सिवनी, मध्यप्रदेश: भारत की मिट्टी ने हमेशा ही अनगिनत प्रतिभाओं को जन्म दिया है। इस कड़ी में मध्यप्रदेश के सिवनी (SEONI) जिले की नन्हीं अनाबिया खान (Anabiya Khan) ने अपनी विलक्षण बुद्धिमत्ता और अद्वितीय स्मरण शक्ति से पूरे देश को गौरवान्वित किया है। मात्र तीन वर्ष की उम्र में इस बाल प्रतिभा ने “बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड” में अपना नाम दर्ज करा लिया है और इसके साथ ही “इंडिया स्टार रिपब्लिक अवार्ड 2025” भी प्राप्त किया है।
अनाबिया खान: बचपन से असाधारण प्रतिभा की झलक
छोटी सी उम्र में इतनी बड़ी उपलब्धि हासिल करना किसी चमत्कार से कम नहीं है। अनाबिया की मां, सिमरन अली के अनुसार, उन्होंने अपनी बेटी की शिक्षा और मानसिक विकास पर विशेष ध्यान दिया।
सिमरन अली ने खुद साइंस में एमएससी किया है, जिससे उन्हें यह भली-भांति समझ में आया कि बच्चों की मेमोरी पावर को कैसे विकसित किया जाए। उन्होंने बताया कि जब अनाबिया केवल सात महीने की थी, तभी से उन्होंने उसे विभिन्न विषयों से परिचित कराना शुरू कर दिया था।
तीन वर्ष की उम्र में अनोखी प्रतिभा का प्रदर्शन
अनाबिया खान न सिर्फ अपनी उम्र के बच्चों से आगे है, बल्कि वह बड़े-बड़े बुद्धिजीवियों को भी आश्चर्यचकित कर रही है। उसकी बुद्धिमत्ता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वह:
- एक मिनट के भीतर 60 बीमारियों के नाम बता सकती है।
- पूरी पेरिओडिक टेबल (Periodic Table) को याद कर चुकी है।
- भारत के सभी 28 राज्यों और उनकी राजधानियों के नाम बिना रुके सुना सकती है।
- सोलर सिस्टम (Solar System) के सभी ग्रहों की जानकारी विस्तार से दे सकती है।
- भारतीय मुद्रा पर कितनी भाषाएं अंकित हैं, इसकी पूरी जानकारी रखती है।
- विभिन्न देशों के राष्ट्रीय ध्वज (National Flags) को देखकर तुरंत पहचान सकती है।
- मानव शरीर के पाचन तंत्र (Digestive System) के अलग-अलग हिस्सों और उनके कार्यों के बारे में विस्तार से बता सकती है।
बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड और इंडिया स्टार रिपब्लिक अवार्ड 2025
अनाबिया की इस अद्वितीय प्रतिभा को पहचानते हुए यंग अचीवर ओलंपियाड, दिल्ली द्वारा आयोजित एक विशेष समारोह में “इंडिया स्टार रिपब्लिक अवार्ड 2025” प्रदान किया गया। इसके अलावा, जयपुर में आयोजित एक भव्य समारोह में “बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड” में उसका नाम दर्ज किया गया।
यह पुरस्कार न केवल अनाबिया के लिए गर्व की बात है, बल्कि सिवनी जिले और पूरे मध्यप्रदेश के लिए भी एक ऐतिहासिक उपलब्धि है।
माता-पिता का योगदान और शिक्षा पद्धति
अनाबिया के इस मुकाम तक पहुंचने में उसकी मां सिमरन अली और पिता सैफ खान का बहुत बड़ा योगदान है। उनके पिता व्यवसायी हैं, जबकि उनकी मां ने अपनी बेटी के लिए खुद को पूरी तरह से समर्पित कर दिया।
सिमरन अली बताती हैं कि उन्होंने खेल-खेल में पढ़ाई को अपनाया, जिससे अनाबिया ने बिना किसी दबाव के ज्ञान अर्जित किया। इसके लिए उन्होंने ऑनलाइन स्रोतों, किताबों और वैज्ञानिक विधियों का सहारा लिया।
अनाबिया की सफलता के पीछे की रणनीति
यदि आपके बच्चे में भी छुपी हुई प्रतिभा है, तो इन रणनीतियों को अपनाकर आप उसकी बुद्धिमत्ता को और विकसित कर सकते हैं:
- जल्दी सीखने की प्रक्रिया शुरू करें – बच्चों का दिमाग बहुत तेज होता है, इसलिए उन्हें शुरुआती महीनों में ही चीजों से परिचित कराएं।
- खेल-खेल में पढ़ाई कराएं – जब बच्चों को दबाव महसूस नहीं होता, तो वे जल्दी और बेहतर सीखते हैं।
- ऑनलाइन संसाधनों का उपयोग करें – इंटरनेट पर उपलब्ध शैक्षिक वीडियो, एप्लिकेशन और इंटरैक्टिव गेम्स बच्चों के सीखने की प्रक्रिया को मजेदार बनाते हैं।
- हर दिन नए शब्द और तथ्य सिखाएं – रोजाना सामान्य ज्ञान, साइंस और गणित के रोचक तथ्यों को बच्चों को बताने से उनकी रुचि बढ़ती है।
- सकारात्मक वातावरण दें – माता-पिता को अपने बच्चों को प्रोत्साहित करना चाहिए और उनकी प्रतिभा को आगे बढ़ाने के लिए हर संभव प्रयास करना चाहिए।
अनाबिया खान का भविष्य और लक्ष्य
सिमरन अली का अगला लक्ष्य अपनी बेटी को इंटरनेशनल ओलंपियाड्स (International Olympiads) में भेजना है, ताकि वह राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का नाम रोशन कर सके।
अनाबिया जैसी विलक्षण प्रतिभाएं यह साबित करती हैं कि यदि सही दिशा और मार्गदर्शन मिले, तो बच्चे कम उम्र में भी महान उपलब्धियां हासिल कर सकते हैं।
अनाबिया खान की यह उपलब्धि सिर्फ सिवनी जिले या मध्यप्रदेश ही नहीं, बल्कि पूरे भारत के लिए गर्व की बात है। उनकी कहानी न सिर्फ प्रेरणा देती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि प्रतिभा जन्मजात नहीं होती, बल्कि सही मार्गदर्शन और मेहनत से विकसित की जा सकती है।