सिवनी/बरघाट/धारनाकला (एस. शुक्ला): जिले में समर्थन मूल्य पर होने वाली धान खरीदी की तैयारियाँ इस बार रिकॉर्ड समय में पूरी कर ली गई हैं। विभाग द्वारा करीब आधा सैकड़ा खरीदी केन्द्र समितियों को आवंटित भी कर दिए गए हैं, और 1 दिसंबर से खरीदी शुरू होने की पूरी संभावना बन चुकी है। लेकिन असली हलचल अब उन 24 से 26 केन्द्रों को लेकर है, जिन्हें इस वर्ष महिला स्व–सहायता समूहों (SHG) को दिए जाना है।
इसी वजह से फाइलों की रफ्तार सिवनी से भोपाल तक दौड़ रही है। एनआरएलएम ने महिला समूहों से आवेदन लेकर जांच के बाद फाइलें खाद्य संचालनालय, भोपाल भेज दी हैं, जहाँ से ड्रॉप-डाउन लिस्ट जारी होगी। उसी के आधार पर केन्द्रों का अंतिम आवंटन होगा।
वहीं जिला खाद्य अधिकारी मनोज पुरबिया ने इस बार एकसाथ सभी केन्द्रों की खरीदी शुरू करवाने पर जोर दिया है ताकि समितियों और महिला समूहों दोनों को समय पर खरीदी का अवसर मिल सके।
महिला समूहों की आड़ में ठेकेदारों की ‘जुगाड़ राजनीति’ शुरू
धान खरीदी केन्द्र के आवंटन को लेकर इस बार जिला पंचायत दफ्तर की गलियारों में खूब चहल-पहल देखी गई। कई ठेकेदार और प्रभावशाली लोग, महिलाओं की आड़ में फाइलें पकड़े अधिकारी–नेताओं के चक्कर काटते नजर आए।
सबसे दिलचस्प बात यह रही कि कई विवादों से घिरे महिला समूह भी इस बार पूरी ताकत लगाकर फाइलें भोपाल तक भेजने में सफल रहे। अब सवाल उठ रहा है— क्या उपार्जन समिति पारदर्शिता से निर्णय ले पाएगी या फिर विवादित समूह इस बार भी दबाव बनाकर केन्द्र हासिल करने में कामयाब होंगे? यह आने वाला समय ही बताएगा।
सरकार की मंशा: महिला समूहों को मजबूत बनाना, पर राजनीति डाल रही रोडा
सरकार की नीति स्पष्ट है— “महिलाओं को आर्थिक रूप से मजबूत बनाओ, आत्मनिर्भर बनाओ।”
साल 2020–21 से महिला स्व सहायता समूहों को समितियों की तरह धान खरीदी केन्द्रों की जिम्मेदारी देना इसी पहल का हिस्सा था।
इसके बाद जिले में महिला समूहों के गठन की गति तेजी से बढ़ी, और हर साल अधिक समूह उपार्जन कार्य लेने की होड़ में शामिल होने लगे।
लेकिन धान शॉर्टेज और अनियमितता के कारण पिछले वर्षों में कई समूह ब्लैकलिस्ट भी कर दिए गए।
इस स्थिति को सुधारने के लिए 2022–23 से कड़े नियम, जैसे—
- ₹10 लाख की एफडीआर
- ₹2 लाख की अतिरिक्त एफडी
लागू किए गए ताकि खरीदी में गड़बड़ी रोकी जा सके।
हालाँकि इस बदलाव से शॉर्टेज कम तो हुआ, पर राजनैतिक दबाव और मनचाहे केन्द्र पाने की दौड़ और तेज हो गई। प्रभावशाली समूह लगातार एक ही केन्द्र पर जमे रहे, जबकि कमज़ोर पकड़ वाले समूहों को हर साल नया केन्द्र अपनाना पड़ता रहा।
जिला खाद्य अधिकारी के सामने बड़ी चुनौती
इस बार 41 महिला स्व सहायता समूहों की फाइलें
- जिला पंचायत CEO अंजली शाह,
- जिला खाद्य अधिकारी मनोज पुरबिया,
- और NRLM जिला प्रबंधक संजय रस्तोगी
की जांच के बाद भोपाल भेजी जा चुकी हैं।
अब ड्रॉप-डाउन लिस्ट आने का इंतज़ार है।
इसके बाद जिला खाद्य अधिकारी को केन्द्र आवंटन की जिम्मेदारी निभानी होगी—
लेकिन यह आसान नहीं होगा।
क्योंकि शुरुआती प्रक्रिया से ही विवादित समूहों और राजनीतिक हस्तक्षेप की चर्चा खुलकर सामने आ चुकी है। ऐसे में केन्द्रों का पारदर्शी आवंटन करना उपार्जन समिति और जिला खाद्य अधिकारी—दोनों के लिए कठिन परीक्षा साबित हो सकता है।
सिवनी जिले में धान खरीदी केन्द्रों को लेकर इस बार राजनीतिक तापमान चरम पर है। जहाँ सरकार महिला समूहों को सशक्त बनाना चाहती है, वहीं दूसरी ओर कुछ समूह राजनीति और रसूख के दम पर प्रणाली को प्रभावित करने की कोशिश में जुटे हैं।
अब सबकी नजरें इस बात पर टिकी हैं कि— क्या जिला प्रशासन इस बार पारदर्शिता बरतते हुए निष्पक्ष आवंटन करेगा?
या फिर विवादित समूहों की दबाव राजनीति बाज़ी मार लेगी? सच्चाई जल्द ही ड्रॉप-डाउन लिस्ट में सामने होगी।

