शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय धारनाकला में उस क्षण ने भावनाओं का सैलाब ला दिया जब प्राचार्य श्री भगवतसिंह धुर्वे को सेवानिवृत्ति के उपलक्ष्य में विद्यालय परिवार, अभिभावकों और जनप्रतिनिधियों ने नम आँखों से विदाई दी। यह अवसर केवल एक औपचारिक कार्यक्रम नहीं था, बल्कि एक युग की समाप्ति और अनमोल यादों का संगम भी था।
शिक्षा और अनुशासन के प्रतीक रहे प्राचार्य भगवतसिंह धुर्वे
प्राचार्य भगवतसिंह धुर्वे जी का व्यक्तित्व हमेशा से सादगी, सौम्यता, अनुशासन और सेवा भावना का परिचायक रहा है। उनके कार्यकाल के दौरान विद्यालय ने न केवल शैक्षणिक स्तर पर बल्कि प्रशासनिक व्यवस्था में भी उच्च मानदंड स्थापित किए। उनकी समर्पित कार्यशैली और दूरदृष्टि के कारण विद्यालय ने प्रदेश स्तर पर अपनी विशिष्ट पहचान बनाई।
जनप्रतिनिधियों ने दी दिल से विदाई
विदाई समारोह में उपस्थित जनपद पंचायत, नगर परिषद तथा स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने अपने वक्तव्यों में प्राचार्य जी की सरलता, विनम्रता और स्नेहिल स्वभाव की सराहना की। उन्होंने बताया कि भले ही प्राचार्य श्री धुर्वे का कार्यकाल अल्पकालिक रहा, लेकिन उनके द्वारा विद्यालय में किए गए कार्य दीर्घकालीन प्रभाव छोड़ने वाले हैं।
विद्यालय के छात्र-छात्राओं की निरंतर बढ़ती संख्या और उनके सुधरते परीक्षा परिणाम इस बात के साक्षी हैं कि उन्होंने संस्था को नई ऊँचाइयों पर पहुँचाया।
एक शिक्षक का चार दशक का समर्पण
अपने उद्बोधन में प्राचार्य श्री भगवतसिंह धुर्वे जी ने कहा,
“मुझे यह अहसास ही नहीं हुआ कि कैसे यह अड़तीस वर्ष, एक माह और इक्कीस दिन बीत गए। यह विद्यालय, इसके शिक्षकगण, विद्यार्थीगण और अभिभावकों का जो प्रेम, सहयोग और आदर मुझे मिला, वह मेरे जीवन की सबसे अनमोल पूँजी है।”
उन्होंने आगे कहा कि शिक्षा विभाग ने उन्हें जो सम्मान, प्रतिष्ठा और पहचान दी है, उसके लिए वे सदैव कृतज्ञ रहेंगे। यह विदाई उनके लिए भावुक और अविस्मरणीय क्षण है।

नम आँखें और भारी दिल, भावनाओं का ज्वार
विदाई के क्षण में जब ध्वनि यंत्रों की मधुर धुनों के बीच प्राचार्य जी को बाजे-गाजे के साथ सम्मानपूर्वक विदा किया गया, तो हर आंख भीगी थी और हर दिल भावनाओं से ओतप्रोत। शिक्षकगण, शिक्षिकाएं, अभिभावक, छात्र-छात्राएं, सभी ने अपने प्रिय प्राचार्य को फूलों की वर्षा के साथ अलविदा कहा।
प्राचार्य जी के नेतृत्व में विद्यालय की उपलब्धियाँ
- शैक्षणिक गुणवत्ता में अभूतपूर्व सुधार
- अनुशासन की नई मिसालें
- वर्गीकृत शिक्षकों के बीच सामंजस्यपूर्ण कार्य वातावरण
- छात्रवृत्ति, विज्ञान प्रदर्शनियों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में बढ़-चढ़कर भागीदारी
- विद्यालय में आधुनिक संसाधनों की स्थापना
इन उपलब्धियों ने इस विद्यालय को केवल जिले में नहीं बल्कि मंडल व प्रदेश स्तर पर भी प्रतिष्ठा दिलाई।
शिक्षण सेवा की प्रेरणा बनें श्री धुर्वे
आज जब शिक्षक समुदाय में नौकरी मात्र को लक्ष्य मानने की प्रवृत्ति बढ़ रही है, तब श्री भगवतसिंह धुर्वे जी जैसे समर्पित शिक्षक एक प्रेरणास्त्रोत बनकर सामने आते हैं। उनके चार दशक के कार्यकाल में उन्होंने कई पीढ़ियों को संस्कार, ज्ञान और आत्मबल दिया।
शिक्षकगण ने दी स्मृति-चिन्हों और शब्दों से विदाई
इस अवसर पर विद्यालय स्टाफ ने स्मृति चिन्ह, सम्मान पत्र और हार्दिक शब्दों के माध्यम से प्राचार्य जी को विदाई दी। सभी ने एक स्वर में यह कहा कि,
“आप हमारे लिए केवल प्राचार्य नहीं, बल्कि मार्गदर्शक, संरक्षक और प्रेरक शक्ति रहे हैं।“
कार्यक्रम की मुख्य झलकियाँ
- विद्यालय प्रांगण में भव्य मंच सुसज्जित किया गया।
- विद्यार्थियों द्वारा स्वागत गीत और विदाई गीत प्रस्तुत किए गए।
- जनप्रतिनिधियों ने गुलदस्ते, शॉल व श्रीफल भेंट किए।
- विद्यालय की दीवारों पर प्राचार्य जी के कार्यकाल की झलकियाँ पोस्टर के रूप में सजाई गईं।
- सभी वर्गों के छात्र-छात्राओं ने भावनात्मक भाषण और काव्य पाठ प्रस्तुत किया।
भावभीनी विदाई, विद्यालय के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों से अंकित
धारनाकला का यह दिन हमेशा इतिहास में दर्ज रहेगा। विद्यालय ने एक ऐसे प्राचार्य को विदा किया जिन्होंने अपने कर्तव्यों का निर्वहन निष्ठा, ईमानदारी और पूरी मानवता के साथ किया। उनका योगदान सदैव स्मरणीय और प्रेरणादायक रहेगा।