सिवनी, बरघाट (एस. शुक्ला): किसान पंजीयन स्लॉट बुकिंग प्रणाली धान एवं गेहूं खरीद के लिए एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया मानी जाती है। इस प्रणाली के माध्यम से किसानों को उनके अनाज की बिक्री की सुविधा मिलती है और उन्हें निर्धारित समय में भुगतान भी प्राप्त होता है। लेकिन क्या वास्तव में इस योजना का लाभ किसानों को मिल रहा है या फिर कुचिया व्यापारी और ठेकेदार इसका ज्यादा फायदा उठा रहे हैं? यह जांच और विचार का विषय है।
कुचिया व्यापारियों को अधिक लाभ
शासन की इस सुविधा का सबसे ज्यादा लाभ कुचिया व्यापारी और ठेकेदार उठा रहे हैं। पोर्टल पर बेचे गए अनाज के रिकॉर्ड को देखने पर पता चलता है कि कई बार किसानों के नाम पर दूरस्थ उपार्जन केंद्रों में अनाज की बिक्री दिखाई जाती है, जो वास्तविकता में संदिग्ध प्रतीत होती है।
कई मामलों में किसानों के पंजीयन पर अनाज बेचा जाता है, लेकिन वे खुद यह अनाज बेचने नहीं जाते। यह स्थिति दर्शाती है कि किसान के नाम पर कोई और व्यक्ति, खासकर कुचिया व्यापारी, इस प्रक्रिया का लाभ उठा रहा है।
उपार्जन केंद्रों पर प्रभाव
स्लॉट बुकिंग की प्रक्रिया लागू होने के बाद से उपार्जन केंद्रों पर भी इसका नकारात्मक प्रभाव देखा गया है। कुचिया व्यापारी और खरीदी प्रभारी की सांठगांठ से कई केंद्रों पर अनाज बिक्री के रिकॉर्ड अचानक बढ़ गए हैं। उदाहरण के लिए, जहां पहले 30-35 हजार क्विंटल अनाज खरीदा जाता था, वहीं अब यह आंकड़ा 80 हजार से 1 लाख क्विंटल तक पहुंच चुका है।
कई मामलों में यह भी देखा गया है कि सौ से दो सौ किलोमीटर दूर के किसानों के नाम पर भी स्लॉट बुकिंग हो रही है और उनकी धान बिक्री पोर्टल पर दर्ज की जा रही है। यह संदेह उत्पन्न करता है कि कहीं यह पूरी प्रक्रिया केवल कागजों पर ही तो नहीं हो रही?
मिलर्स को प्रदाय धान डिलीवरी ऑर्डर (आरो) में अनियमितताएँ
धान की मिलिंग के लिए मिलर्स को जारी किए जाने वाले डिलीवरी ऑर्डर (आरो) में भी बड़े पैमाने पर गड़बड़ियाँ देखी गई हैं। यदि किसी किसान के पंजीयन पर बेचा गया अनाज वास्तव में केंद्र पर उपलब्ध नहीं होता, तो मिलर्स को नगद राशि देकर आरो जारी कर दिया जाता है।
इसका तात्पर्य यह है कि कुचिया व्यापारी किसानों के नाम पर धान बेचते हैं और जब धान केंद्र में नहीं पहुंचता, तो मिलर्स को 2150 से 2200 रुपये प्रति क्विंटल की दर से नगद राशि दी जाती है। इस तरह, सरकारी योजना का लाभ वास्तविक किसानों की बजाय व्यापारियों को मिल रहा है।
खाली बारदाना वितरण और मजदूरों का शोषण
धान उपार्जन प्रक्रिया के दौरान 2024-25 के सीजन में यह भी देखा गया कि खरीदी प्रभारी के इशारे पर खाली बारदाने (बोरियाँ) खुलेआम वितरित कर दी गईं। इसके कारण कई मामलों में धान का तौल किसानों के घरों में ही कर दिया गया और सिलाई के बाद केंद्र पर डंप कर दिया गया।
इस प्रक्रिया में उपार्जन केंद्र पर काम करने वाले मजदूरों और हम्मालों का भारी शोषण हुआ। कुछ केंद्रों में जाँच की गई, लेकिन प्रशासनिक लापरवाही के कारण कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।
किसानों की राय
कई किसानों ने इस नई व्यवस्था के बारे में मिश्रित प्रतिक्रियाएँ दी हैं। जनपद सदस्य गजानंद हरिनखेड़े, बसंत राहगड़ाले, हेमंत राहगंडाले सहित कई किसानों का कहना है कि स्लॉट बुकिंग की व्यवस्था एक अच्छा कदम है, लेकिन इसका लाभ वास्तविक किसानों से अधिक कुचिया व्यापारियों को मिल रहा है।
उनका यह भी सुझाव है कि सहकारी समितियों और उपार्जन केंद्रों को पहले की तरह सीमित दायरे में ही अनाज खरीदने की अनुमति दी जाए, जिससे किसानों को उचित मूल्य मिल सके और उपार्जन केंद्रों की प्रक्रिया पारदर्शी बनी रहे।
किसान पंजीयन स्लॉट बुकिंग प्रणाली का उद्देश्य किसानों को उनके अनाज की बिक्री में सुविधा देना था, लेकिन व्यावहारिक रूप से इसका अधिकतर लाभ व्यापारी और मिलर्स उठा रहे हैं। सरकार को इस प्रणाली की गहराई से जाँच करनी चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि किसानों के हक पर किसी और का कब्जा न हो। उपार्जन प्रक्रिया की निगरानी और पारदर्शिता बढ़ाने के लिए नए उपाय अपनाने की आवश्यकता है।