सिवनी, धारनाकला (एस. शुक्ला): धान उपार्जन केन्द्रो मे धान खरीदी प्रभारीयों से धान शार्टेज की राशि वसूली की कार्रवाई विभागीय उदासीनता के चलते नोटिस तामीली तक ही सिमटकर रह गई है.
किन्तु समितियो को लाखो के नुकसान मे पहुँचाने वाले जवाबदार कर्मचारियों पर संबधित विभाग क्यो महरबान है समझ से परे है.
धान उपार्जन नीति कागजों मे सिमटी
उल्लेखनीय है की शासन द्वारा बनाई गई उपार्जन नीति सिर्फ कागजो की शोभा बनकर रह गई है चूकि उपार्जन नीति पर अमल आज तक नही हुआ है और यही कारण है अधिकांश सहकारी समितिया उपार्जन नीति को ठेगा दिखाकर लाखो रूपये की छति सहकारी समितियो को पहुंचाते आ रहे है.
जबकि उपार्जन नीति के अनुसार खरीदी प्रभारी का यह दायित्व है की उपार्जित स्कंध की सुरक्षित अभिरक्षा मे रखकर एवं एफ एक्यू स्कंध उपार्जन एजेंसी को पूर्ण स्कंध प्रदाय करने की जिम्मेदारी खरीदी प्रभारी की होती है किन्तु उपार्जन केन्द्रो मे हजारो क्विंटल धान के शार्टेज के साथ साथ लाखो की छति सहकारी समितियो को हुई है और इस हेतू सम्बंधित खरीदी प्रभारी उत्तरदायी है.
इसके साथ ही संस्था अथवा समिति को प्राप्य कमीशन राशि से भी वंचित रहना पड रहा है किन्तु इस दिशा मे तथा समितियो को घाटे से उबारने मे सम्बंधित विभाग की ठोस कार्रवाई अब तक सामने नही आई है और यही कारण है की लगातार धान उपार्जन नीति के तहत नियमो का पालन न होने से सहकारी समितियो को नुकसान तथा हानि के दौर से गुजरना पड रहा है
खरीफ धान उपार्जन मे स्कंध कमी की राशि वसूली
उल्लेखनीय है की खरीफ धान उपार्जन मे जिले की अधिकांश सहकारी समिति तथा स्व सहायता समूहो के द्वारा खरीदी मात्रा से हजारो क्विंटल धान परिवहन की मात्रा मे कमी दी है तथा समिति को भारी हानि हुई है जिसमे धान उपार्जन केन्द्र नगझर मे सहकारी समिति खामी के द्वारा 52756.40 किवटल धान खरीदी मे परिवहन मात्रा एवं वास्तविक गोदाम मे जमा धान 51611.76 के साथ 1145.24 किवटल धान का शार्टेज देते हुऐ 2335800 तेइस लाख पैंतीस हजार आठ सौ रूपये की हानि पहुंचाई गई.
इसी तरह आदिम जाति सहकारी समिति लालपुर के द्वारा केन्द्र धारनाकला तथा धोबीसर्रा मे 1710 किवटल धान के शार्टेज के साथ 3488040 चौतीस लाख अठयासी हजार रूपये की हानि पहुंचाई गई आष्टा समिति के द्वारा खरीदी करते हुऐ 500 किवटल धान के शार्टेज के साथ साथ दस से बारह लाख रूपये की छति तथा मलारा सेवा सहकारी समिति के द्वारा समनापुर केन्द्र मे खरीदी करते हुऐ 1099 किवटल धान शार्टेज के साथ समिति को 2241980 बाइस लाख इकतालीस हजार नौ सौ साठ रूपये की हानि पहूचाई गई है.
इसी तरह जिले की अधिकांश सहकारी समितियो तथा स्व सहायता समूहो के द्वारा धान स्कंध की कमी दी गई है और करोडो रूपये की वसूली के सम्बध्द मे सिर्फ नोटिस देते हुऐ कारवाई को ठंडे बस्ते मे डाल दिया गया है किन्तु ठोस कार्रवाई का न होना तथा वसूली राशि मे कोताही बरतना समझ से परे है.
वेतन के लाले पर 89 दिन की भर्ती मे कमी नही
जहा एक तरफ अधिकतर सहकारी समितिया घाटे का रोना रो रही है और सहकारी समितियो मे महिनो से कर्म चारियो को वेतन न मिलने की बात भी सौ टका सत्य है बावजूद इसके जवाबदारो ने तथा समिति के संचालक बोर्ड के द्वारा 89 दिन की भर्ती के नाम पर नियमो को ताक पर दैनिक वेतन भोगी कर्म चारियो की नियुक्ति कर दी है तथा रातो रात सहकारी समितियो मे 89 दिन की भर्ती तो हो गई.
किन्तु वर्षो से समिति मे भर्ती के 89 दिन समाप्त नही हुऐ जबकि उपायुक्त सिवनी के द्वारा इस सम्बध्द मे जांच तो प्रारम्भ की गई और जानकारी भी समितियो से मांगी गई किन्तु अब तक फर्जी नियुक्ति के सम्बन्ध मे ठोस कार्रवाई नगण्य है.
वही दूसरी तरफ समिति मे कार्यरत कर्म चारी की सेवा काल मे मृत्यू के बाद भी उसके परिवार को अनुकम्पा नियुक्ति नही किन्तु पैसो की खनक के चलते सहकारिता के नियमो को ताक पर रखकर 89 दिन की भर्ती जरूर हो गई और आज की स्थिति मे समिति को गर्त मे ले जाने मे 89 दिन की भर्ती ही समिति को गर्त मे ले जाने मे कोई कसर नही छोड रहे है.
निष्पक्षता के साथ हो जांच तथा कार्रवाई
किसानो से जुडी सहकारी समितियो मे भारी पैमाने पर अनियमितताऐ तथा समिति को हानि पहुचाने के सम्बन्ध मे किसानो के द्वारा भी ठोस कार्रवाई की मांग की गई है चूकि शासन से जुडी तथा किसानो के हित की योजनाए सहकारिता विभाग से ही संचालित हो रही है.
दर्जनो गांव के किसानो का लेन देन समिति से ही होता है किन्तु किसानो से जुडी सहकारी समितियो मे समिति मे कार्यरत कर्मचारी ही सहकारी समिति को लगातार अपने स्वार्थ के चलते हानि पहुचा रहे है तथा नियमो को ताक पर रखकर समिति का संचालन कर रहे है तथा समितियो से लाखो रूपये की लेनदारी मध्य प्रदेश स्टेट सिविल सप्लाईज कार्पो सिवनी की निकल रही है.
किन्तु इस लेनदारी की वसूली मे सम्बंधित विभाग क्यो शान्त है समझ से परे है यहा यह बताना भी लाजिमी है की सहकारी समितियो मे संचालक मंडल के प्रस्ताव के आधार पर जिस तरह मनमानी की गई है उसकी निस्पक्ष जांच हो तो लाखो और करोडो रूपये के फर्जी वाडा और वसूली की कहानी सामने होगी