सिवनी में बंगाल में वक्फ कानून के विरोध की आड़ में हिंदुओं पर हिंसा के विरोध में धरना प्रदर्शन

वक्फ कानून की आड़ में हिन्दुओं के विरुद्ध सुनियोजित षड्यंत्र

SHUBHAM SHARMA
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Shubham Sharma – Indian Journalist & Media Personality | Shubham Sharma is a renowned Indian journalist and media personality. He is the Director of Khabar Arena...
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सिवनी, मध्य प्रदेश: बंगाल, विशेष रूप से मुर्शिदाबाद, इन दिनों एक भीषण और चिंताजनक दौर से गुजर रहा है। वक्फ कानून के विरोध के नाम पर 11 अप्रैल, 2015 को जो हिंसा आरंभ हुई, वह मात्र किसी विधायी प्रक्रिया का विरोध नहीं थी, बल्कि यह एक सुनियोजित और संगठित हमला था हिंदू समाज पर। हिंदू विरोध और राष्ट्रविरोधी मानसिकता ने बंगाल को एक बार फिर सांप्रदायिक विभाजन की ओर धकेल दिया है।

इस हिंसा का विरोध दर्ज करते हुए विश्व भर में विश्वहिन्दू परिषद् एवं बजरंज दल के साथ मिलकर हिन्दुओं ने देश के हर शहर में विरोध प्रदर्शन कर राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा. इसी कड़ी में सिवनी जिला मुख्यालय में भी विश्वहिन्दू परिषद् एवं बजरंज दल के साथ मिलकर हिन्दुओं ने ममता बनर्जी का पुतला दहन कर राष्ट्रपति के नाम तहसीलदार को ज्ञापन सौंपा.

मुर्शिदाबाद: जहां से शुरू हुई दहशत की लहर

विश्वहिन्दू परिषद् जिला अध्यक्ष अखिलेश सिंह चौहान ने जानकारी देते हुए बताया कि मुर्शिदाबाद में मुस्लिम भीड़ द्वारा किए गए दंगों में न सिर्फ 200 से अधिक घरों और दुकानों को लूटा और जलाया गया, बल्कि सैकड़ों हिंदू परिवारों पर हमला कर उन्हें घायल किया गया। तीन हिंदुओं की हत्या, दर्जनों महिलाओं के साथ बलात्कार और 500 से अधिक परिवारों का पलायन इस हिंसा की भयावहता को दर्शाता है।

वक्फ कानून केवल बहाना था, असली निशाना हिंदू समाज

इस पूरी घटना में सबसे स्पष्ट बात यह है कि वक्फ कानून तो केवल एक बहाना था। हिंदू समाज का इस कानून के निर्माण में कोई योगदान नहीं था, यह एक संवैधानिक प्रक्रिया थी। फिर भी, इस कानून के विरोध के नाम पर हमला केवल हिंदुओं पर क्यों? इसका उत्तर स्पष्ट है — यह एक सुनियोजित योजना थी मुर्शिदाबाद को हिंदू विहीन बनाने की

राज्य सरकार की निष्क्रियता या सह-भागिता?

इस संकट की घड़ी में जब शासन का कार्य न्याय और सुरक्षा देना होता है, तृणमूल कांग्रेस की सरकार, विशेष रूप से मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, उल्टे उन इमामों से मिल रही हैं जिन्होंने दंगों को उकसाया। एक इमाम द्वारा खुलेआम धमकी दी गई थी कि यदि ममता बनर्जी उनका साथ नहीं देंगी तो वे उन्हें उनकी “औकात” दिखा देंगे। इसके बावजूद, दंगाइयों की गिरफ्तारी की बजाय शरणार्थियों को बलात उनके सामने धकेलने की योजना बनाई जा रही है।

बंगाल की वर्तमान स्थिति: राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा

1. संघीय ढांचे का पतन और राज्य का पक्षपातपूर्ण प्रशासन

ममता सरकार ने भारत के संघीय ढांचे को ताक पर रख दिया है। वोट बैंक की राजनीति के तहत राज्य सरकार किसी भी हद तक जा रही है — यहां तक कि दंगाइयों को संरक्षण देना, कानून व्यवस्था को निर्वस्त्र करना और हिंदुओं को न्याय से वंचित करना अब एक आम बात बन चुकी है।

