सिवनी। सीधी में बस के नहर में गिरने और 51 लोगों की जल समाधि होने के बाद सिवनी जिले के अधिकारी भी नींद से जाग गए हैं। सड़क पर दौड़ रही खटारा बसें, बिना परमिट की बसें व क्षमता से अधिक सवारी भरकर सड़कों पर दौड़ रही बसों पर प्रशासन अब कार्यवाही करने उतरा है। सड़क पर ओवरलोड व बिना परमिट की बसें सालों से दौड़ रही है।
जिले में आरटीओ अमले द्वारा चलाए जा रहे जांच अभिायन में ऐसी बसें बड़ी संख्या में मिल रही है। पहले दिन बिना परमिट की 5 बसों को जब्त करने की कार्रवाई की गई थी। वहीं दूसरे दिन शुक्रवार को ओवरलोड व बिना परमिट दौड़ती मिली 4 बसों को आरटीओ अमले ने जब्त किया है। शहर के सरकारी बस स्टैंड से जांच के बाद कमियां पाई जाने पर कुछ बसों को जब्त किया गया है। इससे इन बसों में सफर करने वाले यात्रियों को परेशान होना पड़ा।
जांच के दौरान बिना परमिट के दौड़ते मिली बस क्रमांक एमपी 20 पीए 1670, एमपी 28 पी 0451, एमपी 50 पी 3054 को जब्त किया गया है। इसके अलावा ओवरलोड पाई गई बस क्रमांक एमपी 22 पी 0156 को भी जब्त कर लिया गया है। शुक्रवार को शहर के बस स्टैंड सहित मुख्य मार्गाे में आरटीओ अमले ने 12 वाहनों पर चालन कर 16 हजार स्र्पये वसूल किए।
ग्रामीण रूट की बसें गायब- आरटीओ अमले की कार्रवाई के बाद ग्रामीण क्षेत्रों में चलने वाली ज्यादातर बसें गायब हो गई है। जानकारी के मुताबिक ग्रामीण क्षेत्रों में जर्जर व खटारा बसों का संचालन सालांे से हो रहा है। हाल ही में आरटीओ अमले की कार्रवाई के बाद ग्रामीण रूट पर चलने वाली बसें सड़कों पर नजर नही आ रही है। कार्रवाई से बचने के लिए बस संचालकों ने फिलहाल खटारा बसों का संचालन बंद कर दिया है। इसके कारण ग्रामीण क्षेत्रांे के लोगों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
कोई भी बड़ा हादसा होने के बाद आरटीओ अमला बसों व अन्य वाहनों की जांच करने के लिए अभियान चलाता है। अभियान के दौरान अनेक बसें व अन्य वाहन नियमों के विपरीत सड़क पर दौड़ते पाए जाते है। अभियान समाप्त होने के बाद जांच नही होने पर फिर वाहन संचालकों की मनमानी शुरू हो जाती है। जागरूक लोगों का कहना है कि आरटीओ अमला यदि नियमित यात्री बसों व अन्य वाहनो की जांच करे तो वाहन संचालकों की मनमानी पर रोक लगाई जा सकती है।
सड़कों पर खटारा व मुसाफिरों की जान जोखिम में डालने वाली बसों पर लगातार कार्रवाई होनी चाहिए। आरटीओ अमला साल में एक या दो बार ही वाहनों की जांच करता है। इससे धड़ल्ले से खटारा व नियमों से विपरीत यात्री बसें संचालित हो रही है।
जगह-जगह रुकती है बसें – पूर्व में हुई जिला प्रशासन व यातायात पुलिस की बैठकों में शहर में जगह-जगह बसों के रूकने पर कार्रवाई करने का निर्णय लिया जा चुका है। इसके बाद भी इस पर अमल नहीं हो पाया है। बस स्टैंड़ से निकलने के बाद बसें हर 50 से 100 मीटर की दूरी पर रूककर सवारी उतारने व चढ़ाने का काम कर रही है। शहर के सरकारी व प्रायवेट बस स्टैंड से नागपुर, छिन्दवाड़ा जाने वाली बसें लक्ष्मी नारायण मंदिर के सामने, शंकर मढ़िया, मंगलीपेठ व छिन्दवाड़ा चौक में रूकती है।
इसके अलावा जबलपुर, बालाघाट व मंडला जाने वाली बसें बस स्टैंड से निकले के बाद दलसागर चौक, गांधी भवन के सामने, विंध्यावासनी मंदिर व अन्य स्थानों पर रूकती है। सघन आवाजाही वाले इन क्षेत्रों मंे सड़क पर बसें रूकने के कारण कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। इस ओर अब तक पुलिस व आरटीओ अमले ने कोई कार्रवाई नही की है। इस मामले में एआरटीओ देवेश बाथम का कहना है की जिले में बसों की जांचअभियान के तहत शुक्रवार को 12 वाहनों पर कार्रवाई की गई है। बिना परमिट व ओवरलोड पाए जाने पर 4 बसों को जब्त किया गया है। अभियान निरंतर जारी रहेगा।