सिवनी: मध्य प्रदेश के सिवनी जिले में धान उपार्जन घोटाले का बड़ा मामला सामने आया है। इस मामले में आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा (EOW) जबलपुर ने कार्रवाई करते हुए शकुंतला देवी राइस मिल के खिलाफ अपराधिक प्रकरण दर्ज किया है। जांच में सामने आया है कि मिल में सरकारी धान की मिलिंग में कई अनियमितताएँ हुई हैं और भारी मात्रा में चावल का गबन किया गया है।
घोटाले की प्रमुख अनियमितताएँ और जाँच के निष्कर्ष
1. धान और चावल की भारी कमी का खुलासा
जांच में यह पाया गया कि वर्ष 2024-25 के दौरान मिलिंग के लिए प्राप्त धान में से 3184 क्विंटल चावल की भारी मात्रा गायब है। यह सीधे तौर पर शासकीय धान के दुरुपयोग और घोटाले की ओर संकेत करता है।
2. बाहरी राज्यों से मिला चावल
शकुंतला देवी राइस मिल में छापेमारी के दौरान 2297 क्विंटल चावल (4594 बोरियां) हरियाणा, पंजाब, महाराष्ट्र, बिहार, उत्तर प्रदेश, तेलंगाना और ओडिशा जैसे अन्य राज्यों से आया हुआ पाया गया। इससे साफ होता है कि मिल में मिलिंग के दौरान बाहरी राज्यों के चावल का अवैध समावेश किया गया था, जो घोटाले की पुष्टि करता है।
3. अन्य जिलों की मिलों से संबंध
इसके अलावा, जांच में यह भी सामने आया कि बालाघाट जिले की एक अन्य राइस मिल का 28,590 किलोग्राम चावल से भरा ट्रक शकुंतला देवी राइस मिल में मिला। इससे स्पष्ट होता है कि यह घोटाला किसी एक मिल तक सीमित नहीं है बल्कि कई मिलों की संलिप्तता की संभावना है।
शकुंतला देवी राइस मिल के खिलाफ कानूनी कार्रवाई
घोटाले की गंभीरता को देखते हुए ईओडब्ल्यू जबलपुर द्वारा शकुंतला देवी राइस मिल, भुरकलखापा, जिला सिवनी के मालिक आशीष अग्रवाल के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 316(5) के तहत आपराधिक प्रकरण दर्ज किया गया है।
अन्य संभावित दोषियों की जांच जारी
ईओडब्ल्यू ने इस मामले में जांच को आगे बढ़ाते हुए अन्य संभावित दोषियों की भूमिका की भी जांच शुरू कर दी है। संभावना है कि इस घोटाले में अन्य मिल मालिकों, सरकारी अधिकारियों और बिचौलियों की भी संलिप्तता हो सकती है।
घोटाले के दुष्प्रभाव और सरकारी धान का दुरुपयोग
धान उपार्जन घोटाले का सीधा असर सरकार की सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) पर पड़ता है। इस तरह के घोटाले से गरीबों और जरूरतमंदों तक सस्ता अनाज पहुँचाने की योजना प्रभावित होती है।
सरकारी धान घोटाले के संभावित कारण
- मिल मालिकों की मनमानी – सरकारी अनाज को बाजार में ऊँचे दामों पर बेचने की प्रवृत्ति।
- प्रशासन की लापरवाही – संबंधित विभागों द्वारा मिलों पर समय-समय पर उचित निगरानी नहीं करना।
- भ्रष्टाचार और मिलीभगत – सरकारी अधिकारियों और मिल मालिकों की सांठगांठ के कारण घोटाले का बढ़ना।
- बाहरी राज्यों के चावल का उपयोग – सस्ता चावल अन्य राज्यों से लाकर सरकारी धान के बदले ब्लैक मार्केटिंग करना।
सरकार द्वारा उठाए जा रहे कदम
मध्य प्रदेश सरकार और ईओडब्ल्यू इस मामले में सख्त कार्रवाई कर रही है। अधिकारियों ने सभी राइस मिलों की ऑडिट रिपोर्ट तैयार करने का निर्देश दिया है और कई अन्य मिलों की भी जांच जारी है।
भविष्य में ऐसे घोटालों को रोकने के लिए उपाय
- धान उपार्जन प्रक्रिया में पारदर्शिता – प्रत्येक मिलिंग यूनिट की गतिविधियों पर CCTV निगरानी हो।
- डिजिटल रिकॉर्डिंग और ट्रैकिंग सिस्टम – अनाज की डिजिटल ट्रैकिंग से धान के गबन पर अंकुश लगेगा।
- सख्त दंड और जुर्माने का प्रावधान – दोषियों पर कड़ी कार्रवाई और भारी जुर्माने का प्रावधान हो।
- नियमित निरीक्षण और ऑडिट – राइस मिलों का हर तीन महीने में ऑडिट किया जाए।
धान उपार्जन घोटाले में शकुंतला देवी राइस मिल की संलिप्तता ने यह स्पष्ट कर दिया है कि सरकार को धान मिलिंग प्रक्रिया की और अधिक सख्त निगरानी करनी होगी। इस प्रकार के घोटालों से गरीबों के लिए अनाज वितरण प्रणाली को भारी नुकसान होता है। यह मामला सिर्फ सिवनी जिले तक सीमित नहीं है, बल्कि अन्य जिलों में भी कई मिलों पर कार्रवाई की संभावना है।