सिवनी। सिवनी में ब्राडगेज लगभग पूरी होने के बाद भी अब तक सवारी रेलगाड़ी आरंभ नहीं होने का खामियाजा यात्रियों को भोगने पर मजबूर होना पड़ रहा है। त्योहार, मेले ठेले के अवसर पर यात्री बस के किराए में आग लग जाती है, पर इस ओर न तो परिवहन विभाग ध्यान देता है न ही पुलिस ही कुछ करती नजर आती है।
सिवनी से भोपाल, इंदौर, नागपुर और जबलपुर आने जाने वाले यात्रियों को इसका भोगमान भोगने पर मजबूर होना पड़ता है। सिवनी से भोपाल का किराया आम दिनों में 400 रूपए रहता है किन्तु दीपावली के अवसर पर अगर आप ऑन लाईन बुकिंग कराएंगे तो आपको किराया दो हजार से ज्यादा का दिखाई देगा।
इसी तरह सिवनी से नागपुर का किराया आम दिनों में 180 रूपए रहता है किन्तु त्यौहारों के अवसर पर यह एक हजार के आसपास हो जाता है। सिवनी से इंदौर का किराया 600 रूपए रहता है पर त्यौहार पर यह 3000 रूपए से अधिक वसूला जाता है।
दरअसल, राज्य परिवहन की सेवाओं के बंद होने के बाद निजि यात्री बस संचालकों का एकाधिकार हो गया है। सालों से इसी तरह का किराया यात्री बस संचालक वसूल रहे हैं, किन्तु परिवहन विभाग और पुलिस इस मामले में मानो बेबस ही नजर आती है।
यात्रियों का आरोप है कि स्लीपर बस में एक स्लीपर पर आठ से नौ यात्री भेड़ बकरियों के मानिंद भरे जाते हैं। अगर कोई यात्री इस पर आपत्ति जताता है तो उसे उतार दिया जाता है। बस का स्टॉफ भी इन सवारियों से दुर्व्यवहार करता नजर आता है।
इस मामले में सूत्र सेवा की यात्री बस का किराया अवश्य ही निर्धारित ही रहता है, किन्तु विडम्बना ही कही जाएगी कि सिवनी के दोनों सांसद और चारों विधायक मिलकर भी सूत्र सेवा की यात्री बस को सिवनी से भोपाल, इंदौर या नागपुर नहीं चलवा पा रहे हैं। इसके परिणाम स्वरूप यात्री लुटने पर मजबूर हैं।
गाहे बेगाहे सोशल मीडिया पर सवारी रेलगाड़ी आरंभ नहीं होने के पीछे यात्री बस संचालकों को लाभ पहुंचाने के आरोप भी सांसदों, विधायकों पर लगते आए हैं। जनप्रतिनिधियों के मौन से इन आरोपों को बल मिलता है कि जनप्रतिनिधियों के द्वारा पैसेंजर ट्रेन चलवाने में यात्री बस संचालकों के दबाव में अनावश्यक विलंब ही किया जा रहा है.