धारनाकला (एस के शुक्ला): वैसे तो बृहताकार सहकारी समिति हमेशा अपनी कारगुजारियो के लिये चर्चा मे बनी रहती है किन्तु इस सत्र की करोडो रूपये की धान खरीदी की जिम्मेदारी एक दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी के हाथ मे सौपने से छेत्र के लोग संचालक सदस्यो की होटल पान दुकानो मे भूरि भूरि प्रशंसा करते नजर आ रहे है.
जबकि समिति मे नियमित समिति प्रबंधक के होते हुए चन्द महिने पहले लगाये गये दैनिक वेतन भोगी को इतनी बड़ी जिम्मेदारी संचालक सदस्यो के द्वारा दिये जाने से अन्दाजा लगाया जा सकता है कि इस समिती का संचालन कैसे चल रहा है.
उल्लेखनीय है कि इस संचालक बोर्ड का वैसे तो कार्य काल कुछ समय का ही बचा है किन्तु अपने बचे समय मे इनके द्वारा जितनी मनमानी की जाये सदस्य कर ही रहे है
कर डाली नियम विरूद्ध भर्तीया
संचालक बोर्ड के द्वारा अपनी मनमानी करते हुए नियम विरुद्ध तरीके से दैनिक भोगी कर्म चारियो की भर्ती मे भी कोई कसर नही छोडी गई है और जितना ज्यादा लाभ इनसे भर्ती प्रक्रिया मे अर्जित करना वह भी इनके द्वारा बखूबी किया गया है जबकि यह समिति सोलह सत्रह गांवो का केन्द्र है परन्तु कर्म चारियो की भर्ती प्रक्रिया मे किसी को भनक भी नही लगती और रातो रात इस समिती मे भर्तीया हो जाती है
आखिर क्यो समिति प्रबंधक को करते दरकिनार
यहा यह बताना भी लाजिमी है कि धारनाकला समिति मे हमेशा समिति प्रबंधक को समिती के कार्यो से दूर रखा जाता है यहा तक की जवाबदारी वाले कार्यो को भी बोर्ड अपनी मनमानी करते हुऐ दैनिक वेतन भोगी करमचारीयो के हाथ मे सौपते आ रहा है क्या समिती प्रबंधक इनकी मनमानी का हिस्सा बनने मे इन्कार करता है यह बात भी समझ से परे है
यहा यह भी उल्लेखनीय है कि धारनाकला समिती पूर्व मे ब्लेक लिस्टेड थी किन्तु विभागीय साठ गाठ के चलते समिती के खरीदी कोड मे परिवर्तन करते हुए इन्होने धान खरीदी लेने मे पिछले सत्र मे ही सफलता पा ली है जबकि हकीकत यह है बेहर ई के खरीदी कोड पर धारनाकला समिति को धान खरीदी से नवाजा गया है
पूरे पाच वर्ष से इस समिति मे शिकायतो का दौर चल रहा है और सारा ठीकरा समिती प्रबंधक के माथे पर संचालक सदसयो ने शिकायत कर ठोक दिया है जबकि अपनी मनमानी के लिये यह समिती हमेशा सम्बन्धित अधिकारियो के नजर मे भी है किन्तु अब तक कोई ठोस कार्रवाई न होने अब तक इस समिती का संचालन अंधेर नगरी की तर्ज पर चले आ रहा है
वर्तमान मे समर्थन मूल्य पर धान खरीदी की शुरूआत होना है ऐसे मे दैनिक वेतन भोगी के हाथ मे कमान और कुछ सदस्यो की मनमानी से इंकार नही किया जा सकता
और इनकी मनमानी का दश छेत्र के किसानो को झेलना पडेगा जो हमेशा की तरह इस बार भी इनके स्वार्थ की बलि चढने मजबूर और विवश होगे