2. बांग्लादेशी व रोहिंग्या घुसपैठियों को खुली छूट

बांग्लादेश और म्यांमार से घुसपैठियों को बंगाल में आसानी से घुसने दिया जा रहा है। उनके आधार कार्ड बनाए जा रहे हैं, और उन्हें स्थायी नागरिक बनाया जा रहा है। इससे पाकिस्तानी और बांग्लादेशी आतंकी संगठनों की गतिविधियों को भी बल मिल रहा है, जो भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए घातक सिद्ध हो सकता है।

3. हिंदू त्योहारों पर प्रतिबंध और पुलिस का पक्षपात

आज की स्थिति यह है कि हिंदू त्योहारों को मनाने के लिए भी न्यायालय से अनुमति लेनी पड़ती है, वहीं दूसरी ओर, जिहादी तत्वों की भीड़ खुलेआम कानून को चुनौती दे रही है। अर्धसैनिक बलों को निशाना बनाना और हिंदू धार्मिक आयोजनों को बाधित करना अब सामान्य हो गया है।

4. प्रशासन पर जिहादी गुंडों का नियंत्रण

बंगाल में अब कानून व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त हो चुकी है। तृणमूल कांग्रेस के असामाजिक तत्वों और कट्टरपंथी जिहादी गुंडों के आदेश पर पुलिस और प्रशासन कार्य कर रहे हैं। आम जनता में भय और असहायता का माहौल है।

हिंसा अब सीमित नहीं रही, पूरे बंगाल में फैल चुकी है

मुर्शिदाबाद की हिंसा अब संपूर्ण बंगाल में फैल चुकी है। राज्य के अन्य जिलों — जैसे उत्तर 24 परगना, मालदा, बर्दवान, बीरभूम और हुगली — में भी हिंदू समाज को निशाना बनाया जा रहा है। यह हिंसा अब केवल राज्य स्तर तक सीमित नहीं है, बल्कि यह धीरे-धीरे राष्ट्रीय संकट का रूप ले रही है।

हिंदू समाज की मांगें: अब और सहन नहीं

1. बंगाल में अविलंब राष्ट्रपति शासन लगाया जाए

कानून व्यवस्था के पूर्ण पतन को देखते हुए अब समय आ गया है कि भारत सरकार वहां राष्ट्रपति शासन लागू करे, ताकि स्थिति को नियंत्रण में लाया जा सके।

2. NIA द्वारा दंगों की जांच कराई जाए

राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) के माध्यम से इन हिंसक घटनाओं की निष्पक्ष जांच करवाई जाए और दोषियों को कठोर सजा दी जाए।

3. केंद्रीय सुरक्षा बलों को कानून व्यवस्था का संचालन सौंपा जाए

राज्य पुलिस की पक्षपाती भूमिका को देखते हुए कानून व्यवस्था का संचालन अब केंद्रीय सुरक्षा बलों के हाथों में देना आवश्यक है।

4. बांग्लादेशी व रोहिंग्या घुसपैठियों की पहचान और निष्कासन

बंगाल में अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठियों की पहचान कर उन्हें निष्कासित किया जाए। इसके साथ ही बांग्लादेश सीमा पर तारबंदी का कार्य भी तुरंत प्रारंभ किया जाए, जिसे ममता सरकार ने रोक रखा था।

अब निर्णय का समय आ गया है

भारत की संप्रभुता, सांप्रदायिक सौहार्द और संविधान की रक्षा के लिए यह आवश्यक है कि केंद्र सरकार इस मुद्दे को गंभीरता से ले और शीघ्र तथा कठोर निर्णय ले। यदि अभी कार्यवाही नहीं हुई, तो यह संकट न केवल बंगाल बल्कि पूरे देश के लिए खतरनाक सिद्ध हो सकता हैअब समय आ गया है कि सच्चाई को उजागर किया जाए, पीड़ितों को न्याय मिले और राष्ट्रविरोधी तत्वों को करारा जवाब।

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Shubham Sharma – Indian Journalist & Media Personality | Shubham Sharma is a renowned Indian journalist and media personality. He is the Director of Khabar Arena Media & Network Pvt. Ltd. and the Founder of Khabar Satta, a leading news website established in 2017. With extensive experience in digital journalism, he has made a significant impact in the Indian media industry.
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