यह है कि सासन की जन कल्याणकारी योजनाओं से आज भी वास्तविक गरीब कोसो दूर है और इसका लाभ रसूख दार और धन से संपन्न लोग ही ले रहे है
उल्लेखनीय है कि धारणा कला में आज भी यह स्थिति है की सासन की महती योजना जिसमे गरीबों को एक रुपए किलो का एवम मुफ्त का राशन मिल रहा है वे अधिकतर या तो रसूखदार अथवा धन से संपन्न तथा लाखो रुपए के रोजगार अथवा आलीशान मकानों के मालिक होते हुवे गरीब की श्रेणी में नहीं है
फिर भी शासन की मूलभूत सुविधा का लाभ ले रहे है हद तो तब हो गई जब जानकारी लेने पर पता चला की शासकीय सेवा से जुड़े लोग जिन्हें महीने की पचास हजार रुपए महीने की हर माह सैलरी मिल रही है वे शासकीय सेवक भी एक रुपए किलो के एवम मुफ्त का अनाज लेने की पात्रता रखते है इससे अंदाजा लगाया जा सकता है सासन की मूलभूत सुविधाओं के लाभ से कैसे लोगो को सबसे ज्यादा लाभ मिल रहा है
अपने चहेतों के बने गरीबी रेखा के राशन कार्ड
यहां यह भी उल्लेखनीय है अधिकतर ग्राम पंचायतों में सरपंच एवम सचिवों के द्वारा इस लाभ से वा सासन की महती योजना से उन लोगो के नाम पहले जोड़े गए जो खासकर उनके करीबी एवम रिश्ते से जुड़े है फिर चाहे वे रसूखदार हो अथवा शासकीय सेवा से ही क्यों न जुड़ा हो और यही स्थिति धारणा कला की है जहा रसूखदार और शासकीय सेवा से जुड़े लोग सासन की महती योजना का लाभ ले रहे है और गरीब दफ्तरों के चक्कर लगा रहा है
चौपाया वाहन से लेने आते है राशन
आज भी राशन कार्ड धारी मोटर साईकिल महगी चोपाया वाहन से राशन दुकान में एक रुपए किलो का एवम मुफ्त का राशन लेने के लिए आते है और लेते ही उस राशन को बाजार में बेच देते है एक रुपए किलो का राशन आज भी बाजार में बीस रुपए किलो बिक रहा है वही गरीब अपने हक के लिए लड़ाई लड़ रहा है पर उसकी सुनने वाला कोई नहीं है क्योंकि अधिकारी भी उसी की सुनते है जो प्रभाव साली और राज नीति से जुड़ा है और यही कारण है की ग्रामीण अंचलों में गरीब सासन की मूल भूत सुविधा से आज भी वंचित है.
वर्तमान के सासन के दिशा निर्देश पर ग्राम ग्राम में और पंचायत में जन सेवा के माध्यम से सर्वे का कार्य प्रारंभ हो चुका है और सासन की लगभग ३३मूलभूत सुविधाओं का लाभ आम नागरिक को मिल रहा है की नही यह जानने और लाभ दिलाने के उद्देश्य से सर्वे कार्य किया जा रहा है किंतु अपात्रों का सासन की योजना का लाभ मिल रहा है इस दिशा में कोई प्रयास सामने नहीं आ रहे है यही कारण है की सासन की मूलभूत योजनाएं और उनका कीर्यानवयन कागजी कारवाही में ज्यादा अच्छा लगता है हकीकत में नहीं
किसे मिलना चाहिए गरीबी रेखा का लाभ
सासन के मापदंड और नियम पर गौर करे तो सासन के नियमा नुसार यैसे लोगो को मिलना चाहिए लाभ जो बीड़ी श्रमिक भूमि हीन कोटवार बुनकर एवम शिल्पी एच आई एड्स संकमित रेलवे में पंजीकृत कुली बंद पड़े मिले के श्रमिक एम आर एम डी हमाल एवम तुलावटी योजना कार्ड धारक वृद्धा श्रम अनाथ आश्रम अनुसूचित जन जाति अनुसूचित जाति ओला पाला प्रभावित मत्स्य पालन केंद्र ए ए वाय बी पी एल सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना के पेंशनर भवन एवम अन्य सनिर्माण कर्मकार मंडल कार्ड धारक मजदूर सुरछा कार्ड धारक वनाधिकार प्राप्त पट्टा धारी सायकिल रिक्सा हाथ ठेला चालक कार्ड धारक
ऐसे लोगो को गरीबी रेखा का एक रुपए किलो का राशन मिलने के नियम सरकार ने ही बनाए है किंतु धारणा कलां सहित पूरे बरघाट विकाश खंड में उन लोगो को राशन मिल रहा है जिनके पास लाखो की संपति पक्का खेतिहर जमीन जिसमे लाखो रुपए का धान उपार्जन हो रहा है आलीशान भवन महंगी मोटर सायकल चोपाया वहां उपलब्ध है किंतु जो गरीब है वे आज भी इस योजना से वंचित है क्या ऐसे लोगो की जांच करते हुए तथा कारवाही करते हुए वास्तविक गरीब को लाभ मिल पाएगा