सिवनी: ग्रामीण अंचलों में पेयजल समस्या और प्रशासन की उदासीनता

ग्रामीण अंचलों में पेयजल समस्या और प्रशासन की उदासीनता: एक गंभीर चिंता

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Shubham Sharma – Indian Journalist & Media Personality | Shubham Sharma is a renowned Indian journalist and media personality. He is the Director of Khabar Arena...
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सिवनी: ग्रामीण अंचलों में पेयजल समस्या और प्रशासन की उदासीनता - एक गंभीर चिंता

ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल संकट लगातार गहराता जा रहा है, लेकिन प्रशासन की ओर से इस विषय पर गंभीरता का अभाव साफ़ दिखाई देता है। गर्मी के मौसम में जब जल की आवश्यकता अत्यधिक होती है, तब इन क्षेत्रों में जल संकट ने विकराल रूप धारण कर लिया है। पेयजल के लिए गांवों में हाहाकार मचा हुआ है, परंतु दूसरी ओर नल-जल योजनाओं की लापरवाही और टालमटोल रवैया इस समस्या को और भी पेचीदा बना रहा है।

ग्रामीण क्षेत्रों में त्राहि-त्राहि क्यों?

गांवों के कई वार्डों में नलों से पानी की आपूर्ति नहीं हो पा रही है। जहां कहीं पानी की टंकी से जल आपूर्ति हो भी रही है, वहां पानी सड़कों पर व्यर्थ बहता दिखाई देता है। यह स्थिति दर्शाती है कि प्रशासनिक निगरानी और संचालन में गंभीर खामियां हैं। ग्रामीण जनता एक ओर पानी की एक-एक बूंद के लिए संघर्ष कर रही है, वहीं दूसरी ओर लाखों रुपये की लागत से बनी जल संरचनाएं बेकार जा रही हैं।

नल-जल योजना का अधूरा सच

नल-जल योजना, जो कि सरकार की एक महत्वाकांक्षी योजना है, का उद्देश्य था कि हर घर तक शुद्ध पेयजल पहुंचे। लेकिन धरातल पर हालात अलग हैं। पंचायत का कहना है कि यह योजना अभी उनके अधीन नहीं आई है, जबकि ठेकेदारों का दावा है कि निर्माण कार्य पूर्ण हो चुका है। ऐसे में यह स्पष्ट होता है कि पंचायत और ठेकेदार के बीच समन्वय की कमी के चलते गांववाले पीने के पानी से वंचित हो रहे हैं।

पंचायत की भूमिका पर सवाल

जब पंचायत से पूछा गया कि जल आपूर्ति क्यों नहीं हो रही है, तो जवाब मिला कि नल-जल योजना अभी उनके अधीन नहीं आई है क्योंकि कार्य अभी अधूरा है। लेकिन दूसरी ओर ठेकेदार का कहना है कि संपूर्ण निर्माण कार्य पूरा हो चुका है और अब संचालन का जिम्मा पंचायत को लेना है। इस तरह की अस्पष्ट स्थिति और जिम्मेदारी से भागना, प्रशासनिक निकायों की अयोग्यता को दर्शाता है।

ठेकेदार का पक्ष और जिम्मेदारी

ठेकेदारों का दावा है कि पानी की टंकी, पाइपलाइन, और अन्य संरचनाएं तैयार हैं और जल सप्लाई चालू की जा सकती है। वे पंचायत पर आरोप लगाते हैं कि पंचायत संचालन की जिम्मेदारी लेने में हीला-हवाली कर रही है। यदि ठेकेदार का कथन सही है, तो यह स्पष्ट होता है कि जनता की परेशानियों की वजह प्रशासनिक निष्क्रियता और आपसी संवादहीनता है।

प्रभावित वार्डों में विकराल संकट

वर्तमान में कई वार्डों में पानी की आपूर्ति पूरी तरह ठप है। महिलाओं को कई किलोमीटर दूर से पानी लाना पड़ रहा है, जिससे उनकी शारीरिक और मानसिक स्थिति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे, पशुओं के लिए पानी का संकट है और खेतों की सिंचाई भी प्रभावित हो रही है। यह स्थिति न केवल जल संकट है, बल्कि सामाजिक और आर्थिक संकट का रूप भी ले चुकी है।


सरकारी संसाधनों का दुरुपयोग

जहां एक ओर गांवों में जल की किल्लत है, वहीं दूसरी ओर जल आपूर्ति की टंकियों से अप्रबंधित तरीके से पानी बहता नजर आता है। इससे लाखों लीटर पानी बर्बाद हो रहा है। अगर इन टंकियों का संचालन सही ढंग से हो, तो गांव की पूरी आबादी को आसानी से जल उपलब्ध कराया जा सकता है। लेकिन अफसोस की बात यह है कि प्रशासनिक उदासीनता के चलते इस दिशा में कोई ठोस कार्यवाही नहीं हो रही है।

निष्क्रियता से विनाश की ओर

अगर जल संकट को शीघ्र हल नहीं किया गया, तो आने वाले समय में यह समस्या विनाशकारी रूप ले सकती है। गांवों से बड़ी संख्या में पलायन शुरू हो सकता है, स्वास्थ्य संबंधी बीमारियों में वृद्धि हो सकती है और सामाजिक असंतुलन भी उत्पन्न हो सकता है। इसलिए प्रशासन को अब नींद से जागने की जरूरत है

ग्रामीण क्षेत्रों में जल संकट एक गंभीर और ज्वलंत मुद्दा बन चुका है। इसका समाधान तभी संभव है जब प्रशासन, पंचायत और ठेकेदार आपसी तालमेल से काम करें और जनता के हितों को प्राथमिकता दें। जल का महत्व केवल पेयजल तक सीमित नहीं, बल्कि यह जीवन की बुनियादी जरूरत है, और इसकी अवहेलना भविष्य को संकट में डाल सकती है।

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Shubham Sharma – Indian Journalist & Media Personality | Shubham Sharma is a renowned Indian journalist and media personality. He is the Director of Khabar Arena Media & Network Pvt. Ltd. and the Founder of Khabar Satta, a leading news website established in 2017. With extensive experience in digital journalism, he has made a significant impact in the Indian media industry.
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