Math Mandir Seoni: सैकड़ों वर्ष पुराने मठ मंदिर सिवनी के बारे में कुछ रोचक जानकारी. सिवनी जिला मुख्यालय में स्थित प्राचीन मठ मंदिर (Math Mandir Seoni), न सिर्फ आस्था बल्कि ऐतिहासिक रूप से भी भारत देश में अत्यधिक महत्व रखता है, मठ मंदिर (Math Mandir Seoni) के बारे में अक्सर लोगो ने बहुत सी बात सुनी होंगी जिनमे मठ मंदिर सिवनी (Seoni Math Mandir) को लोग इसे कलचुरी काल का मानते हैं तो कई लोग इसे गोंड शासकों से भी जोड़ते हैं
इसके अलावा सिवनी में स्थित मठ मंदिर पर कुछ लोगों का कहना है कि मठ मंदिर का निर्माण आदि शंकराचार्य के द्वारा किया गया था तो इस मत के मानने वालों की संख्या भी कम नहीं है.
सिवनी का यह मठ मंदिर (Seoni Math Mandir) काफी प्राचीन है, स्थानीय लोग बताते हैं कि इस मठ में स्थित शिवलिंग की पूजा आदि शंकराचार्य ने भी की थी, चारों पीठों के शंकराचार्य भ्रमण कर इस पवित्र भूमि को पावन कर चुके हैं। वर्तमान में जगदगुरु स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती लगातार इस पीठ में भ्रमण करते रहे हैं।
इतिहास को लेकर है मतभेद मठमंदिर के इतिहास को लेकर कोई विशिष्ट मत प्रचलित नहीं है।‘ कल आज और कल’ शीर्षक की पुस्तक में मठ मंदिर का निर्माण कलचुरी कालीन बताया जाता रहा है।
कलचुरी काल महाकौशल में 1000 से 1180 तक रहा है, कलचुरी शैव ने जबलपुर (Jabalpur), नरसिंहपुर (Narsingpur) और बालाघाट (Balaghat) में विशाल मठ स्थापित किए थे, इनके लेख की बात करें तो इनके हर लेख ऊँ नमः शिवाय से शुरू होते थे
इस बात से यदि आप यह माने तो कि मंदिर कलचुरियों की देन है तो प्रतीत तो यही होता है, इस समय के बाद यानी कलचुरी के पतन के बाद गोंड शासकों ने गढ़ा मंडला में अपना शासन स्थापित किया। सन 1480 में राजा संग्राम सिंह गद्दी पर बैठे थे, उनके पूरे शासन काल को देखा जाए तो उनके शासन काल में लगभग 52 गढ़ थे, इन 52 गढ़ में से ही एक गढ़ था चावडी जिसे अभी छपारा के नाम से जाना जाता है, ये राजा बड़ा देव याने शिव के भक्त थे, इन्होने भी कई मठ स्थापित किए।
Math Mandir Seoni: सिवनी का प्राचीन मठ मंदिर जहां होती है भक्तो की हर मनोकामना पूरी, जानिए क्या है मंदिर का इतिहास
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इन्होने जहाँ भी मठ स्थापित किये थे वहां वहां मठ के पास ही तालाब, शिवलिंग और मठ का महंत अवश्य रूप से पाए जाते थे, इसी वजह से सिवनी के मठ मंदिर (Seoni Math Mandir) को इसके लिए भी गोंडकालीन माना जाता है।
उस समय मठ मंदिर सिवनी (Math Mandir Seoni) के खर्च के लिए सिवनी जिले में ही पास के गांव मरझोर माफीशुदा गांव था, मरझोर के मुकद्दम लक्ष्मीनारायण श्रीवास्तव के यहां आज भी दस्तावेज सुरक्षित हैं, इनके अनुसार 1791 वास्ते खर्च मंदर के देहे राजा साहेब नागपुर(रघुजी द्वितीय) लिखा है. इस बात के पर्याप्त प्रमाण हैं
295 रुपये में खरीदा था मठ मंदिर (Math Mandir Seoni)
अंग्रेजी शासन पद्धति में (मौजव कानून सात सन1825ई. में बइलत इजरायडिगरी में मुंसिफी सिवनी छपारा) मालगुजारों ने मरझोर और मठ को 5 फरवरी 1857 को जब्त कर लिया था, उसे मनके सिंगई सूखा साव वल्द खुशाल साव परवार सा जिवनी छपारा ने बगीचा, तालाब और कुर्वामय अहाता जमीन को 295 रुपये में खरीदा था।
3 अक्टूबर 1867 को निहंस गंगागिर चेला लक्ष्मन गिर ने 350 रुपये में खरीद लिया था। 1870 में इस संपत्ति को लेकर विवाद हुआ। 19 दिसंबर 1873 को महंत हरकेश गिर से लगा ग्राम मालगुजारी का ठेका लाला कालीचरण वल्द बनवारी लाल को बेच दिया।
महंत हरकेश गिर की मृत्यु के बाद महंत रुद्र गिर, महंत गियान गिर और नाबालिग चेला दरयाब गिर ने अपने कर्जे की मुक्ति के लिए शिवाला और भूमि को 300 रुपये में लाला कालीचरण को बेच दिया था। 1915 से 1917 के बीच लाल बुखार के कारण कालीचरण और उनके पुत्र रामजीवन की मृत्यु के बाद उनकी पत्नी बिरजा बाई ने सिवनी के जमींदार दादू साहब को बेच दिया।
जीवित समाधि का उल्लेख वर्ष 2002 में गुरु रतनेश्वर दिघोरी की प्राण प्रतिष्ठा के दौरान प्रकाशित मैगजीन में बताया गया कि इस मठ में जीवित समाधि भी है, जो अन्य किसी दादू साहब के परिवार से ही थे, जिनके द्वारा शिवलिंग सिर पर रखकर समाधि ले ली गई।
30 वर्ष पूर्व जलाई गई थी Math Mandir Seoni में धूनी
मठ मंदिर परिसर में सिद्घ धूनी का वर्णन भी मिलता है, जो अज्ञात कारणों से बुझ गई थी। उसे लगभग 30 वर्ष पूर्व दिवंगत नगरपालिका अध्यक्ष स्वर्ण मूलचंद दुबे द्वारा पुनः प्रज्ज्वलित करवा दिया गया था। मोती ताल है मठ तालाबः इस मठ से लगा हुआ वबहुआ नामक एक तालाब भी है, जिसे मोती तालाब के नाम से जाना जाता था। बाद में यह मठ मंदिर के समीप होने के बाद मठ तालाब के रूप में चर्चित हो गया।