सिवनी, धारनाकला (एस. शुक्ला): किसानों को कृषि कार्य के लिए अक्सर पैसों की आवश्यकता पड़ती है और इसी को ध्यान में रखकर सरकार द्वारा किसानों के लिए किसान क्रेडिट योजना के तहत अपनी जमीन को गिरवी रखकर बहुत कम ब्याज दर पर खेती का लोन ले सकते हैं और इसे किसान क्रेडिट कार्ड स्कीम जो स्पेशल रूप से किसानों के लिए ही बनाई गई जो समय पर किसानों को न मिले।
इससे अनुमान लगाया जा सकता है कि हमारा अन्नदाता किसान आज की स्थिति में किस दौर से गुजर रहा है जबकि सरकारी दावों के अनुसार कृषक सदस्यों को उर्वरक, बीज, कृषि रक्षा रसायन के रूप में अल्प कालीन फसली ऋण तथा किसान सदस्यों को 59 प्रतिशत तक नगद भुगतान की सुविधा तक प्रदान हैं किन्तु सहकारी समितियों में जो किसानों से ही जुड़ी हैं में किसानों को किसान क्रेडिट का लाभ नहीं मिल रहा है और मिल भी रहा है तो महीनों उन्हें इंतजार करना पड़ रहा है।
सहकारी समिति आष्टा से जुड़े किसानों को नहीं मिल रहा लाभ। उल्लेखनीय है कि किसानों की समिति बृहताकार सहकारी समिति आष्टा है, जिसमें तेरह गांवों के किसान सदस्य हैं और समिति के आकड़ों के अनुसार लगभग 4500 चार हजार पांच सौ किसान इस समिति के सदस्य हैं और प्रति वर्ष लगभग 900 नौ सौ किसान समिति से खाद बीज के तौर पर ऋण लेते हैं।
किन्तु समिति से जुड़े किसानों को अपने कृषि कार्य के नगद ऋण की सुविधा यहां से नहीं मिल रही है। जब इस संबंध में किसानों से बात की गई तो उनका कहना है कि हमें खाद तो कृषि ऋण के तौर पर दिया जा रहा है, किन्तु नगद ऋण की सुविधा नहीं है और इस कारण इस छेत्र के किसानों को तीन वर्ष नगद ऋण के रूप में ऋण नहीं मिल रहा है।
समिति प्रबंधक ने कहा कि वसूली नहीं आती है। जब इस संबंध में संस्था के प्रभारी प्रबंधक से जानकारी ली गई तो उनके द्वारा बताया गया कि किसानों को परमिट के आधार पर खाद उपलब्ध कराया जा रहा है और तीन वर्षों से नगद ऋण के रूप में के सी सी ऋण किसानों को नहीं दिया जा रहा चूंकि समय पर किसानों से ऋण की राशि की वसूली नहीं हो पाती।
साथ ही, किसान भी नगद ऋण की मांग नहीं करते हैं, और जो करते हैं उन्हें उन किसानों को नगद ऋण भी दिया जा रहा है। जानकारी में समिति प्रबंधक ने यह भी बताया कि अब तक समिति से दस से पंद्रह किसानों को नगद ऋण दिया गया है, वहीं दूसरी तरफ किसानों के मानने तो उनका कहना है कि समिति के द्वारा ही नगद ऋण की सुविधाओं से वंचित किया जा रहा है।
संस्था के पूर्व उपाध्यक्ष सुनील पन्द्रे का कहना है कि कृषि कार्य के लिए किसान को खाद के साथ-साथ पैसों की भी आवश्यकता पड़ती है, किन्तु डिफॉल्टर किसानों की आड़ में जो किसान नियमित कर्ज की अदायगी करते हैं, उन्हें भी नगद ऋण की सुविधा से वंचित किया जाना गलत है। जब खाद की राशि की वसूली छेत्र का किसान नियमित दे रहा है, ऐसे में नगद ऋण की राशि की अदायगी भी किसान करता है, इसके बावजूद भी विगत तीन वर्षों से छेत्र के किसान सरकार द्वारा किसानों के हित में लाई गई किसान क्रेडिट योजना से वंचित हैं।
यहां यह बताना भी लाजिमी है कि सहकारी समितियाँ सस्ते ऋण की सुविधा उपलब्ध कराने एवं निर्बल वर्ग के लोगों को समितियों की अंशपूजी में विनियोजन हेतु ऋण देने के अतिरिक्त, कृषकों द्वारा उत्पादित वस्तुओं के विधायक एवं संग्रहण में सहायता करती हैं, और उनकी उपज का अच्छा लाभ दिलाने में सहायक प्रदान करने का दायित्व रखती हैं। किन्तु शासन की मंशा के विपरीत जवाबदार संचालन करते हुए शासन की योजनाओं के लाभ से अन्नदाता किसानों को वंचित करते आ रहे हैं, जिस ओर किसी का ध्यान नहीं है।